एशियाड पदक विजेता मुस्कान बोली : एक सपना पूरा हुआ, अभी एक बाकी

जबलपुर
एशियन गेम्स में पदक जीतना मेरा सपना था। अभी एक बाकी है। जिस दिन विश्व चैंपियनशिप में देश के लिए पदक विजेता प्रदर्शन करूंगी उस दिन मेरा एक और सपना पूरा होगा। यह बात अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज मुस्कान किरार ने कही। जकार्ता एशियन गेम्स में भारत को रजत पदक दिलाने वाली मुस्कान की गुरुवार को गृहनगर वापसी हुई। हवाई अड्डे पर उनका प्रशंसकों ने शानदार स्वागत किया।
18 वर्षीय मुस्कान ने कहा कि जबलपुर से एशियन गेम्स (जकार्ता) तक का सफर आसान नहीं था। जब मैं हरियाणा में भारतीय तीरंदाजों के साथ शिविर में अभ्यास कर रही थी। तब मुझे इस बात का अहसास नहीं था कि तीरंदाजी के खिताबी मुकाबले तक पहुंच जाऊंगी। चूंकि यह मेरा पहला एशियन गेम्स था, इसलिए अनुभवी तीरंदाजों के बीच खेलने को लेकर एक डर और दबाव तो था। लेकिन मेरे कोच (रिचपाल सिंह) मुझसे हमेशा एक ही बात कही- तुम्हारे लिए इससे अच्छा मौका नहीं होगा, बस अपने पर भरोसा करना सीखो और टीम के लिए बेस्ट करो।
माता-पिता ने प्रोत्साहित किया, कोच ने हौसला दिया
घर में तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी 12वीं की छात्रा मुस्कान को पिता वीरेन्द्र और माता माला किरार ने खेलने को लेकर खूब प्रोत्साहित किया। नगर की बेटी अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज के अनुसार स्थानीय रानीताल अकादमी में तीरंदाजी अभ्यास को लेकर मैं इतनी गंभीर थी कि कई बार पढ़ाई की सुध ही नहीं रही। लेकिन परिवार का मेरे ऊपर कभी दबाब नहीं रहा।