कांग्रेस के इस अभेद किले पर भाजपा के लिए कमल खिलाने की चुनौती

सरगुजा
छत्तीसगढ़ के चुनाव में सरगुजा जिले की सीटें अहम मानी जाती हैं. इस जिले की अंबिकापुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव विधायक हैं. जिले की तीनों सीटें- अंबिकापुर, सीतापुर व लुंड्रा विधानसभा सीटों पर पिछले दो विधानसभा से कांग्रेस का कब्जा है. साल 2003 में कांग्रेस की एक सीट थी. जबकि भाजपा दो सीटों पर अपना भगवा लहरा रही थी, लेकिन 2008 और 2013 के चुनाव में भाजपा यहां से खाता भी नहीं खोल पाई.
उत्तरी छत्तीसगढ़ के छोर में बसा सरगुजा जिला प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों रूप में छत्तीसगढ़ की राजनीति में दखल देता आया है. इस बार भी बस्तर के साथ सरगुजा ही ऐसा क्षेत्र है, जहां की थोक में सीटें जीतकर प्रदेश के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस व भाजपा राज्य में अपनी सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इधर अगर पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस की बात करें तो 2003 चुनाव में जिले की एक मात्र सीतापुर सीट कांग्रेस जीत पाई थी. तीनों सीटों को मिलाकर पार्टी के खाते में करीब 33 फीसदी वोट आए थे.
साल 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने सरगुजा जिले में क्लीन स्वीप करते हुए तीनों विधानसभा सीटों पर कब्जा कर लिया और पार्टी के खाते में करीब 39 फीसदी वोट आए.
इसके बाद साल 2013 में 49 फीसदी वोट हासिल कर पार्टी ने तीनों सीट पर कब्जा बरकार रखा, लेकिन इस बार पूर्व सीएम अजीत जोगी की पार्टी तीसरे मोर्चे के रूप में चुनाव लड़ रही है. इसके बाद भी कांग्रेस में अलग उत्साह नजर आ रहा है.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जेपी श्रीवास्तव की मानें तो सरगुजा जिले के तीनों कांग्रेसी विधायक बेदाग और स्वच्छ छवि वाले हैं. भाजपा तो अभी तक उनके खिलाफ प्रत्याशी चयन नहीं कर पाई है. श्रीवास्तव का कहना है कि ऐसे में इस बार भी कांग्रेस जिले की तीनों सीट जीत रही है. सरगुजा जिले की जनता पूरी तरह से कांग्रेस के पक्ष में है. भाजपा सरकार की नीतियों से जनता त्रस्त है.
वैसे तो भाजपा प्रदेश की सत्ता में 15 साल से काबिज है, लेकिन सरगुजा जिले की तीनों विधानसभा सीट पर उसकी हालत ठीक नही हैं.
साल 2008 के मुकाबले 2013 के चुनाव में भाजपा का वोट शेयर बढ़ा, लेकिन पार्टी के खाते में एक भी सीट नहीं आई. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राज्य गठन और जोगी शासन के बाद साल 2003 की लहर में भाजपा ने यहां की तीन में से दो सीटों लुंड्रा व अम्बिकापुर में जीत दर्ज की थी. उस दौरान भारतीय जनता पार्टी को करीब 47 फीसदी से अधिक वोट मिले थे. इसके बाद के दोनों चुनावों में भाजपा को क्रमश: 24 और करीब 39 फीसद वोट ही मिले, लेकिन तीन मे एक भी सीट हाथ नही लगी.
ऐसे में इस बार भाजपा के कार्यकर्ता इस बड़े गड्ढे को पाटने की बात कह रहें हैं. साथ ही अभी तक प्रत्याशी चयन ना होने की बात को आलाकमान पर टाल रहें हैं. भाजपा संगठन के प्रदेश मंत्री अनुराग सिंह का कहना है कि प्रत्याशियों के चयन का निर्णय आलाकमान ही करेगा, लेकिन ये तय है कि सरगुजा में पिछले चुनावों की अपेक्षा भाजपा इस बार अधिक मजबूत है. जिले की तीनों सीटों पर जीत की प्रबल संभावनाएं हैं.
पिछले चुनावों को ध्यान रखें तो सरगुजा जिले की तीनों सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता है. तीन विधानसभा सीटों में एक सामान्य व बाकी दो आरक्षित सीट हैं. वैसे तो इन तीनों सीटो मे इस बार भी मुकाबला दोनों प्रमुख दलों के बीच है, लेकिन जनता कांग्रेस छत्तीसगढ की भूमिका दोनों प्रमुख दलों के चुनावी समीकरण से लेकर नतीजो तक पर असर डाल सकती है. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के जिला अध्यक्ष दानिश रफीक का कहना है कि प्रदेश में पार्टी सुप्रीमो अजीत जोगी की लहर है, उसका लाभ सरगुजा में पार्टी को मिलेगा.
कांग्रेस के लिए अजेय रही है सीतापुर सीट
सरगुजा की तीन सीटों में अगर जीत हार के अंतर की बात करें तो कांग्रेस के लिए अजेय सीतापुर सीट पर साल 2003 में अमरजीत भगत ने करीब पांच हजार वोट से जीती थी. साल 2008 में रमन सरकार के मंत्री गणेश राम भगत जब इस सीट से चुनाव लड़े तो कांग्रेस के जीत का अंतर घटकर 17 सौ रह गया था, लेकिन 2013 में भाजपा के डमी प्रत्याशी राजाराम भगत के चुनाव लड़ने से ये फिर बढ़कर सीधे 17 हजार 855 पहुंच गया. इसी तरह 2008 मे परसीमन के बाद सामान्य हुई अंबिकापुर सीट पर टीएस सिंहदेव ने महज 980 वोट से जीत हासिल की थी, लेकिन 2013 में जब भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सिंह को टीएस ने दोबारा चुनाव हाराया तो उनके जीत का अंतर बढ़कर 19 हजार 558 वोट तक पहुंच गया. इधऱ अगर सरगुजा की तीसरी और अंतिम विधानसभा सीट लुंड्रा की बात करें तो 2008 के चुनाव में रामदेव करीब आठ हजार वोट के अंतर से जीत हासिल किया था. फिर 2013 में भाजपा से कांग्रेस में आए चिंतामणि कंवर ने इसी सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक विजयनाथ सिंह को करीब 10 हजार वोटों के अंतर से हराया था.