प्रदेश में पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब आॅनलाइन, नहीं हो सकेगी छेड़छाड़
भोपाल
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में जल्द ही प्रदेश के थानों में दर्ज होने वाले मर्ग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आॅनलाइन अपलोड की जाएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आॅनलाइन करने के संबंध में मेडिकोलीगल संस्थन, स्वास्थ विभाग और पुलिस ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया जाता है कि क्राइम कंट्रोल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) में भी पीएम रिपोर्ट अपलोड की जाएगी।
रिपोर्ट आॅनलाइन होने के बाद उसमें छेड़छाड़ और सुधार की गुंजाइश नहीं रह जाएगी। साथ ही पीड़ित पक्ष और पुलिस और विवेचना से जुड़े अधिकारियों को रिपोर्ट आसानी से सकेगी। प्रदेश में यह सिस्टम लागू होने के बाद देश का दूसरा राज्य होगा। इसके पहले हरियाणा में पीएम रिपोर्ट को आॅनलाइन किया जा चुका है।
दरसल पूरा मामला यह है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही पता चलता है कि आखिर व्यक्ति की मौत का कारण क्या रहा है। अभी तक हस्तलिखित रिपोर्ट बनती थी जिसमें डॉक्टर अपना विश्लेषण और निष्कर्ष देते थे। कई बार ऐसा हुआ कि पुलिस जब अदालत में पीएम रिपोर्ट प्रस्तुत करती थी तो हस्तलिखित होने के कारण, अदालत को ही रिपोर्ट समझने में परेशानी होती था। अदालत में अधिवक्ता भी कई बार आपराधिक मामलों की जिरह में अपने हिसाब से रिपोर्ट की व्याख्या करते थे। इसके अलावा पीड़ित पक्ष में भी रिपोर्ट को लेकर असमंजस में बना रहता था। अब जबकि पीएम रिपोर्ट को आॅनलाइन अपलोड किया जाएगा तो इस तरह की दिक्कते नहीं होगी।
पीएम रिपोर्ट सार्वजनिक रहेगी तो इसमें गड़बड़ी और हेरफेर की आशंका भी नहीं रहेगी। कई मामलों में शार्ट पीएम और मुख्य पीएम रिपोर्ट हस्तलिखित होने के कारण डॉक्टर्स के ओपिनियन में अंतर दिखता है। अब आॅनलाइन रिपोर्ट में एक – एक बिंदु स्पष्ट रहेगा। यदि कोई हेरफेर या गलती होती है तो आॅनलाइन प्रक्रिया में उसे तुरंत पकड़ा जाएगा। आपराधिक मामलों की जांच में पीएम रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है। पीएम रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस प्रकरण दर्ज करते समय धाराओं का निर्धारण करती है। हत्या या संदिग्ध मौत में पीएम रिपोर्ट से ही स्थिति स्पष्ट होती है।
पीएम रिपोर्ट पुलिस के सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट से भी कनेक्ट रहेगी। इससे किसी भी थाने और पुलिस के वरिष्ठ कार्यालय में किसी भी केस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखा जा सकेगा। पुलिस की एफएसएल युनिट को सीसीटीएनएस से कनेक्ट करने का काम चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इसमें एक साल का समय लग जाएगा, यह इस लिए कि पिछले केसों की रिपोर्ट को भी आॅनलाइन किया जाना है।