Lucknow News: हाउस टैक्स निर्धारण के लिए घर बैठे बस करना होगा यह काम, दफ्तरों के चक्कर काटने से छुटकारा
जल्दी ही लोग जीपीएस (GPS) लोकेशन की फोटो अटैचकर अपने मकान का स्वयं घर बैठे गृहकर निर्धारण कर सकेंगे। लोगों को नगर निगम (Nagar Nigam) के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल जाएगी। बाबुओं व अधिकारियों के शोषण से भी लोग बच सकेंगे। मकान से जुड़े दस्तावेज व कमरों की साइज का विवरण भरते ही मकान का कर निर्धारण हो जाएगा।

लखनऊ
Lucknow News: नगर निगम (Nagar Nigam) गृहकर निर्धारण की ऑनलाइन सुविधा शुरू करने जा रहा है। इसके लिए काफी दिनों से काम चल रहा है। साफ्टवेयर तैयार हो गया है। इसका ट्रायल भी तीन दिन पहले हो गया है। अब केवल इसे शुरू करना है। जल्दी ही यह सुविधा शुरू होगी। इसके शुरू होने के बाद लोगों की हाउस टैक्स की समस्याएं स्वत: खत्म हो जाएंगी। लोगों को नगर निगम की साइट पर गृहकर निर्धारण का विकल्प मिलेगा। इसको खोलने पर भवन से सम्बंधित जानकारियां मांगी जाएंगी। लोगों को मकान के जमीन से जुड़े दस्तावेज अपलोड करने होंगे। इसके साथ मकान में बने हर कमरे की साइज, बाथरूम, बरामदे, किचेन व अन्य सभी निर्माणों का ब्योरा देना होगा। फिर मकान की जीपीएस लोकेशन की फोटो अटैच करनी होगी। सभी जानकारी भरने के बाद कर निर्धारण हो जाएगा। इसके बाद मकान का टैक्स स्वत: कैलकुलेट होकर स्क्रीन पर आ जाएगा। इसे जमा करने के लिए लिंक मिल जाएगा। लोग आन लाइन हाउस टैक्स भी जमा कर सकेंगे।
कुछ छुपाया या गलत जानकारी दी तो देना होगा चार गुना ज्यादा जुर्ना
ऑनलाइन गृहकर निर्धारण में अगर किसी ने कोई जानकारी छुपायी या फिर गलत क्षेत्रफल बताया तो उसे जुर्माना भरना पड़ेगा। अगर किसी ने दो मंजिल का मकान एक मंजिल का दिखाया तो वह जीपीएस लोकेशन की फोटो से पकड़ा जाएगा। इसी तरह अगर किसी ने एरिया व मकान के सामने की सड़क की चौड़ाई कम दिखायी तो भी वह पकड़ा जाएगा। ऐसे मामले में सम्बंधित व्यक्ति से हाउस टैक्स से चार गुना ज्यादा जुर्माना वसूला जाएगा।
10 प्रतिशत मकानों की जांच होगी
ऑनलाइन जो भी लोग कर निर्धारण करेंगे उनमें से 10 प्रतिशत लोगों के मकानों की जांच होगी। नगर निगम के टैक्स इंस्पेक्टर खुद इसकी जांच करने जाएंगे। जांच में अगर कुछ गलत मिलेगा तो कार्रवाई होगी। यानी हाउस टैक्स का चार गुना ज्यादा जुर्माना देना होगा।
आन लाइन गृहकर निर्धारण के लिए जीपीएस फोटो लगाना अनिवार्य होगा। इसे इसलिए जरुरी किया गया है ताकि लोग मकानों का क्षेत्रफल व तलों के निर्माण को छुपा न पाएं। जीपीएस लोकेशन की फोटो होने पर निगम को पता चल सकेगा कि मकान कितने मंजिल का बना है साथ ही नगर निगम कर्मियों को जांच के लिए मकान ढूंढने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
अशोक सिंह, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम