निजी कारणों से उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया इस्तीफा

नई दिल्ली
 दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बुधवार को अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया. उन्होंने अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंप दिया है. इस्तीफे के पीछे उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया है.

बैजल का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद जल्द ही सरकार नए उपराज्यपाल की घोषणा कर सकती है. बैजल ने 31 दिसंबर 2021 को उनके कार्यकाल के 5 साल पूरे किए थे. पांच साल से अधिक समय के कार्यकाल के दौरान कई ऐसे मौके आए जब उनकी दिल्ली की केजरीवाल सरकार से टकराव देखने को मिली.

पूर्व आईएएस अधिकारी बैजल को 31 दिसंबर 2016 को उप-राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उप-राज्यपाल बैजल और दिल्ली में शासित आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के बीच विभिन्न मुद्दों पर हमेशा से ही तनातनी रही है। इस साल भी कोरोना की चौथी लहर के दौरान ऑड-ईवन नियम पर दिल्ली सरकार और एलजी में एकराय नहीं बनी थी। इस दौरान एलजी अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था।

31 दिसंबर 2021 को उनके कार्यकाल के 5 साल पूरे हो चुके थे. हालांकि, दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है.

बता दें कि कई मामलों को लेकर आए दिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच टकराव की बातें सामने आती रही हैं.

दरअसल, बैजल ने एक साल पहले दिल्ली सरकार की 1000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी. भारतीय जनता पार्टी लगातार इस मामले में सीबीआई जांच की अपील कर रही थी.

उपराज्यपाल ने जो पैनल बनाया था, उसमें एक रिटायर्ड IAS ऑफिसर, विजिलेंस विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शामिल थे. इस मसले पर भी केजरीवाल सरकार से उनकी काफी खटपट हुई थी.

मुंडका अग्निकांड को लेकर एजली ने दिए हैं मजिस्ट्रियल जांच के आदेश

बता दें कि दिल्ली में 13 मई, 2022 को भयावह त्रासदी हुई थी। इसमें 27 लोगों की जिंदा जलने से मौत हो गई थी। इस हादसे पर एजली अनिल बैजल ने अग्निकांड की मजिस्ट्रियल जांच को मंजूरी दी थी। इसे छह सप्ताह के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। जिला मजिस्ट्रेट (पश्चिम) संबंधित विभागों और एजेंसियों की ओर से चूक की जांच करेंगे।

कौन हैं अनिल बैजल

अनिल बैजल वर्ष 1969 बैच के केंद्र शासित प्रदेश काडर के पूर्व आइएएस हैं। दिसंबर 2016 में उन्हें दिल्ली का उपराज्यपाल नियुक्ति किया गया था। गत 31 दिसंबर को बैजल पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। दिल्ली की बात करें तो यहां के प्रशासनिक फैसलों में उपराज्यपाल की भूमिका रहती है। 2015 से दिल्ली और केंद्र के बीच परस्पर विरोधी विचारधारा के चलते प्रशासनिक मामलों में टकराव रहा है। पहले उपराज्यपाल नजीब जंग और दिल्ली सरकार के बीच 36 का आंकड़ा रहा। उसके बाद शुरुआती सालों में अनिल बैजल का भी दिल्ली सरकार के साथ टकराव रहा है। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय और ईस्ट एंगिला यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।

दिल्ली में LG का पद अहम

बता दें कि दिल्ली के उप राज्यपाल का पद इस लिहाज से भी बेहद अहम हो गया है कि दिल्ली के उच्च न्यायालय ने यह साफ कर दिया है कि दिल्ली सरकार का प्रशासनिक प्रमुख उप राज्यपाल ही है।

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