इस जानलेवा वायरस के कारण हो रही कौओं की मौत, तेजी से विलुप्त हो रहे कौए

 
ग्वालियर

पितृपक्ष में पितरों को खुश करने के लिए कौओं को भोजन कराने लोगों को कई किलोमीटर भटकना पड़ रहा है। कौओं के नहीं मिलने का कारण है इनका तेजी से विलुप्त होना। कौओं के विलुप्त होने का कारण जानने के लिए आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंसर्वेशन ऑफ नेचर) अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ सहित विभिन्न संस्थाएं कार्य कर रही हैं।

फिलहाल कौओं के विलुप्त होने की जो वजह सामने आई है, वह है आसानी से मिल जाने वाले गायों का संक्रमित मांस कौओं द्वारा खाना। इस मांस के खाने से कौओं में पीएनवी वायरस फैल रहा है। यह वायरस कौओं के नर्वस सिस्टम को धीरे-धीरे खत्म कर रहा है। साथ ही घटते जंगल और पेड़ों का कम होना भी इनके विलुप्त होने की बड़ी वजह मानी जा रही है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों में मान्यता है कि श्राद्ध के दिनों में कौओं को कराया गया भोजन सीधे उनके पितरों के पेट में जाता है। पितरों का पेट भरने वाले कौओं की संख्या विगत कुछ सालों में बेहद घट गई है। इसका कारण पीएनवी (पेरामिक्सो वायरस 1) को माना गया है। यह वायरस भारत में सबसे पहले 1996 में तमिलनाडु में पाया गया था।

इस वायरस की खोज पी राय ए.टी वैणुगोपालन ने की थी। इस पर रिसर्च करने के लिए 1998 में रिसर्च पेपर जारी किया गया। इस वायरस को ही कौओं की मौत की सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है। यह वायरस मनुष्य के संपर्क में रहने वाले जानवरों में पाया जाता है। इस वायरस के कारण कौओं में न्यू कास्टल बीमारी फैल जाती है जिससे धीरे-धीरे इनका नर्वस सिस्टम काम करना बंद कर देता है।

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