2023 Mauni Amavasya कब है ? जानिए गंगा स्नान, तिथि और पूजा महत्व

आज बात करेंगे की Mauni Amavasya 2023 में कब है? हम आप को बातएंगे मौनी अमावस्या पर क्या दान करना चाहिए? और सबसे बड़ी अमावस्या कौन सी है?

हिंदू कैलेंडर में हर माह के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि अमावस्या होती है. 7 जनवरी 2023 से हिंदूओं का विशेष महीना माघ शुरू हो रहा है. माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2023) और माघी अमावस्या (Maghi Amavasya 2023)के नाम से जाना जाता है.

साल की सभी 12 अमावस्या में यह एकमात्र अमावस्या है जिसमें स्नान-दान के अलावा मौन व्रत भी रखने का खास महत्व है. इस दिन मौन रहकर जप, तप, साधना, पूजा-पाठ किए जाते हैं. आइए जानते हैं साल 2023 की पहली अमावस्या यानी की मौनी अमावस्या की डेट, स्नान-दान मुहूर्त और महत्व.

मौनी अमावस्या 2023 Date

पंचांग के अनुसार इस साल की पहली अमावस्या माघी या मौनी अमावस्या होगी. मौनी अमावस्या 21 जनवरी 2023, शनिवार. मान्यता है कि माघ के महीने में मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वह अमृत के समान फल पाता है.

Mauni Amavasya 2023 मुहूर्त

माघ अमावस्या 21 जनवरी 2023, शनिवार को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी. अगले दिन 22 जनवरी 2023, रविवार को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर इसका समापन होगा. माघी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में तीर्थ स्नान, पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

मौनी अमावस्या का महत्व

  • धार्मिक मान्यता है कि मौन रहकर किया गया व्रत सामान्य व्रत से दोगुना अधिक फल प्रदान करता है, व्यक्ति के तमाम नकारात्मक विचार हो जाते हैं. इससे साधक को अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है.
  • मौनी अमावस्या पर मौन रहकर व्रत रखने की परंपरा है. मान्यता है मौन व्रत रखने से शरीर को ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. वाणी दोष से मुक्ति मिलती है.
  • इस तिथि पर ही ब्रह्मा के मानस पुत्र मनु ऋषि का जन्म हुआ था. इसलिए इसका नाम मौनी अमावस्या पड़ा. इस दिन पूवर्जों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान करने से भौतिक सुख मिलता है.

मौनी अमावस्या पौराणिक कथा (Mauni Amavasya Mythology)

कथा के अनुसार जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश (Amrit Kalash) लेकर प्रकट हुए थे उस समय देवताओं एवं असुरों में अमृत कलश के लिए खींचा-तानी शुरू हो गई इससे अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा गिरी। यही कारण है कि यहां की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। यह तिथि अगर सोमवार के दिन पड़ती है तब इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। अगर सोमवार हो और साथ ही महाकुंभ लगा हो तब इसका महत्व अनंत गुना हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है सतयुग में जो पुण्य तप से मिलता है द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अनंत पुण्यदायी होगा।

इस तिथि को पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि तथा स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए। इस दिन तिल दान भी उत्तम कहा गया है। इस तिथि को Mauni Amavasya के नाम से भी जाना जाता है अर्थात मौन अमावस्या। चूंकि इस व्रत में पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है। शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य मन का फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें। इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। वास्तव में शिव और विष्णु दोनों एक ही हैं जो भक्तों के कल्याण हेतु दो स्वरूप धारण करते हैं इस बात का उल्लेख स्वयं भगवान ने किया है। इस दिन पीपल में आर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के नियम

  • मौनी अमावस्या पर सुबह या शाम को स्नान के पहले संकल्प लें।
  • मौनी अमावस्या पर सुबह स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करें।
  • मौनी अमावस्या पर पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें फिर स्नान करें।
  • मौनी अमावस्या पर साफ कपड़े पहनें और जल में काले तिल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • मौनी अमावस्या पर मंत्र जाप करें और सामर्थ्य के अनुसार, वस्तुओं का दान करें। चाहें तो अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
  • हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए।
  • मौनी अमावस्या पर व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए, चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं।
  • मौनी अमावस्या पर क्रोध करने से बचें।
  • मौनी अमावस्या पर किसी को अपशब्द न कहें।
  • मौनी अमावस्या के दिन ईश्वर का ध्यान करें।

मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर क्या नहीं करना चाहिए

  • Mauni Amavasya के दिन देर तक नहीं सोना चाहिए। अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने की परंपरा है। अगर आप किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पाएं है तो घर पर जरूर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद सूर्य अर्घ्य देना न भूलें। स्नान से पहले तक कुछ बोले नहीं, मौन रहें।
  • मौनी अमावस्या पर श्मशान घाट या कब्रिस्तान में या उसके आस-पास नहीं घूमना चाहिए। अमावस्या की रात सबसे घनी काली रात होती है और माना जाता है कि इस समय बुरी आत्माएं या शक्तियां बहुत सक्रिय हो जाती है. इसलिए अमावस्या की रात को किसी सूनसान जगह पर नहीं जाना चाहिए।
  • Amavasya पर संयम बरतना चाहिए। इस दिन पुरुष और स्त्री को यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए। गरुण पुराण के अनुसार, अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को आजीवन सुख नहीं मिलता है।
  • मौनी अमावस्या के दिन घर में शांति का माहौल होना चाहिए। आज के दिन जिस घर में कलह का माहौल होता है वहां पितरों की कृपा नहीं होती है। आज के दिन लड़ाई-झगड़े और वाद-विवाद से बचना चाहिए। इस दिन कड़वे वचन तो बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए।
  • मौनी अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं, लेकिन शनिवार के अलावा अन्य दिन पीपल का स्पर्श नहीं करना चाहिए इसलिए पूजा करें लेकिन पीपल के वृक्ष का स्पर्श ना करें। इससे धन की हानि होती है।
  • मौनी अमावस्या के दिन बिस्तर पर नहीं बल्कि चटाई पर सोना चाहिए। अमावस्या के दिन शरीर में तेल लगाना मना होता है। अगर आप मौनी अमावस्या का व्रत हैं तो फिर आज के दिन किसी प्रकार का श्रृंगार ना करें।
  • मौनी अमावस्या के दिन शराब, मांस के सेवन इत्यादि से दूर रहें और सादा भोजन करें। ज्यादा से ज्यादा समय तक मौन रहकर ध्यान लगाएं।
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