500 सालों से रहस्य बना बीहड़ का ये मंदिर, यहां हनुमान जी खाते हैं लड्डू

इटावा
कहते हैं भगवान कण-कण में विद्यमान है। ऐसा ही कुछ इटावा के एक हनुमान मंदिर में देखने को मिला है, जहां हनुमान जी की जीवित मूर्ति मौजूद है। शहर से 8 किलोमीटर दूर यमुना के किनारे बीहड़ में बने इस मंदिर में हनुमान जी लड्डू खाते हैं। दूर-दराज से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर पिलुआ वाले महावीर के नाम से भी मशहूर है। 

मंदिर के पुजारी ने बताया कि ये हनुमान द्वापर युग से है। महाभारत के एक प्रसंग को बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रतापनेर नगर के राजा हुकुमदेव सिंह को तुलसीदास ने इस मूर्ति के बारे में बताया था, तब इसे निकाला गया। राजा हुकुमदेव इस मूर्ति को अपने नगर ले जाना चाहते थे, लेकिन हनुमान जाने को तैयार नहीं थे। हनुमान जी ने राजा को स्वप्न कहा कि अगर मुझे यहां से ले जाना चाहते हो तो मेरा पेट भर दो। राजा अभिमान में आकर हनुमान जी को दूध पिलाने लगे, लेकिन पूरे नगर का दूध मंगवाकर भी वो उनका मुखारविंद भर नहीं पाए। तब रानी ने क्षमा मांगते हुए श्रद्धा से एक छोटे से लोटे में दूध भरकर हनुमान जी को पिलाया। जिनसे उनका मुखारविंद भरकर तृप्त हो गया।

पुजारी ने बताया कि पिलुआ वाले महावीर के नाम से इस मंदिर को जो प्रसिद्धी मिली उसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते। पिलुआ एक जंगली पेड़ होता है, जिसकी जड़ के नीचे हनुमान जी दबे हुए थे। राजा ने उन्हें निकलवाया था और वहां एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया था। तब से इनका नाम पिलुआ वाले महावीर पड़ गया। पिलुआ वाले महावीर की सबसे बड़ी रहस्यमयी बात उनका मुखारविंद है। इनके मुखारविंद में प्रसाद स्वरूप जो भी लड्डू डाला जाता है वो सीधा उनके अंदर जाता है। वर्षों से ये क्रम ऐसे ही चलता आ रहा है। किसी को नहीं पता आखिर यह जाता कहां है।

PunjabKesariप्रत्येक मंगलवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है और बुढ़बा मंगल को रात 12 बजे के बाद से यहां तिल रखने की जगह नहीं होती। दुनिया का शायद ये पहला ऐसा मंदिर होगा जंहा हनुमान जी जीवित अवस्था में दिखाई देते हैं। इस बात की गवाही उनका मुखारविंद स्वय देता है। वो हर पल सांस लेते हुए आज भी देखे जा सकते हैं।  
 

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Join Our Whatsapp Group