नए साल में करे श्री कृष्णा का पूजन, पूरे साल होती रहेगी धन वर्षा
कहते हैं कि नए साल की शुरुआत ईश्वर की भक्ति और पूजा-पाठ, दान-पुण्य से हो तो सालभर समृद्धि में कोई कमी नहीं आती. हर कार्य पूर्ण होते हैं. खास बात ये है कि साल 2023 का पहला दिन चार शुभ संयोग लेकर आ रहा है.
New Year 2023 Krishna Puja: 1 जनवरी 2023 को शिव, सिद्ध, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसमें की गई पूजा का कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है. मान्यता है कि साल की शुरुआत में श्रीकृष्ण की पूजा और उपाय करने से पूरे वर्ष भौतिक सुख प्राप्त होता है. निसंतान को संतान सुख, विवाहिता को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. आइए जानते हैं नए साल में कैसे करें श्रीकृष्ण की पूजा.
परिवार में मिठास
परिवार में कता का भाव खत्म हो चुका है. धन, काम और संपत्ति को लेकर मनमुटाव चल रहा है. परिवार की खुशियों को किसी की नजर लग गई है तो साल 2023 की शुरुआत में श्रीकृष्ण को पूजा में मोरपंख चढ़ाएं और फिर इसे ऊं द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापयै स्वाहा मंत्र बोलते हुए घर के मुख्य द्वार पर लटका दें. मान्यता है इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और परिवार के बीच चल रही तनातनी दूर होती है. घर के सदस्यों में प्रेम बना रहता है.
आर्थिक स्थिति को मजबूत
पैसों की परेशानियों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो नए साल के पहले दिन केसर मिश्रित दूध से श्रीकृष्ण का अभिषेक करें. मान्यता है इस तरह कान्हा की पूजा करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है. कहते हैं इससे सालभर धन लाभ होगा. आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा.
शीघ्र विवाह के लिए
विवाह में विलंब हो रहा है. शादी की बात बनते-बनते बिगड़ जाती है तो साल 2023 की शुरुआत में श्रीकृष्ण को उनका प्रिय भोग लगाएं और फिर 108 बार इस मंत्र का जाप करें – ‘ॐ क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरी:परमात्मने प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम: क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्ल्भाय स्वाहा’ मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से शीघ्र ही विवाह योग्य रिश्ते आने लगते हैं.
संतान की खुशहाली
संतान सुख पाने के लिए कान्हा की भक्ति करना बहुत उत्तम फलदायी माना गया है. इसके लिए नए साल में 2 जनवरी 2023 पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और भगवान विष्णु की पितांबरी से पूजा करें. श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का ही अवतार हैं. पूजा में पीला चंदन, पीले फूल, पीला वस्त्र चढ़ाएं और संतान की खुशहाली, उसकी दीर्धायु की कामना करते हुए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.
कृष्ण पूजा मंत्र
शुद्धि मंत्र: ओम अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोअपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।। जल को स्वयं पर और पूजन सामग्री पर छींटे लगाकर पवित्र करें।
हाथ में फूल लेकर श्रीकृष्ण का ध्यान करें : वसुदेव सुतं देव कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानंदं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।। हे वसुदेव के पुत्र कंस और चाणूर का अंत करने वाले, देवकी को आनंदित करने वाले और जगत में पूजनीय आपको नमस्कार है।
जन्माष्टमी 2022 पूजन संकल्प मंत्र : ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्रीजन्माष्टमी पूजनं महं करिष्ये।
भगवान श्रीकृष्ण आवाहन मंत्रः जिन्होंने भगवान की मूर्ति बैठायी है उन्हें सबसे पहले हाथ में तिल जौ लेकर मूर्ति में भगवान का आवाहन करना चाहिए, आवाहन मंत्र- अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्। स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।। तिल जौ को भगवान की प्रतिमा पर छोड़ें।
आसन मंत्र : अर्घा में जल लेकर बोलें- रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वासौख्यकरं शुभम्। आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।। जल छोड़ें।
भगवान को अर्घ्य दें : अर्घा में जल लेकर बोलें- अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह। करुणां करु मे देव! गृहाणार्घ्यं नमोस्तु ते।। जल छोड़ें।
आचमन मंत्र : अर्घा में जल और गंध मिलाकर बोलें- सर्वतीर्थसमायुक्तं सुगन्धं निर्मलं जलम्। आचम्यतां मया दत्तं गृहत्वा परमेश्वर।। जल छोड़ें।
स्नान मंत्र : अर्घा में जल लेकर बोलें- गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदाजलैः। स्नापितोअसि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे।। जल छोड़ें।
पंचामृत स्नान : अर्घा में गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद मिलाकर भगवान श्रीकृष्ण को यह मंत्र बोलते हुए पंचामृत स्नान कराएं- पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु। शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान को स्नान कराएं।
भगवान श्रीकृष्ण को वस्त्र अर्पित करने का मंत्र : हाथ में पीले वस्त्र लेकर यह मंत्र बोलें- शीतवातोष्णसन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। देहालअंगकरणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे। भगवान को वस्त्र अर्पित करें।
यज्ञोपवीत अर्पित करने का मंत्र: यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्मयग्यं प्रतिमुन्ज शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।। इस मंत्र को बोलकर भगवान को यज्ञोपवीत अर्पित करें।
चंदन लगाने का मंत्र: फूल में चंदन लगार मंत्र बोलें- श्रीखंड चंदनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान श्रीकृष्ण को चंदन लगाएं।
भगवान को फूल चढाएंः माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मयाआहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान को फूल अर्पित करने के बाद माला पहनाएं।
भगवान को दूर्वा चढाएंः हाथ में दूर्वा लेकर मंत्र बोलें – दूर्वांकुरान् सुहरितानमृतान्मंगलप्रदान्। आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर।।
भगवान को नैवेद्य भेंट करेंः इदं नाना विधि नैवेद्यानि ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि।
भगवान को आचमन कराएंः इदं आचमनम् ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि।
कृष्ण पूजा विधि
श्री कृष्ण जन्म का पालना भजन होने के पश्चात श्री कृष्ण की मूर्ति अथवा चित्र की पूजा करनी चाहिए।
षोडशोपचार पूजन : जिनको श्रीकृष्ण जी की षोडशोपचार पूजा करना संभव हो उन्होंने उस प्रकार पूजा करनी चाहिए।
पंचोपचार पूजन : जिनको श्री कृष्ण की षोडशोपचार पूजा करना संभव ना हो उनको ‘पंचोपचार पूजा ‘करनी चाहिए। पूजन करते समय ‘सपरिवाराय श्री कृष्णाय नमः’ यह नाम मंत्र कहते हुए एक-एक सामग्री श्री कृष्ण को अर्पण करना चाहिए। श्री कृष्ण जी को दही ,पोहा और मक्खन का भोग लगाना चाहिए। उसके पश्चात श्री कृष्ण जी की आरती करनी चाहिए। (पंचोपचार पूजा : गंध, हल्दी -कुमकुम, फूल, धूप-दीप और भोग इस क्रम से पूजा करनी चाहिए)
श्री कृष्ण की पूजा कैसे करें ?
भगवान श्री कृष्ण की पूजा के पूर्व उपासक ने स्वयं को मध्यमा से दो खड़ी लाइन में गंध लगाना चाहिए। श्री कृष्ण की पूजा में उनकी प्रतिमा को गोपी चंदन का गंध प्रयोग में लाया जाता है। श्री कृष्ण की पूजा करते समय अनामिका से गंध लगाना चाहिए। श्री कृष्ण जी को हल्दी कुमकुम चढ़ाते समय पहले हल्दी और फिर कुमकुम दाहिने हाथ के अंगूठे और अनामिका मैं लेकर उनके चरणों में अर्पण करना चाहिए। अंगूठा और अनामिका जोड़कर जो मुद्रा तैयार होती है,उससे पूजक का अनाहत चक्र जागृत होता है। उस कारण भक्ति भाव निर्माण होने में सहायता होती है।
श्री कृष्ण जी को तुलसी क्यों चढ़ाते हैं ?
जिस चीज में विशिष्ट देवताओं के पवित्रक (देवताओं के सुक्ष्म से सुक्ष्म कण) को आकर्षित करने की क्षमता अन्य वस्तुओं की अपेक्षा अधिक होती है वह वस्तु देवताओं को अर्पित की जाती है। इस कारण देवता की मूर्ति में वह तत्व अधिक प्रभाव में आकर आकर्षित होता है और इस कारण देवता की चैतन्यता का लाभ जल्दी होता है। तुलसी में कृष्ण तत्व प्रचुर मात्रा में होता है। काली तुलसी श्री कृष्ण के मारक तत्व और हरी पत्तों वाली तुलसी श्री कृष्ण के तारक तत्व का प्रतीक होती है। इसी कारण श्री कृष्ण जी को तुलसी अर्पित की जाती है।