CG News : 500 साल पुरानी बावड़ी से निकली हनुमानजी की प्रतिमा

Latest CG News : छत्तीसगढ़ में रायपुर की पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन बावली (बावड़ी) की सफाई के दौरान हनुमान के आकार की प्रतिमा दिखाई देने से इलाके में भक्ति उल्लास छाया रहा। इस बावड़ी को स्थानीय लोग बावली कहते हैं।

Latest CG News : उज्जवल प्रदेश, रायपुर. छत्तीसगढ़ में रायपुर की पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन बावली (बावड़ी) की सफाई के दौरान हनुमान के आकार की प्रतिमा दिखाई देने से इलाके में भक्ति उल्लास छाया रहा। इस बावड़ी को स्थानीय लोग बावली कहते हैं। प्रतिमा दिखते ही उस पर सिंदूर का लेप किया गया और पूजन, आरती की गई। जैसे ही लोगों को प्रतिमा मिलने की जानकारी मिली लोग दर्शन करने बावली पहुंचने लगे।

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दर्शन करने बावली पहुंचे छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल ने बताया कि मंदिर की जब सफाई की जा रही थी, तब सफाई कर्मियों को बावली में हनुमान के आकार का पत्थर दिखाई दिया। इसके बाद बावली के समीप स्थित मंदिर के पुजारियों ने पूजा-अर्चना की। देखते ही देखते मंदिर में दर्शन करने भीड़ लग गई।

हो रही है बावड़ी की सफाई

‘बावली वाले हनुमान मंदिर’ स्थित प्राकट्य बावली की साफ सफाई का काम किया जा रहा है। बावली का पूरा पानी बाहर निकाला जा रहा था। बताया जा रहा है कि बावली की सफाई की जानकारी मिलते ही लोग यहां एकजुट होने लगे थे। ऐसा माना जा रहा था कि बावली के अंदर हनुमान जी की एक मूर्ति आज भी है, संभवत: उनके भी दर्शन हो जाएं या पुरानी वस्तुएं देखने और 500 साल पुरानी बावली की गहराई या कुछ अनोखे दृश्य भी मिल जाएं।

400 साल पहले इसी बावड़ी से निकली थीं तीन प्रतिमाएं

कर्मकार मंडल अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल ने बताया कि बावली 500 साल से अधिक प्राचीन है। इससे पहले भी इस बावली से लगभग 400 सौ साल पहले तीन हनुमान प्रतिमाएं मिलीं थीं। उनमें से एक प्रतिमा बावली के समीप स्थापित है और दूसरी प्रतिमा दूधाधारी मठ में और तीसरी प्रतिमा गुढ़ियारी इलाके मच्छी तालाब में प्रतिष्ठापित है। तीनों मंदिर राजधानी के ऐतिहासिक और प्रसिद्ध मंदिर हैं।

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500 साल पुराने पूर्वाभिमुख हनुमान

मंदिर के पुजारी पं.मोहन पाठक बताते हैं कि, उनके दादा-परदादा के जमाने से मंदिर में पूजा की जा रही है. उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना है कि 500 साल पहले घने जंगल में बनी बावली के भीतर ग्रामीणों को हनुमानजी की प्रतिमाएं दिखाई दी थी. ग्रामीणों ने तीनों प्रतिमाओं को निकालकर बावली के किनारे स्थित पेड़ के नीचे स्थापित करवाया. इस प्रतिमा का मुख पूर्व दिशा की ओर है।

गुढ़ियारी में दक्षिणमुखी हनुमान

गुढ़ियारी इलाके में रहने वालों को जब प्रतिमा निकलने की जानकारी हुई तो एक प्रतिमा वे गुढ़ियारी ले गए. वहां मच्छी तालाब के समीप प्रतिमा स्थापित की गई. यहां प्रतिमा का मुख दक्षिण दिशा की ओर होने से यह दक्षिणमुखी हनुमान के नाम से प्रसिद्ध है।

दूध पीने वाले महंत के नाम से पड़ा दूधाधारी मठ

बताया जाता है कि, तीसरी प्रतिमा मठपारा इलाके के मठ में स्थापित की गई. जब दूधाधारी मंदिर का निर्माण किया जा रहा था तब वहां निर्माण के समय दूध की धारा निकली थी, जिसके तर्ज पर मंदिर को दूधाधारी मठ के नाम पर रखा गया. इसी के साथ ही यहां के महंत हनुमानजी की पूजा करके दूध का ही आहार लेते थे. इसी वजह से मठ का नाम दूधाधारी मठ पड़ा. तीनों मंदिर चमत्कारी माने जाते हैं. अब तीनों ही जगह पर विशाल मंदिर बन चुका है।

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