4 दिनों से धारा 144 के साये में हैं ग्वालियर, पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल

ग्वालियर
ग्वालियर में प्रशासन ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर अनिश्चित काल के लिए धारा 144 लगा रखी है. धारा 144 लगाने के पीछे प्रशासन की दलील भले ही कानून व्यवस्था बनाए रखना हो, लेकिन जन आंदोलनकारी, समाजिक कार्यकर्ता, कानूनविदों से लेकर आम लोग वर्तमान हालातों में ग्वालियर में धारा 144 लगाने को गैर-जरूरी बता रहे हैं. इन हालात को लेकर पुलिस प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

ग्वालियर जिले में पिछले 24 सितंबर से धारा 144 लगाई हुई है. लिहाजा अब रैली, जुलूस-जलसे, विरोध-प्रदर्शन आदि प्रशासन की लिखित मंजूरी के बिना गैर कानूनी है. एसपी नवनीत भसीन का कहना है कि धारा 144 का मकसद ये है कि जनता सारे काम शांतिपूर्ण तरीके से करें. ग्वालियर में धारा 144 को लेकर सपाक्स मैदान में आ गई है. दरअसल, धारा  144 के बाद आंदोलन कारियों से निपटना पुलिस और प्रशासन के लिए थोड़ा आसान हो गया है. आंदोलन कारियों का कहना है कि प्रशासन ने एक पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए धारा 144 लगाई है, जिससे आंदोलनों पर प्रशासनिक जोर के सहारे काबू किया जा सके.

धारा 144 को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि विरोध प्रदर्शन करना हर व्यक्ति का लोकतांत्रिक अधिकार है. शहर में हो रहे आंदोलन इतने हिंसक नहीं थे, जिनके लिए यह धारा लगाई गई है. सामान्य हालातों और बेहतर माहौल में धारा 144 लगाना संवैधानिक अधिकारों का हनन है. कानूनविदों का कहना है कि धारा 144 लगाने के लिए कोई ठोस वजह होनी चाहिए. हाल के दिनों में ग्वालियर के आंदोलनों में ऐसे हालात नहीं बने हैं, जिसमें भारी हिंसा या फिर बवाल हुआ हो, लिहाजा धारा 144 लगाने का मतबल जनता को दबाना और कानून का गलत इस्तेमाल करना है.

ग्वालियर एसडीएम संदीप केरकेटा ने दावा किया है कि कई संगठनों द्वारा फेसबुक, व्हाट्सएप व ट्वीटर पर भ्रामक जानकारियां फैलाई जा रही है. सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक कई संगठनों द्वारा आंदोलन चलाए जा रहे हैं, लिहाजा विपरीत हालात को रोकने के लिए ही धारा 144 लगाई गई है. उन्होंन कहा कि धारा लगी होने के बाद भी पूर्व अनुमति प्राप्त आयोजन को छूट दी जाएगी.

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