फाइनल परीक्षा दे चुके छात्र से मांगा जा रहा सेकंड सेम का प्रमाण

ग्वालियर।
जीवाजी विश्वविद्यालय में परीक्षा संबंधी रिकार्ड रखे जाने में इस कदर लापरवाही हुई है कि कई छात्रों को परीक्षा देने के बाद भी इस बात का रिकार्ड पेश करना पड़ रहा है कि उन्होंने परीक्षा दी थी। ऐसा ही एक प्रकरण पीजी कॉलेज गुना के बीए के छात्र गणेश शंकर का है। फायनल सेम की परीक्षा देने के बाद छात्र से द्वितीय सेम एटीकेटी परीक्षा में शामिल होने का रिकार्ड मांगा गया। यह रिकार्ड उपलब्ध कराने के बाद भी छात्र को महीनों से चक्कर लगवाए जा रहे हैं।
बदरवास जिला गुना से जीवाजी विश्वविद्यालय आए छात्र गणेश शंकर ने बताया कि उसने द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा प्रायवेट परीक्षार्थी के रूप में जून 2015 में दी थी। इस परीक्षा में एटीकेटी आने पर उसने यह परीक्षा भी दे दी। अंकसूची कॉलेज में आई नहीं,लेकिन उसकी अगली कक्षाओं के परीक्षा फार्म निर्वाध भरते रहे। इसके बाद उसने तृतीय,चतुर्थ,पंचम व इसी साल षष्टम सेमेस्टर की परीक्षा दी।
जब कॉलेज में अंकसूची नहीं पहुंची तो यहां आकर संपर्क किया। संपर्क करने पर बताया गया कि उसकी द्वितीय सेमेस्टर की एटीकेटी परीक्षा के अंक नहीं चढ़ने के कारण उसका परीक्षा परिणाम रोक दिया गया है। छात्र ने बताया कि वह एटीकेटी की परीक्षा दे चुका है। कॉलेज में बताया गया था कि वह पास भी हो चुका है। इसके बाद ही उसने आगे के सेमेस्टर की परीक्षाएं पास की है।
जेयू के अधिकारियों-कर्मचारियों ने छात्र से द्वितीय सेम एटीकेटी परीक्षा देने का प्रमाण मांगा। यह प्रमाण भी छात्र गणेश शंकर ने लाकर दे दिया है। इस प्रमाण के लाने के बाद छात्र के अंक परीक्षा भवन से निकलवाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
अपनी समस्या बताते-बताते छात्र गणेश शंकर रुआंसा हो गया। छात्र ने बताया कि वह जेयू के कई चक्कर लगा चुका है। हर बार अधिकारी आज-कल करते रहते हैं। गरीब परिवार से होने के कारण बदरवास से यहां आना मुश्किल होता है। वह यहां रुकने-खाने का खर्च भी नहीं उठा सकता,इसलिए जब दिन में काम नहीं होता तो उसे वापस बदरवास जाना पड़ता है।
खास बात यह है कि एटीकेटी परीक्षा में शामिल होने के बाद हर छात्र को अपने अंक अपडेट कराने के लिए जेयू का चक्कर लगाना पड़ता है। एटीकेटी परीक्षा में पास होने के बाद अंक स्वतः अपडेट नहीं होते। कई बार अंकों का रिकार्ड निकलवाने के लिए छात्रों से परीक्षा केन्द्र से परीक्षा देने का प्रमाण पत्र लाने को कहा जाता है। हर दिन इस तरह की समस्याओं के आने के बाद भी जेयू अधिकारियों ने इस तरह की समस्या का कोई स्थाई हल नहीं निकाला है।