यहां एक ही नाम के दो गांव होने का खामियाजा भुगत रहे सैकड़ों किसान

महासमुंद
छत्तीसगढ़ में महासमुंद जिले की बागबाहरा तहसील में एक दिलचस्प मामला सामने आया है. एक ही नाम के दो गांव होने का खामियाजा यहां के सैकड़ों किसानों को भुगतना पड़ रहा है. बागबाहरा तहसील के अंतर्गत आने वाले खल्लारी राजस्व मंडल में पतेरापाली और बोईर नाम के दो गांव हैं. ठीक इसी तरह इसी तहसील के कोमाखान राजस्व मंडल में भी पतेरापाली (स) और बोईर नाम के दो अन्य गांव हैं. ऐसे में एक ही नाम के ये दो जोड़ी गांव होने की वजह से यहां रहने वाले किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. बता दें कि दोनों ही गांव के करीब 1500 किसानों को खरीफ फसल की करोड़ों रुपए की बीमा राशि बीमा कंपनी विभागीय त्रुटि की वजह से देने के इंकार कर रही है.

मालूम हो कि पिछले 3 साल से महासमुंद सूखे की मार झेल रहा था. ऐसे में जिले के हजारों किसान कर्ज तले दब चुके हैं. इसी आफत की ओलावृष्टि की वजह से जिले के कोमाखान राजस्व मंडल का ग्राम पतेरापाली(स) और बोरई के किसानों की फसल चौपट हो गई थी. वहीं खल्लारी राजस्व मंडल के पतेरापाली और बोरई गांव में भी कुछ किसानों की फसल को क्षति पहुंची थी. इन गांवों में हुए नुकसान की फसल बीमा राजस्व विभाग को जारी किया जाना था, लेकिन राजस्व विभाग ने कोमाखान राजस्व मंडल के दोनों गांवों की बजाए खल्लारी राजस्व मंडल के गांवों के किसानों की फसल बीमा राशि जारी कर दी.

इस दौरान जब राजस्व विभाग को अपनी इस गलती की जानकारी हुई, तो उन्होंने चारों गांव के किसानों की फसल बीमा की राशि को रोक दिया. अब राजस्व विभाग की इस गलती का खामियाजा चारों गांवों के करीब 1500 किसानों को भुगतना पड़ रहा है. यही वजह है कि फसल नुकसान की करोड़ों की बीमा राशि किसानों को अब तक नहीं मिल पाई है. अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यहां के किसान प्रभावित हो रहे हैं.

वहीं चारों गांवों के सैकड़ों किसानों को जिला सहकारी बैंक ने कर्ज नहीं पटाने की वजह से डिफॉल्टर घोषित कर दिया है. प्रभावित किसानों ने स्थानीय अधिकारियों के सामने कई बार गुहार लगाई, लेकिन जब अधिकारियों ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो किसानों ने मुख्यमंत्री को इस समस्या से अवगत कराया. बावजूद इसके अभी तक समस्या का निवारण नहीं हो सका है.

अब किसानों ने भूख हड़ताल करने की भी चेतावनी दी है, जिसे कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है. कांग्रेस की मानें तो खल्लारी विधानसभा में 15 से 20 गांव ऐसे हैं जिनके नाम एक जैसे हैं. ऐसे में इन गांवों के किसानों को बीमा कंपनी और प्रशासन जानबूझकर लूट रही है, जिसे देखते हुए खल्लारी विधानसभा के कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष अंकित बागबाहरा ने आगामी 10 सितंबर तक उनके खातों में फसल बीमा की राशि नहीं मिलने पर किसानों के साथ आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है.

इस पूरे मामले में एक तरफ जहां बीमा कंपनी खुद को बचाते हुए जिले के जिला सहकारी बैंक और कृषि विभाग को जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं कर्ज देने वाली बैंक भी विभागीय और तकनीकी त्रुटि को स्वीकार करते हुए जल्द ही किसानों को बीमा की राशि भुगतान करने का दावा कर रही है.

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