MP में शुरू हुआ भूतों का मेला, दूर हो जाती पल भर में प्रेत बाधा
Bhooton ka Mela in Betul : 400 वर्षों से अधिक समय से चिचोली तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम मलाजपुर में भूतों के मेले में बुरी आत्माओं, भूत-प्रेत और चुड़ैल से प्रभावित लोग एक पेड़ की परिक्रमा करते हैं।
Malajpurs Ghost Fair : उज्जवल प्रदेश, बैतूल. मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मलाजपुर में प्रसिद्ध दरबार श्री गुरु साहब बाबा संत देव जी समाधि स्थल पर पौष पूर्णिमा पर निशान चढ़ाकर विधिवत् पुजन अचर्न कर मेले (bhooton ka mela) शुभआरंभ किया गया।
मेले के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रध्दालु उमड़ पड़े जिसमें राजस्थान महाराष्ट्र तमिलनाडु आंध्र प्रदेश हरियाणा राजस्थान उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँच रहे है।
आपको बता दें कि पिछले 400 वर्षों से अधिक समय से चिचोली तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम मलाजपुर में प्रतिवर्ष पूरी श्रद्धा, धार्मिक परंपरा और आध्यात्मिक भाव के चलते पौष पूर्णिमा पर गुरु साहब बाबा के समाधि स्थल पर श्रद्धालु माथा टेक कर अपनी मन्नत मांगते है मान्यता है कि गुरु साहब समाधि स्थल पर प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति को ले जाकर समाधि स्थल की परिक्रमा कराने पर वह प्रेत बाधा से मुक्त हो जाता है।
सदियों से यह चमत्कार लोग अपने सामने देखते आ रहे हैं। गुरु साहब बाबा का दरबार पवित्र धार्मिक स्थल है जो कि ग्राम मलाजपुर में स्थित है जहाँ विगत 400 से अधिक वर्षो से पौष पूर्णिमा पर यह मेला लगता है। मेले में देश भर से लोग अपनी परेशानी लेकर पहुँचते है।
गुरूसाहब दरबार में भूतों का मेला लगता है जो कि पूरी दुनिया मे प्रसिद्ध है यहाँ भगत झाड़ू से मार मार कर लोगों को प्रेत बाधा से मुक्त करते हैं। मान्यता है कि बाबा की समाधि पर आते ही प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है इसलिए यहाँ दूर दूर से और भारत देश के कोने कोने से लोग यहाँ पहुँचते और अपनी मन्नत पूरी होने पर तुला दान करते है यह मेला लगभग एक माह चलता है और बसंत पंचमी पर इसका समापन होता है ।
परिक्रमा से करते हैं बाधा दूर
मलाजपुर गांव के देवजी महाराज मंदिर में लगने वाले भूतों के मेले में बुरी आत्माओं, भूत-प्रेत और चुड़ैल से प्रभावित लोग एक पेड़ की परिक्रमा करते हैं और अपनी बाधाएं दूर करते हैं। जिन पर भूत-प्रेत का साया होता है वह लोग कपूर जलाकर अपने हाथ और मुंह में रख लेते हैं।
शाम की पूजा के बाद करते हैं परिक्रमा
बसंत पंचमी तक चलने वाले भूत मेले में शाम की पूजा के बाद लोग मंदिर की परिक्रमा करते हैं। माना जाता है कि जिसे कोई समस्या नहीं होती है, वह सीधी दिशा में परिक्रमा करते हैं। जो भूत-प्रेत से प्रभावित होते हैं वह विपरीत दिशा में चलते हैं।
तौला जाता है गुड़ से
भूत-प्रेत से प्रभावित लोग जब ठीक हो जाते हैं, तब उन्हें यहां गुड़ से तौला जाता है। यहां हर साल कई किलो गुड़ इकट्ठा हो जाता है, जिसे प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है। अब इसे चमत्कार कहें या कुछ और लेकिन यहां काफी मात्रा में गुड़ जमा होने के बाद भी उस पर कीड़े, मक्खियां या चीटियां नहीं लगती हैं जो हैरत की बाता है। लोक अस्था है कि यह बाबा का चमत्कार है।
वृक्ष के नीचे ली थी समाधी
मान्यता है कि 1770 में गुरु साहब बाबा नाम के साधु थे। उनके पास चमत्कारिक शक्तियां थीं, वह भूत-प्रेतों को वश में कर लेते थे। गांव के सभी लोग उन्हें भगवान का स्वरूप मानते थे। उन्होंने वृक्ष के नीचे जिंदा समाधी ले ली। गुरु साहब ने जहां समाधी ली थी, वहां गांव वालों ने मंदिर बनवा दिया।
बुरी आत्मा का साया होता है दूर
गुरु साहब बाबा की याद में यहां हर साल मेला लगता है। इसी वृक्ष के नीचे पीड़ित लोग जब परिक्रमा करते हैं तो बुरी आत्मा का साया दूर हो जाता है। गांववालों में मेले को लेकर खासा विश्वास देखने को मिलता है।
नहीं जलाया जाता शव
बाबा की समाधी के बाद मलाजपुर गांव में इनके प्रति आस्था रखने वाले किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका शव नहीं जलाया जाता, उसे किसी स्थान पर समाधी दे दी जाती है। उनकी याद में लगने वाला भूतों के मेले में गांव के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
भूतों का मेला कहां लगता है?
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में हर साल श्राद्ध पक्ष की अमावस्या की रात नर्मदा किनारे भूतों का मेला लगता है। इस मेले को शौकिया देखने पहुंचने वाले लोगों के डर के मारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मलाजपुर के बाबा के समाधि स्थल के आसपास के पेड़ों की झुकी डालियां उलटे लटके भूत-प्रेत की याद ताजा करवा देती हैं।