एशियाड: महिला हॉकी में जापान से हारी टीम इंडिया, 20 साल बाद सिल्वर

जकार्ता
भारत की महिला हॉकी टीम को यहां जारी एशियाई खेलों में रजत पदक से संतोष करना पड़ा है। इस खिताबी मुकाबले में भारत जापान से कड़े मुकाबले में 1-2 से हार गया। 1998 के बाद एशियाई खेलों की महिला हॉकी स्पर्धा में भारतीय टीम ने यहां रजत पदक अपने नाम किया। इस मैच में भारतीय टीम एकमात्र गोल ही कर पाई यह नेहा गोयल (25वें मिनट) ने किया, जबकि जापान की टीम ने 2 गोल दागे। जापान ने ये दोनों गोल पेनल्टी कॉर्नर पर किए। इस मैच में तीन ही पेनल्टी कॉर्नर मिले, भारत को एक पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिस पर वह गोल करने से चूक गया। कई मौकों पर भारतीय टीम इस मैच में प्रतिद्वंद्वी जापान पर हावी दिखी, लेकिन गोल के कई मौके मिलने के बावजूद वह गोल नहीं कर पाई।
इससे पहले 1998 एशियाड में भारतीय टीम ने रजत पदक अपने नाम किया था। भारत के नाम एशियाड खेलों की महिला हॉकी स्पर्धा में सिर्फ एक गोल्ड मेडल है, जो उसने 1982 में अपने नाम किया था। शुक्रवार को टीम इंडिया के पास यहां मौका था कि वह गोल्ड अपने नाम कर ओलिंपिक 2020 के लिए भी क्वॉलिफाइ करे। लेकिन उसे मायूसी हाथ लगी और टीम को एक बार फिर रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। हालांकि ओलिंपिक में क्वॉलिफाइ करने के लिए भारतीय टीम के पास भविष्य में भी मौके होंगे।
मैच के पहले ही क्वॉर्टर में दोनों टीमों ने आक्रामक हॉकी की शुरुआत की और दोनों टीमों ने गोल करने के मौके तलाशे। हालांकि पहले 10 मिनट तक कोई भी टीम गोल नहीं कर पाई। मैच के 10वें मिनट में भारत को पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन गुरुजीत ने ड्रैग फ्लिक कर गोल की कोशिश की, जिसे जापानी गोलकीपर ने नाकाम कर दिया। अगले ही मिनट में जापान ने पेनल्टी कॉर्नर हासिल कर लिया और इस बार उसने भारत पर बढ़त बनाने का मौका नहीं गंवायाा। मैच के 11वें मिनट पर भारत पर 1 गोल की बढ़त ले ली। सविता ने अपनी बाजू खोलकर गेंद को रोकना चाहा, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाईं और इस तरह खेल के पहले क्वॉर्टर का अंत 0-1 के स्कोर पर खत्म हुआ।
मैच के दूसरे क्वॉर्टर में दोनों टीमों ने एक बार फिर संभल कर शुरुआत की। जापानी टीम 1 गोल की बढ़त ले चुकी थी और वह और गोल दागकर भारत पर दबाव बढ़ाना चाह रही थी। लेकिन इस बार भारतीय डिफेंस ने मजबूती दिखाई और विरोधी टीम को कोई मौका नहीं दिया। इस बीच मैच के 25वें मिनट में भारतीय टीम ने मौका बनाया और यहां बराबरी का गोल दागकर राहत की सांस ली।