भोपाल के आदेश का पालन नही… आपराधिक, वेतन वृद्धि रुके होने के बाद भी संविलियन सूची मे अध्यापको को किया पात्र!

रीवा
अध्यापक संवर्ग को शिक्षा विभाग में संविलियन की के लिए जारी की गई अनंतिम/प्रावधानिक सूची में भारी गड़बड़ी सामने आई है। इस सूची में राजनेताओं और शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों सहित प्रदेश के बड़े अधिकारियों के रिश्तेदारों को लाभ देने के लिये अध्यापकों की गड़बड़ियों को छुपाते हुए उन्हें पात्र कर दिया गया है। सूची में प्राथमिक तौर पर अभी जो गड़बड़ियां सामने आई है उसमें से विनोद पांडेय का लोकायुक्त प्रकरण हटाकर पात्र कर दिया गया है क्योंकि ये  प्रदेश के एक मंत्री के भांजे बताए जा रहे हैं, रतना त्रिपाठी को भी लोकायुक्त प्रकरण हटाकर लाभ दिया गया क्योंकि इनके पति हाईकोर्ट में वकील है और जिला शिक्षा कार्यालय में स्थापना 3 के लिपिक दयाशंकर अवस्थी का पदोन्नति निरस्त होने पर हाईकोर्ट में स्टे के लिए इन्हें ही वकील नियुक्त किया था, अरुण सिंह को भी लोकायुक्त प्रकरण हटाकर लाभ दिया बताया गया है कि इनके पिता कमिश्नर कार्यालय मे पदस्थ तो वही अरुणा शुक्ला को भी लोकायुक्त प्रकरण हटाया गया।  तो वहीं रीवा जिले में दर्जनों ऐसे शिक्षक है जिनके ऊपर अपराधिक प्रकरण दर्ज हैं व कई माह तक जेल में भी रहे हैं। न्यायालय में मामला  भी चल रहा है लेकिन उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और उन्हें पात्र कर दिया गया है। साथ ही जिले मे 3 दर्जन से ज्यादा शिक्षक जिनकी वेतन वृद्धि रुकी हुई है फिर भी उन्हें पात्र बना दिया गया है इनमें से कई ऐसे हैं जो जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा बनाई गई छानबीन समिति के सदस्यों के सगे रिश्तेदार व पारिवार से हैं।

कही मंत्री को हराने की साजिश तो नही….
गत दिवस अध्यापक संविलियन सूची में हुई विसंगति को लेकर प्रदेश के मंत्री राजेंद्र शुक्ल से मुलाकात की तो उन्होंने अध्यापकों को जिला कलेक्टर से मिलने के लिए कहा और फोन पर बात कराने के लिए भी कहा लेकिन जब अध्यापक कलेक्टर से मिलने गए तो कलेक्टर ने अवकाश होने की बात कहकर मिलने से इंकार कर दिया। तब सभी अध्यापक  मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत से मुलाकात की और पूरे मामले से अवगत कराया जिसके बाद देर शाम सूची जारी कर दी गई। सूची में भारी विसंगतियां सामने आई । लेकिन वही जो  बड़े अधिकारियों और नेताओं के सगे संबंधी थे उन्हें लाभ दे दिया गया। चर्चाओ में है कि मंत्री जी के कहने के बाद भी इस सूची में निष्पक्षता सामने नहीं आई। कहीं यह पूरी साजिश के तहत तो नहीं किया जा रहा है यदि इसी तरह में विसंगतपूर्ण रहा तो स्थानीय मंत्री को आने वाले चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि जिन समस्याओं को लेकर अध्यापक मंत्री से मिले लेकिन उसका निदान नहीं हो सका बल्कि की सूची जारी होने के बाद से और भी प्रताड़ित हो रहे हैं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Join Our Whatsapp Group