विराट कोहली को ‘0’ पॉइंट पर मिला खेल रत्न, 80 पर बजरंग चूके

नई दिल्ली
देश के प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार देने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स और जकार्ता एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले स्टार पहलवान बजरंग पूनिया पॉइंट्स ज्यादा होने के बावजूद अवॉर्ड न मिलने से नाराज हैं। दरअसल, सरकार ने यह पुरस्कार संयुक्त रूप से भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली और वर्ल्ड चैंपियन भारोत्तोलक मीराबाई चानू (48 किग्रा) को देने का फैसला किया है।
कोहली को '0' पॉइंट्स मिले थे वहीं, वर्ल्ड चैंपियन वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को 44 पॉइंट्स मिले थे। आखिरकार 11 सदस्यों के सिलेक्शन पैनल द्वारा इस साल का राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार उन्हें देने की घोषणा की गई। गौर करने वाली बात यह है कि कोहली के परफॉर्मेंस शीट में कोई पॉइंट्स नहीं थे क्योंकि क्रिकेट के लिए कोई मानदंड तय नहीं किए गए हैं।
हमारे सहयोगी अखबार के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक खेल रत्न पाने की रेस में कम से कम छह लोग और थे, जिनका टोटल चानू से ज्यादा था। पहलवान बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट (दोनों के 80-80 पॉइंट्स थे) ने अपनी उपलब्धियों के आधार पर सबसे ज्यादा पॉइंट्स अर्जित किए थे। हालांकि यह शो हाथों का था, जिसने आखिरकार तय किया कि भारतीय टेस्ट कप्तान और मीराबाई को इस साल भारतीय खेल जगत का सर्वोच्च पुरस्कार मिलेगा।
कोर्ट जाएंगे पूनिया
खेल मंत्री के साथ मुलाकात के बाद गुरुवार को पूनिया ने TOI को बताया कि सर्वोच्च परफॉर्मेंस पॉइंट्स होने के बावजूद अवॉर्ड के लिए उनका नाम दरकिनार किया गया, वह शुक्रवार को इसके खिलाफ कोर्ट का रुख करेंगे।
दस्तावेज में 2018 अवॉर्ड के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए 17 खिलाड़ियों की उपलब्धियों के आधार पर मिले कुल पॉइंट्स दर्ज हैं। इसमें पैरा-ऐथलीट दीपा मलिक 78.4 पॉइंट्स के साथ पूनिया और फोगाट से पीछे हैं। इसके बाद मानिक बत्रा (65) बॉक्सर विकास कृष्णन (52) और तीरंदाज अभिषेक वर्मा (55.3) का नाम है।
क्रिकेट के लिए पॉइंट सिस्टम नहीं?
आपको बता दें कि क्रिकेट के लिए कोई पॉइंट सिस्टम नहीं है, जो ओलिंपिक स्पोर्ट भी नहीं है। ऐसे में क्रिकेटरों को सहमति के आधार पर चुना जाता है, जिससे विवाद पैदा होने की आशंका बनी रहती है। कमिटी के एक सदस्य ने TOI से स्वीकार किया कि इस बात पर बहस हुई थी कि कोहली के प्रदर्शन को जज कैसे किया जा सकता है क्योंकि पॉइंट सिस्टम को ओलिंपिक और अंतरराष्ट्रीय टूर्नमेंट्स को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। कोहली का नाम 2016 और 2017 में भी अस्वीकार कर दिया गया था।
पॉइंट्स का क्या मतलब है?
एक सदस्य ने कहा कि जब कोहली का नाम चर्चा के लिए आया तो क्रिकेट के लिए पॉइंट सिस्टम न होने के कारण हाथ उठाए गए और तब जाकर उनका नाम चुना गया। उन्होंने आगे बताया, '11 सदस्यों में से 8 ने कोहली की उम्मीदवारी का समर्थन किया और इस तरह से उनके नाम की सिफारिश की गई।'
सदस्य ने बताया, 'मीराबाई और श्रीकांत के केस में वैसी ही प्रक्रिया अपनाई गई। 7 सदस्यों ने मीराबाई के लिए अपने हाथ उठाए और छह ने श्रीकांत का समर्थन किया। ऐसे में दूसरी सिफारिश मीराबाई की हुई। श्रीकांत पर भी बहस हुई और एक आंतरिक वोटिंग भी हुआ। हालांकि उनके नाम पर लोग बंटे रहे और केवल कोहली और मीराबाई के नाम की ही सिफारिश की गई। बजरंग और विनेश का नाम भी चर्चा के लिए आया था लेकिन अवॉर्ड के लिए उन पर विचार नहीं किया गया।'
दिलचस्प बात यह है कि कमिटी अपने से किसी भी खिलाड़ी को 20 पॉइंट्स तक दे सकती है और उसके बाद पॉइंट्स ओलिंपिक, विश्व चैंपियनशिप, एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रदर्शन के आधार पर मिलता है। 17 आवेदकों में से कमिटी ने 11 को शॉर्टलिस्ट किया और उन्हें पॉइंट दिए- चानू (19), कोहली (18.5), श्रीकांत (18), विनेश (13), रोहन बोपन्ना (12), बजरंग पूनिया (12), नीरज चोपड़ा (15), दीपा मलिक (12), विकास कृष्णन (14) मनिका बत्रा (13) और पैरा रेसलर विरेन्दर सिंह (12)।
पूनिया का मत
पूनिया ने TOI से कहा कि वह शुक्रवार को कोर्ट जाएंगे। पूनिया का तर्क बिल्कुल सिंपल है। उनका कहना है, 'कमिटी ने उन्हें सर्वोच्च स्कोर दिया था, लेकिन सबसे बड़े खेल पुरस्कार के लिए उनके नाम को नजरअंदाज कर दिया गया। मैं उनसे (कमिटी सदस्यों) पूछना चाहता हूं कि ऐसे में पॉइंट सिस्टम का क्या उपयोग है?'
बजरंग ने कहा कि मैं मीराबाई और कोहली का सम्मान करता हूं। वे दोनों चैंपियन खिलाड़ी हैं लेकिन जब मैं अपने और मीराबाई के क्रेडेंशल्स देखता हूं, तो कोई तुलना ही नहीं है। आपने उन्हें अवॉर्ड दिया तो मुझे भी दीजिए।