हिंदू महासभा के गढ़ में अटल भी नहीं जीत पाए थे सिंधिया का किला

ग्वालियर का जय विलास महल हमेशा से ही मध्य प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहा है. आज़ादी के बाद यही महल रजवाड़ों की राजनीति का गढ़ था. ये वो लोकसभा सीट है जहां देश के पहले आम चुनावों में हिंदू महासभा के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. कई मायनों में नागपुर के बाद हिंदुत्व की राजनीति का इतिहास यहां से भी जुड़ा हुआ है. सिंधिया खानदान के नेता चाहे वो कांग्रेस में रहे या फिर जनसंघ-बीजेपी में, इस सीट ने उन्हें कभी निराश नहीं किया.

साल 1984 के चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी को भी यहां से हार का सामना करना पड़ा. जब अटल पीएम बन गए तो शहर के नया बाजार की बहादुरा स्वीट्स के लड्डुओं को 'पीएम पास' के नाम से भी जाना जाता था. आज शिवपुरी विधानसभा और गुना लोकसभा के अलावा सिंधिया परिवार का असर कहीं सीधे तौर पर दिखाई नहीं देता. हालांकि इस शहर से गुजरते हुए इस सिंधिया परिवार के इतिहास से बच कर निकलना लगभग नामुमकिन नज़र आता है.

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