सिंगल यूज प्लास्टिक बनाने वाले 11 उद्योग बंद किए गए तो अब चोरी-चोरी गुजरात से आने लगा सामान

इंदौर
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने पालदा, सांवेर, राऊ और खंडवा में सिंगल यूज प्लास्टिक का सामान बनाने वाले 11 उद्योगों को बंद किया, लेकिन इसे बेचने और उपयोग करने वाले फिर भी बाज नहीं आ रहे हैं। अब सिंगल यूज प्लास्टिक का सामान गुजरात से चोरी-चोरी इंदौर लाया और बेचा जा रहा है। एक जुलाई से इंदौर सहित देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादों पर रोक लगाए जाने के बाद भी शहर के कारोबारियों ने इसका मोह नहीं छोड़ा है। जानकारी हो कि सिंगल यूज प्लास्टिक केमिकल से बनता है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। इसी कारण सरकार ने इसके उपयोग पर देशभर में प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। हर शहर में इसके उपयोग पर रोक लगाने की जिम्मेदारी नगरीय निकायों को दी हुई है।

मालूम हो कि प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कई प्रतिष्ठानों पर हो रहा है। यहां दुकानों, रेस्त्रां, होटलों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए केवल खानापूर्ति की जा रही है। प्लास्टिक व थर्माकोल के डिस्पोजेबल वस्तुएं बेचने वाली दुकानों पर निगम द्वारा सख्ती नहीं की गई है। यही वजह है कि बाजार में उपभोक्ताओं को ये उत्पाद आसानी से उपलब्ध हैं। वहीं, बात करें तो इंदौर बड़ा व्यापारिक केंद्र होने से दूसरे शहरों से आने वाली प्लास्टिक यहां खपाई जा रही है। कई व्यापारी गुपचुप तरीके से अमानक प्लास्टिक बैग बेच रहे हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादों को रोकने के लिए नगर निगम कार्रवाई तो कर रहा है, लेकिन यह कार्रवाई बेमानी साबित हो रही है।जानकारी के अनुसार होटल, रेस्त्रां, मिठाई व किराना की दुकानों पर प्लास्टिक के चम्मच, गिलास, थर्माकोल के कप, दोने आदि सामग्री का उपयोग हो रहा है। साथ ही पैक्ड जूस और लस्सी में भी कंपनियां प्लास्टिक की स्ट्रा का उपयोग कर रही हैं। मालूम हो कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल की गाइडलाइन के अनुसार, सिंगल यूज प्लास्टिक की 19 तरह की सामग्री पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसमें प्लास्टिक के चम्मच, स्ट्रा, गिलास, मग, ट्रे, मिठाई के डिब्बों पर लगने वाली पतली फिल्म आदि सामग्री शामिल हैं।

इन उत्पादों पर है रोक

  • सजावट में उपयोग होने वाले थर्माकोल, प्लास्टिक के पैकिंग पेपर
  • प्लास्टिक व थर्माकोल के प्लेट्स, कप, गिलास, चम्मच, चाकू ट्रे व स्ट्रा।
  • मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण पत्र, सिगरेट पैकिंग कवर वाली प्लास्टिक फिल्म
  • प्लास्टिक के स्टीकर्स
  • प्लास्टिक स्टिक वाली इयर बड
  • गुब्बारे में उपयोग होने वाली प्लास्टिक स्टिक
  • प्लास्टिक के झंडे
  • कैंडी स्टिक
  • आईस्क्रीम स्टिक

प्रतिबंध को चुनौती

  • किराना दुकान पर प्लास्टिक के इयर बड्स, नारियल पानी के ठेले पर प्लास्टिक के स्ट्रा, उपहार की दुकान पर प्लास्टिक के गिफ्ट पेपर मिल रहे हैं।
  • कई रेस्त्रां और दुकानों पर प्लास्टिक व थर्माकोल के कप-प्लेट मिल रहे हैं।
  • सिगरेट के पैकेट की पैकिंग अब भी प्लास्टिक से हो रही है।
  • खाने-पीने के उत्पादों की डिलीवरी के लिए प्लास्टिक के कंटेनर, पालीथिन का उपयोग किया जा रहा है।
  • शहर के अलग-अलग इलाकों में फल व सब्जी विक्रेता ग्राहकों को अमानक पालीथिन में सामग्री दे रहे हैं।

केवल धार्मिक स्थलों और कुछ कार्यालयों में असर

  • नगर निगम ने खजराना गणेश मंदिर को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त परिसर बनाने की कवायद की है। मंदिर परिसर में प्लास्टिक व गत्ते के पैकेट में मिलने वाली अगरबत्तियों को खुले रूप में दिया जाना शुरू किया है। मिठाई के डिब्बों पर चमकीली पन्नाी लगाना भी बंद किया गया।
  • इंदौर विकास प्राधिकरण में डिस्पोजेबल कप की जगह अब कांच के गिलास में चाय दी जा रही है। इसी तरह आइटी पार्क में मौजूद कंपनियों ने भी अपने परिसर को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त करने के कदम उठाए हैं।

जुर्माना वसूला गया
निगम अधिकारियों का दावा है कि बीते दो महीने में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करने वाले 511 लोगों व प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई की गई है। इनसे एक लाख 64 हजार 650 रुपये जुर्माना वसूला गया।सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों पर रोक लगाने के लिए निगम द्वारा शहर के प्रमुख बजारों में अनाउंसमेंट कराया गया। शहर में प्रमुख प्रतिष्ठानों, उद्योगों व विक्रेताओं के साथ बैठक और चर्चा की। सभी को समझा दी गई कि वे सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग और निर्माण न करें। पर सख्त कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई।

क्या कहते हैं अफसर…
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी के अनुसार हमारा काम सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाले उद्योगों पर नियंत्रण करने की जिम्मेदारी है, वह हमने पूरी की है। उद्योगों में इनका निर्माण बंद करने की हमने जांच की और सत्यापन भी करा लिया है। इसके उपयोग, बिक्री और परिवहन पर रोक लगाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है।

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