मिल बांचे कार्यक्रम में डाॅ.अनिल तिवारी ने शिक्षक को परिभाषित किया

स्वामी विवेकानंद विवि के संस्थापक कुलपति ने मिल आज मिल बांचे कार्यक्रम में वालेंटियर के रूप में शासकीय माध्यमिक शाला सिरोंजा पहुँचकर छात्रों के लिये मिल बांचे कार्यक्रम का स्वरूप बताया और माध्यमिक शाला के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा के स्तर को किस प्रकार प्राप्त करना है तथा अपने देश व राज्य के नाम को रोशन कैसे कर सकते हैं तिवारी जी ने बच्चों को अपनी दिनचर्या नियमित हो एवं योग, प्राणायम को अपनाये जिससे छात्र, स्वस्थ रहेगें और स्वस्थ्य व्यक्ति में ही स्वस्थ्य मस्तिष्क होता है ऐसे छात्र अपनी मंजिल को पाने में शीघ्र सफल होते हैं।
छात्र अपनी एवं विद्यालय की साफ-सफाई पर विषेष ध्यान दें छात्रों को यदि अपने जीवन में आगे बढ़ना है तो एक लक्ष्य बनाकर चलना होगा कि षिक्षा का स्वरूप किस प्रकार का हो यह षिक्षकों की जवाबदेही हैं शिक्षक के मायनेः- षि-षिष्टाचार, क्षः- क्षमाषील, कः- कर्तव्यनिष्ठ। के गुण षिक्षक में होना आवष्यक है। मिल बांचे कार्यक्रम मध्यप्रदेष के लाखों बच्चों के लिये एक प्रेरणा का कार्य करेगा। आज हमारे बच्चें संकल्प लेंगें की खूब पढे़, खूब बढे़। और मध्यप्रदेष शासन द्वारा चलायी जा रही लाभकारी योजनाओं का लाभ लें मध्यप्रदेष को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा करें आज का छात्र देष का भविष्य होता है और इन नौनिहालों को सही दिशा में ले जाकर देष एवं प्रदेष की दिषा एवं दशा ये छात्र ही परिवर्तित कर सकते है। इसके उपरांत समस्त स्कूली छात्र-छात्राओं को नषा मुक्ति हेतु शपथ दिलाई जिसमें न स्वंय कभी नषा करेंगें न ही अपने परिवार व आस पड़ोस में नषा होनें देगें। नषे से गांव, शहर, व देश का विकास कभी संम्भव नहीं है।
इस कार्यक्रम में समस्त शिक्षकों के साथ संयुक्त संचालक षिक्षा जेडी सागर श्री आर.एन. शुक्ला भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।