40 फर्जी कंपनियां बनाकर लिया 100 करोड़ का लोन, एक धेला नहीं चुकाया

रायपुर
करोड़ों की धोखाधड़ी के आधा दर्जन से अधिक मामलों में सेंट्रल जेल में बंद पूर्व शराब ठेकेदार सुभाष शर्मा ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। दरअसल दो दिन पहले सिविल लाइन पुलिस ने अपने यहां दर्ज जमीन खरीदी के एवज में दिए गए पांच करोड़ के चेक बाउंस मामले में सुभाष को दो दिन के पुलिस रिमांड पर लिया था।
पूछताछ में सुभाष ने बताया कि शराब और अन्य कारोबार के लिए 40 फर्जी कंपनियों का निर्माण कर उसने अपने रिश्तेदारों और कर्मचारियों, नौकरों को कंपनियों का डायरेक्टर बना रखा था और उन्हीं के नाम पर बैंकों से सौ करोड़ का लोन ले रखा था।
चौंकाने वाली बात यह है कि सुभाष ने किसी बैंक को लोन का भुगतान नहीं किया, फिर भी लोन देने में बैंक अधिकारियों ने दिल खोलकर उसकी मदद की। फर्जीवाड़े के कई केस में बैंक अफसर भी आरोपी बनाए गए हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि गुरुमुख विला वीआइपी रोड पुरैना निवासी हरवंश लाल (54) के साथ शराब ठेकेदार सुभाष शर्मा ने जमीन की खरीद- फरोख्त में धोखाधड़ी की थी। हरवंश लाल की ओर से कोर्ट में दायर परिवाद के आदेश के आधार पर ठेकेदार सुभाष शर्मा समेत उसके बेटे विदित शर्मा, आजाद सिंह, उम्मेद सिंह, निर्मलेश्वर प्रसाद शर्मा, दिनेश दायमा, प्रफुल्ल अग्रवाल तथा पंजाब नेशनल बैंक लाल गंगा सिटी मार्ट शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक निखिल चौधरी के खिलाफ पुलिस ने जुलाई महीने में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था।
चूंकि धोखाधड़ी के दूसरे मामलों में सुभाष शर्मा के जेल में होने के कारण गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। लिहाजा पुलिस ने अपने यहां दर्ज प्रकरण में पूछताछ, साक्ष्य संकलन के लिए सुभाष शर्मा को दो दिन की पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया।
पीएनबी के एजीएम से मिलीभगत कर लिया 10 करोड़ का लोन पुरैना स्थित हरवंशलाल की बेशकीमती जमीन के आम मुख्तियार प्रकाश कलश से 4 मई, 2013 को जमीन खरीदने सुभाष ने सौदा किया और अपनी शर्मा विनट्रेड कंपनी के नाम पर जमीन खरीदने के एवज में 4 करोड़ 97 लाख 16 हजार रूपए का पोस्ट डेटेड चेक दिया, जो बैंक में जमा करने पर बाउंस हो गया।
इस बीच सुभाष ने कंपनी के फर्जी डायरेक्टरों के नाम पर पीएनबी के तत्कालीन एजीएम निखिल चौधरी से मिलीभगत कर जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसे पीएनबी में बंधक रखवा 10 करोड़ का लोन हासिल कर लिया।
जब लोन की किस्त का भुगतान नहीं हुआ तो बैंक ने हरवंश को नोटिस भेजा। तब हरवंश ने पतासाजी की तो फर्जीवाड़े का भांडा फूटा।