अब एक कप चाय की भी होम डिलीवरी

दुर्ग
अभी तक आपने मोबाइल के जरिए पिज्जा और बर्गर की होम डिलीवरी तो सुनी होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में चाय की होम डिलीवरी हो रही है। क्षेत्र के एक युवक ने इस अनोखे बिजनेस फंडे को अपनाकर दर्जनभर युवाओं को रोजगार दे दिया है। मोबाइल पर ऑर्डर दो और कुछ ही मिनट में घर से लेकर खेतों तक केतली में गर्म चाय लेकर डिलीवरी मैन हाजिर। कीमत भी महज पांच रुपए, कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं। इस बिजनेस से कई युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर जनपद पंचायत पाटन के सामने वर्मा टी स्टॉल व कॉफी सेंटर है। पाटन क्षेत्र के लोगों की जुबान पर इस दुकान का नाम और मोबाइल फोन पर यहां का नंबर सेव है। नगर के तीन से पांच किलोमीटर के दायरे में लोगों को घर से लेकर खेत तक सिर्फ एक फोन पर चाय मिल जाती है।
चाय की होम डिलीवरी के लिए बाकायदा दर्जनभर कर्मचारी रखे गए हैं। डिलीवरी भी पिज्जा-बर्गर की तरह बाइक पर होती है। इस टी स्टॉल के संचालक संजय वर्मा और संजू वर्मा बताते हैं कि सुबह सात बजे चाय बनाना शुरू कर देते हैं और शाम सात बजे तक ऑर्डर लेते हैं। पाटन ब्लाक मुख्यालय से लगे ग्राम खोरपा, अखरा, अटारी, देमार, पंदर, सिकोला, नवागांव, खम्हरिया, बठेना व चंगोरी तक चाय की डिलीवरी की जाती है।
300 से पहुंचे 2500 कप तक
संजू बताते हैं कि पहले इस टी स्टॉल से प्रतिदिन औसतन 300 कप तक चाय बिकती थी। अब, फोन से ऑर्डर लेने व होम डिलीवरी शुरू होने के बाद यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन औसतन 2500 कप तक पहुंच गई है। कॉफी कप की संख्या इससे अलग है। एक व्यक्ति दिनभर सिर्फ फोन पर चाय का ऑर्डर लेता है, बाकी दर्जनभर लोग सात किमी तक चाय पहुंचाते हैं।
उधार के डेढ़ सौ से शुरू किया था धंधा
संजू वर्मा बताते हैं-1987 में पिता वीरेंद्र वर्मा ने 150 रुपए उधार लेकर चाय की यह दुकान शुरू की थी। वर्ष 2015 तक इसी चाय की दुकान के सहारे परिवार का भरण-पोषण होता था। वर्ष 2015 में बड़े भाई के निधन और पिताजी के गिरते स्वास्थ्य ने चिंता में डाल दिया। ऐसे में दुकान के संचालन की जिम्मेदारी हम दोनों ने अपने कंधों पर ले ली। ऑनलाइन शॉपिंग के बारे में जब पता चला कि हम घर बैठे ही सामान की खरीदारी कर सकते हैं तभी मैंने मन बना लिया कि जब फोन से सामान की डिलीवरी हो सकती है तो चाय की क्यों नहीं।