योगी सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाले में FIR को दी मंजूरी

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लखनऊ

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त हो गई है. राज्य में कई वर्ष पूर्व हुए छात्रवृत्ति घोटाले के 109 मामलों में एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी दे दी गई है. आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस संबंध में मामला दर्ज करने की सरकार से अनुमति मांगी थी.

दरअसल इटावा और मेरठ के स्कूलों में कागजी खानापूर्ति करके अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की 15 करोड़ से अधिक रकम हड़प ली गई थी. उस वक्त की जांच में तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, बीएसए, समाज कल्याण विभाग के दूसरे अधिकारियों, कर्मचारियों के अलावा स्कूल संचालकों और प्रधानाचार्यों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी.

इसी तरह अन्य जिलों में भी छात्रवृत्ति घोटाले के मामले सामने आए थे. इटावा के 116 और मेरठ में 150 से अधिक सहायता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया था. जांच के मुताबिक कई स्कूलों में छात्रों की संख्या केवल 200 थी, लेकिन छात्रवृत्ति 2000 के आसपास छात्रों को दे दी गई थी. इसकी वजह से सरकार खजाना को भारी नुकसान हुआ था.

काफी दिनों से लंबित जांच को अंजाम तक पहुंचाने के लिए आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा ने मामला अपने हाथ में लिया. शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया. लिहाजा ईओडब्ल्यू ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी मांगी थी जिसे सरकार ने मान लिया है. अब प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आरोपी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

बनेंगे चार थाने

उत्तर प्रदेश सरकार ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को चार थाने स्थापित करने की इजाजत दी है ताकि आर्थिक अपराध संबंधी केस दर्ज करने के लिए सरकार से अनुमति लेने की जरूरत न पड़े. अब आर्थिक अपराध के मामले सीधे दर्ज किए जा सकेंगे. ये थाने लखनऊ, कानपुर, बनारस और मेरठ में स्थापित किए जाएंगे.

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