ग्वालियर
हाईकोर्ट ने फूटी कॉलोनी में रह रहे सैकड़ों लोगों को बेदखल करने का आदेश पिछले दिनों जारी किया है जिसके बाद प्रशासन ने इन्हें नोटिस थमाए है। बेघर होने से बचाने के लिए गुहार लगाने सैकड़ों पुरुष और महिलाए ओने बच्चों के साथ शनिवार को हाईकोर्ट के बाहर पहुँच गए और कई घंटे तक वहीँ बैठे रहे। हालाँकि यहाँ से उन्हें कोई रहत नहीं मिली।
दरअसल मुरार बारादरी में रहने वाले उदयवीर सिंह ने एक जनहित याचिका 2009 में दायर की थी जिसमें उन्होंने फूटी कॉलोनी में अवैध अतिक्रमण का मुद्दा उठाया था। इसे लेकर हाई कोर्ट ने पूर्व में आदेश जारी किए थे कि कलेक्टर 2 महीने में इस मामले का निराकरण करें। तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि ने फूटी कॉलोनी में रहने वाले लोगों को वहां से विस्थापित नहीं करने और उनके हक में पट्टे वितरित करने जैसी कार्रवाई की अनुशंसा शासन से की थी। लेकिन इस पर अवमानना याचिका दायर की गई ।अवमानना याचिका में इसी महीने 11 सितंबर को फिर सुनवाई हुई थी। जिसमें हाई कोर्ट ने फूटी कॉलोनी में अतिक्रमण मानते हुए उन्हें बेदखली का आदेश दिया था। इस पर जिला प्रशासन ने फूटी कॉलोनी के लोगों को नोटिस जारी किए थे। 2 दिन पहले जारी किए गए नोटिस से घबराए फूटी कॉलोनी के लोगों ने माकपा के साथ मिलकर कलेक्ट्रेट शुक्रवार को भी प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा था। शनिवार को यह लोग कोर्ट के मेन गेट पर आकर बैठ गए।
यहां बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष आए थे। उनको उम्मीद थी कि कोर्ट से उन्हें फौरी तौर पर कोई राहत मिल जाएगी ।लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया ।स्थानीय लोगों का कहना है कि एक ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह घोषणा करते हैं कि जो जहां रह रहा है उसे हटाया नहीं जाएगा। दूसरी तरफ उन्हें बेदखल किया जा रहा है। उनके पास खुले आसमान के नीचे रहने के अलावा कोई चारा नहीं है ।यह सभी लोग बेहद कमजोर वर्ग से हैं ।हाई कोर्ट के फैसले के बाद यह लोग मायूस होकर वहां से चले गए ।लेकिन करीब 3 घंटे तक वे हाईकोर्ट के मुख्य द्वार पर ही डेरा जमाए बैठे रहे थे। इन लोगों ने प्रधानमंत्री से भी उनकी मदद की अपील की है।