आईएएस एनपी सिंह ने बदल डाली बावरियों की तकदीर

लखनऊ 
बावरियों का नाम तो आपने सुना ही होगा। वही बावरिया, जिन्हें कच्छा-बनियान, सरियामार और घुमंतू गिरोह के नाम से जाना जाता है। अपराध से पहले पूजा करना इनका रिवाज है और वारदात के दौरान खून बहाना पुण्य। महिलाएं और बच्चे भी लूट करने में जरा भी हिचकते नहीं। ऐसी बिगड़ैल जनजाति को सही राह दिखाने का जिम्मा उठाया है आईएएस अफसर नागेंद्र प्रताप सिंह ने। इस काम में चार साल जरूर लगे लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई। बावरियों के गांव में बदलाव की बयार ऐसी बही कि महिलाओं ने अवैध शराब बनाने से तौबा कर ली। लोग बच्चों को स्कूल भेजने लगे। गावों की कुछ लड़कियां तो दिल्ली में आला तालीम भी हासिल कर रही हैं। 
 
जिज्ञासा से जानी हकीकत 
एनपी सिंह को शामली दंगे के फौरन बाद जनवरी 2014 में डीएम बनाकर वहां भेजा गया। दंगे में विस्थापित परिवार जहां शरण लिए थे, वहीं से कुछ दूरी पर बावरियों के 12 गांव (रामपुरा, खोकसा, नयाबास, अहमदगढ़, खेडी जुन्नारदार, खानपुर कलां, बिरालियान, जटान खानपुरा, मस्तगढ़, डेरा भगीरथ, दूधली और अलाउद्दीनपुर) थे। बावरियों के बारे में बहुत सुन रखा था इसलिए जिज्ञासावश एक रोज उनके गांव पहुंच गए। गांव में सन्नाटा पसरा था, घरों के दरवाजे बंद थे। दूसरे दिन एक और गांव में गए तो वहां प्रधान से बातचीत हुई और जानकारी जुटाई तो पता चला कि इस जनजाति के लोग पढ़ते नहीं हैं। महिलाएं अवैध शराब के धंधे में लिप्त हैं। 

महिलाओं के लिए बनवाए समूह 
एनपी सिंह कहते हैं, 'बावरियों से राब्ता कायम करने के लिए गांवों में खेल की गतिविधियां शुरू करवाईं। नतीजतन, युवाओं ने खुलकर बात करनी शुरू की। कुछ लड़के-लड़कियों ने पढ़ने की इच्छा जताई। इसके बाद, गांवों में बंद हो चुके स्कूलों में अध्यापकों की तैनाती कर पढ़ाई शुरू करवाई गई। जनवरी 2015 में एक सभा बुलाई, जिसमें 12 गांवों की महिलाएं शामिल हुईं। बैठक में उन्होंने शराब न बनाने का संकल्प लिया। महिलाओं की माली हालत सुधारने के लिए समूह स्थापित करवाए गए। इनके जरिए पशुपालन, सिलाई, कढ़ाई की ट्रेनिंग दिलवाकर काम शुरू करवाया गया।' 

गांव से निकल पहुंची मिरांडा हाउस 
एनपी सिंह बताते हैं, 'एक दिन रेनू नाम की लड़की मिलने आई। बोली, मैं पढ़ना चाहती हूं लेकिन पिता की मौत के कारण ऐसा मुमकिन नहीं हो पा रहा। लड़की को हाईस्कूल में 86 फीसदी अंक मिले थे। मैंने उसका ऐडमिसन दिल्ली के एक स्कूल में कराया। इंटर में रेनू 90 फीसदी अंक लाई और अब वह मिरांडा हाउस कॉलेज से बीएससी कर रही है। रेनू ने फोन पर बताया कि वह आईपीएस बनकर अपने समाज को सुधारना चाहती है।' रेनू के अलावा एनपी सिंह समीक्षा, आरती, प्रीति और राखी को भी उच्च शिक्षा दिलवा रहे हैं। 
 

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