जानिए Ram Navami 2023 में कब है, इन खास संयोग में हुआ राम भगवान का जन्‍म

Ram Navami Holiday In 2023 Date : रामनवमी के दिन कुछ लोग बाजार से छोटा सा पालना लाकर रामलला की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं। इसको करने के बाद भगवान राम की आरती करें।

Ram Navami 2023 Today : रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्‍नान करने के बाद पीले स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें और व्रत करने का संकल्‍प करें। घर के पूजा स्‍थल में पूजा से जुड़ी सभी सामग्री लेकर बैठें। विष्‍णु अवतार होने के कारण भगवान राम की पूजा में तुलसी और कमल का फूल अनिवार्य माना जाता है।

घर के पूजा स्‍थल में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर राम दरबार की तस्‍वीर या फिर मूर्ति स्‍थापित करें। पूजा आरंभ करने के लिए भगवान की प्रतिमा पर सबसे पहले गंगाजल से छीटें दें। तांबे का कलश चावल के ढेर पर रखें और उस पर चौमुखी दीया जलाकर रखें।

रामनवमी के दिन कुछ लोग बाजार से छोटा सा पालना लाकर रामलला की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं। इसको करने के बाद भगवान राम की आरती करें। फिर चाहें तो विष्‍णु सहस्‍त्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं। भगवान राम को खीर, फल और मिष्‍ठान का भोग लगाएं।

राम नवमी पूजा 2023 के तारीख व कैलेंडर- Ram Navami 2023 Date

त्यौहार का नाम  दिनत्यौहार के तारीख
राम नवमी पूजा  (Ram Navami Puja)गुरूवार30 मार्च 2023

राम नवमी पूजा समय

नवमी तिथि शुरू : 21:05 – 29 मार्च 2023
नवमी तिथि ख़त्म : 23:30 – 30 मार्च 2023

यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है। हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ था अत: इस शुभ तिथि को भक्त लोग रामनवमी के रूप में मनाते हैं एवं पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य के भागीदार होते है। हर साल इस दिन को भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी हो जाती है।

राम नवमी क्यों मानते है …

हिंदू धर्म ग्रथों में भगवान राम और उनके तीनों भ्राताओं के जन्‍म को लेकर एक पौराणिक कथा बताई गई है। इसके अनुसार राजा दशरथ की तीनों रानियों कौशल्‍या, सुमित्रा और कैकयी में से तीनों को जब पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी तो राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। प्रसाद में यज्ञ से निकली खीर को तीनों रानियों को खिला दिया गया। कुछ समय के पश्‍चात राजा दशरथ के घर में खुशखबरी सुनने को मिली यानी तीनों रानियों ने गर्भधारण किया। उसके बाद चैत्र शुक्‍ल नवमी के दिन कौशल्‍या माता ने राम, कैकयी ने भरत और सुमित्रा ने लक्ष्‍मण और शत्रुघ्‍न को जन्‍म दिया। राजा दशरथ को अब उनके उत्‍तराधिकारी मिल चुके थे। तब से यह तिथि राम नवमी के रूप में मनाई जाती है।

इन खास संयोग में हुआ भगवान राम का जन्‍म

अगस्‍त्‍य संहिता में उल्‍लेख मिलता है कि जिस वक्‍त प्रभु श्रीराम का जन्‍म हुआ था उस वक्‍त दोपहर की घड़ी थी। उस समय पुनर्वसु नक्षत्र, कर्क लग्‍न और मेष राशि थी। शास्‍त्रों में बताया गया है कि भगवान राम के जन्‍म के वक्‍त सूर्य और 5 ग्रहों की शुभ दृष्टि भी थी और इन खास योगों के बीच राजा दशरथ और माता कौशल्‍या के पुत्र का जन्‍म हुआ।

रामचरितमानस की शुरुआत हुई इसी दिन

गोस्‍वामी तुलसीदास ने महाकाव्‍य रामचरितमानस की रचना में अयोध्‍या में इसी शुभ मौके पर शुरू की थी। इसलिए अयोध्‍या नगरवासियों और रामभक्‍तों के लिए इस दिन का विशेष महत्‍व होता है। भारत ही नहीं विदेश में यह पर्व हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता है। रामनवती के मुहूर्त को शुभ कार्यों के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन सभी मांगलिक कार्य बिना सोचे समझे कर सकते हैं। गृह प्रवेश, दुकान या व्‍यवसाय का मुहूर्त भी इस दिन लोग करवाते हैं।

रामनवमी उत्सव

श्री रामनवमी हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है जो देश-दुनिया में सच्ची श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार वैष्णव समुदाय में विशेषतौर पर मनाया जाता है।

  • आज के दिन भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं।
  • रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं।
  • कई जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।
  • भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित करते हैं।
  • भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं।

Ram Navami की पूजा विधि

राम नवमी की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है: –

  • सबसे पहले स्नान करके पवित्र होकर पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
  • पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
  • उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
  • खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
  • पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए।

पौराणिक मान्यताएँ

श्री रामनवमी की कहानी लंकाधिराज रावण से शुरू होती है। रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी, यहाँ तक की देवतागण भी, क्योंकि रावण ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान ले लिया था। उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Ujjwal Pradesh इस लेख की पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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