ओबीसी वर्ग के खिलाफ हो रहे 80 फीसदी मामले दर्ज: सपाक्स

भोपाल
सपाक्स समाज संस्था का आरोप है कि एट्रोसिटी एक्ट में दर्ज होने वाले 100 में से 80 प्रकरण ओबीसी वर्ग के परिवारों के विरूद्ध ही दर्ज होते हैं। ओबीसी को इस एक्ट के समाप्त होने के बिना कोई राहत नहीं मिल सकती है। यह आरोप संस्था के प्रांताध्यक्ष डा. केएल साहू ने लगाया है।

उन्होंने कहा कि सपाक्स संस्था ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के लिए संकल्पित है। किंतु वर्तमान में एससी-एसटी वर्ग को 36 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाने से यह संभव नहीं हो पा रहा है। हमारी मांग है कि एससी-एसटी एवं ओबीसी को उनकी आबादी के प्रतिशत का आधा आरक्षण दिया जाये। शेष सामान्य वर्ग के गरीबों को मिले। क्या अजाक्स इस मांग को मानने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था संविधान में सिर्फ अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग को है। अन्य पिछड़ वर्ग को यह कभी नहीं मिल सकता है। सरकारें कोई भी घोषणा करें। यह व्यवस्था न्यायालय के समक्ष कभी नहीं टिक सकती है। साहू ने गणित गिनाया है कि ओबीसी वर्ग में कोई भी व्यवक्ति आरक्षण के लिए 8 लाख रूपये तक की वार्षिक आय होने पर पात्र रहते हैं। पूरे परिवार की समस्त स्त्रोतों से वार्षिक आय 8 लाख से अधिक होने पर सामान्य वर्ग की श्रेणी में आ जाते हैं। उन्होंने ओबीसी से संबंधित अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया है।

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