मुंबई
भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ता इस समय एक अलग ही विवाद में हैं। खबरें हैं कि टीम से बाहर किए गए सीनियर खिलाड़ियों- मुरली विजय और शिखर धवन- के साथ चयनकर्ताओं के संवाद की कमी चिंता का विषय बनी हुई है।
धवन और विजय को वेस्ट इंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज से बाहर रखने के बाद, चयनकर्ताओं- अथवा उनकी करीबी सूत्रों ने कहा कि- उन्होंने खिलाड़ियों से इस बारे में बात की है। विनोद राय की अध्यक्षता वाली कमिटी भी इस बयान से सहमत नजर आती है। वहीं क्रिकेटर्स की राय इस पर अलग है। कुछ खिलाड़ी जो अपना नाम सामने आने देना चाहते हैं जबकि कुछ ऐसा नहीं चाहते, पर उन सबका कहना है कि क्रिकेटर्स से इस बाबत कोई बात नहीं की गई।
हमारे सहयोगी अखबार, टाइम्स ऑफ इंडिया को पता चला है कि टीम प्रबंधन इस मुद्दे पर पैदा हुई दुविधा को लेकर काफी नाराज है। सूत्रों ने बताया, 'बात साफ है, या तो खिलाड़ी या फिर चयनकर्ता, कोई तो है जो सच नहीं बोल रहा है। अगर (बीसीसीआई/सीओए) इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं, तो वे कप्तान, कोच, सीनियर खिलाड़ियों और सिलेक्टर्स के साथ बैठकर उनकी बात क्यों नहीं सुनते? इससे फौरन साफ हो जाएगा कि कौन सच बोल रहा है और कौन नहीं।
मीडिया में हालांकि कई तरह की खबरें आ रही हैं, लेकिन मामले को बेहद करीब से जानने वाले सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर खिलाड़ियों और चयनकर्ताओं के बीच कोई बैठक नहीं हुई है। न ही सीओए ने इस मामले में कोई दखल दी है या फिर उसे समझने का प्रयास किया है। विजय को यह उनके भविष्य के बारे में स्पष्ट राय नहीं दी गई। न ही करुण नायर को बताया गया कि आखिर क्यों हर बार उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा है। यहां तक कि रोहित शर्मा, जिन्हें वेस्ट इंडीज के खिलाफ सीरीज के लिए टीम में शामिल किए जाने की पूरी उम्मीद थी, को भी चयन समिति की ओर से कोई संदेश नहीं दिया गया। इतना ही नहीं बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को मीडिया के सामने अपनी राय व्यक्त करने के संदर्भ में कोई नोटिस भी जारी नहीं किया है।
विजय अब भारत 'ए' के साथ रहकर रन बनाने की कोशिश करेंगे ताकि वह ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए अपना दावा पेश कर सकें। नायर के लिए अब चुनौती और बढ़ गई है क्योंकि इंग्लैंड दौरे पर अपने प्रदर्शन से प्रभावित करने वाले आंध्र प्रदेश के क्रिकेटर हनुमा विहारी नंबर 6 के मजबूत दावेदार हैं। रोहित शर्मा के लिए भी टेस्ट क्रिकेट में वापसी करना अभी मुश्किल नजर आ रहा है। वहीं धवन भी निकट भविष्य में टेस्ट टीम में बनाते नजर नहीं आ रहे।
सूत्रों का कहना है कि कि कभी भी चयनकर्ताओं ने इन खिलाड़ियों से बात करने की जरूरत नहीं समझी। सूत्रों के मुताबिक, 'ऐसा लगता है कि मयंक अग्रवाल घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाने के बावजूद टेस्ट टीम में जगह नहीं बना पाएंगे। लेकिन चयनकर्ताओं को सिर्फ यह बताने की चिंता है कि क्रिकेटर्स के साथ बात की गई है, जबकि ऐसा नहीं है।'
ऐसा लगता है कि बोर्ड इस समय क्रिकेट पर ध्यान देने के बजाय कानूनी पचड़ों में उलझा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के 20 अगस्त 2018 को दिए गए फैसले के अनुसार, बीसीसीआई अब चयनकर्ताओं को सालाना 3 करोड़ रुपये का भुगतान करती है। माना जा रहा है कि अगर सब सही रहता है तो इस रकम को बढ़ाकर 4.5 करोड़ रुपये तक किया जा सकता है। इसके अलावा टूर पर होने वाला खर्च अलग। यह उन हालात से बहुत अलग है जब चयनकर्ताओं को कोई भुगतान नहीं किया जाता था।