उत्तराधिकार में हुईं उपशास्त्रीय गायन एवं ओडिसी नृत्य की प्रस्तुतियाँ

भोपाल
मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में परम्परा, प्रदर्शनकारी कला एवं नवांकुरों के लिए स्थापित श्रृंखला 'उत्तराधिकार' में आज 'उपशास्त्रीय गायन' एवं 'ओडिसी नृत्य' की प्रस्तुतियाँ संग्रहालय सभागार में हुईं|
कार्यक्रम की शुरुआत काकुली सरकार ने अपने साथी कलाकार के साथ उपशास्त्रीय गायन से की| जिसमें उन्होंने राग बिहाग विलम्बित एक ताल में 'मेरो मन लागो मोहन सो' प्रस्तुत करते हुए, राग बिहाग तीन ताल में 'अबहू लालन मैं कां' प्रस्तुत किया| इसके पश्चात राग कलावती में भजन 'मैं हरी पतित पावन सुने' और 'मैं कृष्ण कहूं या राम' प्रस्तुत कर दर्शकों को भाव से भर दिया| इसके बाद कलाकारों ने राग देस में 'हे गोविन्द हे गोपाल' प्रस्तुत किया| काकुली सरकार ने अपनी प्रस्तुति का अंत राग दरबारी में मंत्र 'जपते रहो राम-राम-राम' प्रस्तुत कर किया| इस प्रस्तुति में काकुली सरकार का सहयोग गायन में देवोत्तम शर्मा ने दिया| संगतकारों में तबले पर अंशुल प्रताप सिंह ने, हारमोनियम पर दुर्गेश पाण्डेय ने, तानपुरे पर सुशील रॉय और तरुण प्रीत कौर ने सधी हुई संगत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया|
गायन के पश्चात् झेलम परांजपे ने अपने साथी कलाकारों के साथ 'ओडिसी नृत्य' की शुरुआत राग मलिका एक ताल में 'देवी स्तुति' 'जाटाजूट समयुक्ता' पर नृत्य प्रस्तुत कर की| इस प्रस्तुति में माँ दुर्गा के रूपों का बखान व नृत्य मुद्राओं से उनके स्वरुप को मंच पर बिम्बित करने का प्रयास कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से किया| देवी स्तुति के बाद 'बट्टू' की प्रस्तुति हुई, बट्टू में वाद्य यंत्रों जैसे सितार, बांसुरी मरदल या पखावज और मंजीरा के वादन को नृत्याभिनाय कौशल से कलाकारों ने मंच पर प्रस्तुत किया| बट्टू के बाद कलाकारों ने विष्णु के 'दशावतार' पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुत किया| इस प्रस्तुति में विष्णु भगवान के सभी अवतारों और उनके रूप का बखान किया गया| दशावतार के बाद राग मलिका ताल मलिका में 'महा चोखा मेडा' के कृष्ण प्रेम को मंच पर कथा स्वरुप में कलाकारों ने प्रस्तुत किया| जिसमें महा चोखा मेडा एक कृष्ण भक्त हैं, जो अपने प्रभु से मिलने के लिए व्याकुल हैं| अतः अंत में महा चोखा मेडा का साक्षात्कार उसके प्रभु से हो ही जाता है| झेलम परांजपे ने अपने साथी करलकारों के साथ अपनी प्रस्तुति का अंत भैरवी में 'मोक्ष' पर ओडिसी नृत्य प्रस्तुत कर किया| इस प्रस्तुति में झेलम परांजपे का साथ मंच पर अंकुर बल्लाल, दीपाली टीकम, रुपाली कदम, सुमेध पवार, अपूर्वा दानी, अनीशा रमानी और स्वप्निल पांचाल ने दिया| इस प्रस्तुति का निर्देशन झेलम परांजपे ने किया|
प्रस्तुतियों के दौरान श्रोताओं और दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया|
काकुली सरकार शास्त्रीय, उपशास्त्रीय और सुगम संगीत की लोकप्रिय एवं सुप्रसिद्ध गायिका हैं| इन्होंने स्वर्गीय पंडित सखाराम शिवनारायण गोशालेवाले जी, ए.यस करकरे, जी.जे मोरोणे और डॉ. रामदास मंगूरे जी से संगीत का प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया| काकुली सरकार ने देश के विभिन्न कला मंचों पर अपने गायन की प्रस्तुतियाँ दी हैं| झेलम परांजपे को कई प्रतिष्ठित सम्मानों और पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है| झेलम परांजपे ने देश-विदेश के विभिन्न कला मंचों पर नृत्य की कई मोहक प्रस्तुतियाँ दी हैं|