MP News: प्रेस नेटवर्क फॉर वेलफेयर के ज़रिए भोपाल में गूंजी शौर्य गाथाएँ
MP News: उज्जवल प्रदेश, भोपाल. भोपाल का समन्वय भवन देश की सीमाओं पर दुश्मन से लड़ने वाले असली हीरो की शौर्य गाथाओं से गुंजा । जिसने भी ये गाथा सुनी उसने देश के जवानों के अदम्य साहस और बहादुरी को सलाम किया। प्रेस नेटवर्क फॉर वेलफेयर के इस शानदार गरिमामय आयोजन के साक्षी बने मध्यप्रदेश के मंत्रीद्वय श्रीमती कृष्णा गौर और विश्वास सारंग। कीर्ति चक्र से सम्मानित CRPF कमांडेंट चेतन चीता जिन्होंने कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में अपने शरीर पर 9 गोलियां खाने के बावजूद आतंकी को मार गिराया था, उन्होंने पूरी मुठभेड़ की दास्ताँ सुनाई। कारगिल युध्द के योद्धा नायक दीपचंद ने ऑपरेशन विजय के दौरान तोलोलिंग के ऊपर सबसे पहले गोलों की बरसात की थी। उस समय के दृश्य को सबके सामने बहुत ही रोचक तरीक़े से प्रस्तुत किया। इस लड़ाई में अपनी दोनों टांगें और एक हाथ गँवा चुके दीपचंद ने देश में सैनिकों के सम्मान और उनकी तकलीफ़ों को लेकर भी बात की। जाट बटालियन के जहान सिंह जिन्होंने कश्मीर में आतंकवादी मुठभेड़ में अपने हाथ पर तीन गोलियाँ झेली उन्होंने भी अपनी पूरी टीम की शौर्य गाथा सुनाई।
पुलिस कमिश्नर भोपाल श्री हरिनारायण चारी मिश्र, मेजर जनरल श्याम शंकर श्रीवास्तव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। आयोजन में उपस्थित प्रेस नेटवर्क फॉर वेलफेयर के सचिव सुनील श्रीवास्तव और कोषाध्यक्ष अंशुमन खरे ने सभी अतिथियों का स्वागत और सम्मान किया ।
शौर्य गाथा के पश्चात शौर्य अलंकरण के ज़रिए उन सैनिकों के परिवार को सम्मानित किया गया, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान गँवाई। इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिस जवानों का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर देश भक्ति से जुड़ी संगीतमय गानों की प्रस्तुति सुनील शुक्रवारे और साथियों द्वारा की गई। यह आयोजन इंडियन ऑयल,रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी, शालिग्राम डेवलपर, मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी और सहयोगी संस्थाएं नेटवर्क फॉर वेलफेयर, इंडियन वेटरन के सहयोग से किया गया।
करगिल युद्व के नायक दीपचंद्र जी ने कहा कि कारगिल युद्व को अगली 26 जुलाई को 25 साल हो जाएंगे। कई युवाओं को पता भी नहीं चलेगा यदि हमारे जैसे आदमी बाहर नहीं निकलेंगे। उन्होंने कहा कि मात्र 6 साल की उम्र में मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फोटो को देखा था और अपने दादाजी को बोला था कि मैं भी सेना में काम करूंगा और नेताजी के जो शब्द थे तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। आज भी हर युवा के लिए प्रेरणादायी कर रहे है। उन्होंने कहा कि जो वर्दी हम लोग पहनते हैं और जो वर्दी वाले यहां पर बंदे बैठे हुए हैं मगर बहुत कुछ करना पड़ेगा। हमारी वर्दी की पहचान है यह जो हमारे कंधों पर लगे हुए हैं जो हमारी छाती के ऊपर है यही हमारी पहचान है और यह चीज इसके लिए आपको तय करना पड़ेगा, तभी आप कर सकते हो।
नायक ने कहा कि कोई जातिवाचक क्षेत्रवाद के लिए याद किए जाते है तो कोई उनके कर्मों के लिए याद किए जाते है। हर युवाओं को सोचना चाहिए कि मेरा कर्म क्या है। आजकल के लोग किसको फॉलो कर रहे हैं आप लोग देखिए मैं किसको फॉलो किया था नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उस हीरो को नेताजी लगा था और उसके अंदर कितनी देशभक्ति थी। भारत देश के अंदर इतनी देशभक्ति की विदेश में जाकर उन्होंने आजाद हिंद सेवा की स्थापना किया। उन्होंने कहा कि जैसे हर आदमी हड़ताल कर देता है अगर हम लोग भी सैनिक 1 मिनट के लिए हड़ताल कर दें तो क्या होगा उन लोगों का जो यहां पर शब्द लेते हैं हर चीज बनाते हैं। इस आक्सीजन के लिए आप लोग पेड़ बनने की कोशिश करिए आप लोग हमें आक्सीजन देते रहिए। हमने राष्ट के लिए सब कुछ किया है। युवा अपने अंदर की सोई हुई चीज को जागने की आवश्यकता है। एक बार फेल हो तो मायूस मत हो। जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए। जब भी कभी जाओ इस देश को देकर जाओ। हमें केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी को याद किया जाता है। अपने युद्व के दौरान के आई चोट को उन्होंने याद करते हुए कहा कि मेरे कमांडिग आफिसर की वजह से आज मैं जिंदा हूं। उन्होंने डाॅक्टरों से बार बार कहा कि इसको चेक करो, यह व्यक्ति जाना नहीं चाहिए। मुझे 17 बाॅटल खून चढा और रात भर मेरा आपरेशन चला था। मेरे परिजनों को मेरी टांग कटने की जानकारी कई दिनों तक नहीं मिली थी। कई बाद मैने सोचा कि विकलांग होने के बाद जीने से क्या फायदा। कई गोलियां खाने के बावजूद एक आतंकी को मार गिराने और एक महीने से ज्यादा समय तक कोमा में रहने के बाद घर लौटे कोटा निवासी कमांडेंट चेतन चीता के मुताबिक चीता उनका गोत्र है जिसे वे अपने नाम में लगाते हैं। बता दें कि चेतन चीता को राष्ट्रपति भवन में कीर्ति चक्र जिया गया है। चेतन चीता के शरीर में 14 फरवरी 2017 को आतंकियों से लड़ते वक्त 9 गोलियां लगी थीं उसके बाद भी वे उनसे लड़ते रहे थे और मैदान नहीं छोड़ा था। उन्हें देर रात 3,30 बजे सूचना मिली कि 4 आतंकवादी घुसपैठ करने वाले हैं। आतंकियों को सीआरपीएफ, सेना और पुलिस के मूवमेंट की खबर पहले ही लग गई और वे घात लगाकर बैठ गए थे। टुकड़ी के पहुंचते ही आतंकियों ने एके-47 से बर्स्ट फायर कर दिया। एक साथ चली 30 गोलियों में से 9 चेतन के शरीर में धंस गईं थीं। इसके बावजूद चेतन ने काउंटर अटैक किया और एक आतंकी को ढेर कर दिया। उन्होंने कुल 16 राउंड फायर किए थे। चीता के काउंटर अटैक की वजह से सुरक्षा टुकड़ी को संभलने का मौका मिल गया और तीन आतंकियों को मार गिराया था। श्रीनगर के अस्पताल में डॉक्टर भी उनकी हिम्मत देखकर हैरान थे। आम तौर पर इतनी गोलियां लगने पर बचना नामुमकिन होता है। -एक गोली दायीं आंख में लगी। यह उनके पैलेट (जबड़े के ऊपरी हिस्से) पर लगी। ये निकाली जा चुकी है। एक आंख जा चुकी है और दूसरी भी खतरे से बाहर नहीं है। दाएं दिमाग के अगले हिस्से में हैमरेज था, जिसका सफल ऑपरेशन हो चुका है। दो गोलियां दोनों हाथ में लगी थी जिससे गंभीर घाव हो गए थे और हडि्डयों में भी फ्रैक्चर हो गया था।
कार्यक्रम में सीआरपीएफ के कमांडेट चेतन चीता ने युवाओं को फोकस करते हुए कहा कि रील लाइफ और रीयल लाइफ में काफी अंतर है। उन्होंने कहा कि जो नए युवा फिल्मों में सेना को लेकर देखते है उसमें काफी अंतर होता है। उन्होंने कहा कि रियल लाइफ के अंदर एक्चुअली एडवेंचर्स बहुत डिफरेंट होते हैं और बहुत अच्छे होते हैं। आदमी की जो मानसिक क्षमता है वह उस पर निर्भर करता है वह कितना खेल सकता है। मुझे वैलेटाइन डे के दिन मुझ गोली लगी। अक्टूबर 2016 में बांदीपुर डिस्टिक कश्मीर की कमान दी गई यह एरिया आतंकवादियों से काफी प्रभावित था। लष्कर ए तयैबा का काम कर रहा था। पलटन के तार खींचने का काम उसके अक्सर करते हैं उसके कमांडिंग ऑफिसर्स करते हैं तो मैं जो सबसे पहले वहां गया तो मेरा पहला काम यही था मैंने धीरे-धीरे सारे तार खींचने चालू किया। मैं किसी आतंकवाद के ऊपर यदि मैं हमला करना चाहता हूं तो मेरे को तो ऑल आउट में जाऊंगा और उसके रिप्लिकेशन होंगे डेफिनेटली होंगे।
उन्होंने कहा कि लाइफ के अंदर एक्चुअली लाइफ के अंदर फौजी लाइफ बिल्कुल अलग होती है और रियल लाइफ के अंदर आपको ग्लैमर दिखाते हैं इमोशंस दिखाते हैं लेकिन एक्चुअल एडवेंचरस जो होता है जिंदगी जीने का होता है वह रियल लाइफ में होता है रियल लाइफ के अंदर नहीं होता है। चेतन चीता ने कहा कि यदि फ्यूचर के अंदर यदि आप ऐसा कैरियर चुनते हैं तो आपके अंदर जज्बा होना जरूरी है।
प्रेस नेटवर्क फॉर वेलफेयर के सचिव सुनील श्रीवास्तव ने अपने स्वागत भाषण के दौरान कहा कि हमारे जीवन में पाॅलीटिक्स की खबरें प्रभावित करती है इसलिए हमारी खबरों में प्रमुखता के साथ पाॅलीटिक्स की खबरें रहती है। जब देषभक्ति की बातें आती है तो हम केवल 26 जनवरी और 15 अगस्त को कार्यक्रम कर अपनी इति श्री कर लेते है। हम गाहे बगाहे भूल जाते है कि हम किन लोगों की वजह से सुरक्षित है। बस्तर में माओवादी हमला करते है उन घटनाओं में काफी संख्या में जवान शहीद होते है जो खबरें पढते है उन पर कितना फर्क पडता है लेकिन जिन परिवारों पर यह हादसा होता है वे कितने डिस्टर्ब होते है। जवानों की वजह से हमारे देश की और आंतरिक सुरक्षा है। यदि हम सम्मान करते है तो कहीं न कहीं हम ऋणी होते है। 9 गोली खाने के बाद भी चेतन चीता की जीजिविषा है कि वह आतंकियों को मार गिराते है और आज हमारे बीच में है। सेना के जवान जब देखते है कि जो पैरामीटर को डिस्टर्ब कर रहे है तो किस तरह शांति की बात करते है और किस तरह बंदूक उठाते है।
प्रेस नेटवर्क फॉर वेलफेयर के कोषाध्यक्ष अंशुमन खरे ने अपने आभार भाषण में कहा कि आज इस कार्यक्रम में हमने शौर्य गाथाएं सुनी है। जहान सिंह जी ने पूरी घटना का सीन ऐसे क्रिएट किया कि मानो सब सामने आ गया हो। यह गाथाएं जीवन भर हममें जोष भरती रहेंगी। इस पूरे आयोजन में कुछ यक्ष प्रश्नों को गंभीरता के साथ लिया गया है। मीडिया को भी इसमें गंभीरता से लेना चाहिए। जो कहानियां छिप रही है उनको प्राथमिकता के साथ लेनी चाहिए, जिससे हर युवा तक यह बात पहुंच सकें।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद खेल और सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने प्रेस नेटवर्क फॉर वेलफेयर को इस कार्यक्रम के आयोजन की बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में बुलाकर यह पुण्य कमाने का मौका दिया। जिन्होंने इस देश की सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। उनका हम सम्मान कर पाएं। जिन्होंने देश की रक्षा की उनको हम अपना प्रणाम करते है। आजाद हिंदुस्तान में आज हम आजाद हिंदुस्तानी के रूप में घूम रहे है तो उसमें हमारा योगदान नहीं है उसमें शहीद सैनिकों का बहुत बडा योगदान है। मंच नेताओं के कारण नहीं बल्कि मंच वीरों के कारण सजा है। जिन्होंने देश की सेवा के लिए अपने प्राणों को आगे लगा दिया। आज हम सबका निश्चय होना चाहिए कि देश की एकता अखंडता को चिर स्थायी भाव लाना चाहिए। हमें वर्दी पहनना का सौभाग्य नहीं मिला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सैनिकों के प्रति सम्मान की भावना को लेकर कहा कि आज देश में ऐसी सरकार काम कर रही है जो जिसने देश के सैनिकों का सम्मान किया है। और भविष्य भी निर्धारित किया है। इस देश के प्रधानमंत्री दीपावली अपने घरवालों के साथ नहीं बल्कि सीमा पर खडे सैनिकों के साथ मनाते है। हम ढृढ संकल्प लेते है कि जो सैनिक है वो हमारे लिए सर्वोपरि है। यह सेना की वर्दी हमारे सम्मान की सूचक है। सैनिक की शान बढाता है। सारंग ने कहा कि आज हमें संकल्प लेना होगा कि हम सैनिकों का सम्मान कर सकते है। पष्चिम देषों में सैनिकों का सम्मान किया जाता है। हमारे सामने से सैनिक निकले तो उसका सैल्यूट कर सम्मान किया जाएं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि भगवान ने सब को एक काम नियत करके भेजा है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुई अल्प संख्यक और पिछडा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीमती कृष्णा गौर ने प्रेस नेटवर्क फॉर वेलफेयर कोइस कार्यक्रम के आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाने का सौभाग्य हमको दिया है। उन्होंने कहा कि हम राजनीति के क्षेत्र में काम करते हैं तो स्वाभाविक रूप से हमें समय-समय पर होने वाले पॉलिटिकल प्रोग्राम में अपने भाषणों में तालिया की गूंज कानों तक सुनाई देती है और यह तालिया की गूंज हमारे अंदर कई गुना ऊर्जा का संचार करती है मैं नहीं जानती कि उन तालिया के अधिकारी हम होते हैं या नहीं होते] लेकिन आज मैं यह गर्व के साथ कहना चाहूंगी कि इससे पूरे कार्यक्रम में जितनी बार तालियां बजी है] इसके अधिकारी हमारे मंच पर बैठे हुए समस्त नायक है जो हमारे असली हीरो हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में जो संस्मरण आपने सुना है हमारे मन को आत्मा को झकझोर कर रख दिया है आज हम अपने घरों में बैठे हुए चैन की नींद इसीलिए सो पाते हैं क्योंकि आप सीमाओं पर उसकी रक्षा करते हैं। आपका शौर्य आपका पराक्रम आपकी शहादत इस देश को कभी भूलने नहीं चाहिए और कभी भूलेंगे भी नहीं। एशियन न्यूज ने यह सिद्ध और साबित कर दिया की न्यूज़ चैनल सिर्फ समाचार दिखाने और समाचार पहुंचाने का ही माध्यम नहीं होते बल्कि वह सामाजिक सरोकारों से भी जुड़े होते हैं और मैं मानती हूं कि सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषय जब पत्रकारिता के माध्यम से पुष्पित और पल्लवित होते हैं तो उसकी सुगंध से सारा वातावरण महक जाता है और सामाजिक सरोकार जब राष्ट्रभक्ति से उत्प्रोत हो तो संपूर्ण समाज आनंदित हो जाता है।आज यह सभागार निश्चित रूप से ऊर्जा से भरा हुआ है हम सब के मन में आज राष्ट्रभक्ति का जज्बा और ज्यादा बड़ा है और यही संकल्प हमारा है कि हमारी सेवा के सम्मान में कभी कोई कमी ना आए हमारी सेवा के सम्मान के लिएजो संभव हो सकता है हम प्रयास करेंगे। यह विश्वास आज हम मंच पर बैठे हुए नायकों को दिलाना चाहते हैं। आज इस समारोह के माध्यम से जिन्हें हमने सम्मानित किया है उन्हें मैं बहुत बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों ने अपने परिवार के सदस्यों को खोया है उनके प्रति भी संवेदना व्यक्त करते हुए भारत माता के उस सपूत के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं और जो अपने शोध और पराक्रम से यहां सम्मानित हुए हैं। हम जानते हैं कि जिस देश ने हजार वर्ष की गुलामी सही है कितने षड्यंत्र हुए कितने आक्रमण हुए लेकिन उसके बाद भी जो की तो आज हमारा देश है पूरे विश्व में आज अगर भारत को पहचाना जाता है तो हमारी भारतीय संस्कृति हमारी सभ्यता हमारी परंपराओं के कारण पहचाना जाता है आज हम वास्तव में इस देश को इस स्थिति में लेकर आए हैं तो बहुत बड़ा योगदान हमारे इंडियन आर्मी कर रहा है और हम गर्व के साथ यह कहते हैं कि हमारी इंडियन आर्मी वेतन के लिए नहीं बल्कि वतन के लिए काम करती है। उन्होंने कहा कि किस प्रकार से वीर सपूतों ने अपने संस्मरण के माध्यम से इस देश की युवा पीढ़ी के मन में राष्ट्रभक्ति का जो जज्बा पैदा किया है। मैं समझ सकती हूं कि निश्चित रूप से इस प्रकार के कार्यक्रम बार-बार आयोजित होना चाहिए। हमारे नायकों को सम्मानित करके हमारे आने वाली पीढ़ी के मन में राष्ट्र भक्ति का जज्बा पैदा करना चाहिए ताकि आने वाले वर्षों में हम सबके मन में हमारे भविष्य के प्रति सुरक्षा का भाव हमेशा बना रहे और निश्चित रूप से इस प्रकार के आयोजन उसमें बहुत बड़ी भूमिका का निर्माण कर सकते हैं। मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि निश्चित रूप से आपकी पीड़ा हमारी तकलीफ है और हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि शासन के जिम्मेदार प्रतिनिधि होने के नाते कि आपकी इस पीड़ा को कठिनाई को हम ऊपर तक पहुंचाने का काम करेंगे और जितना संभव हो सकेगा मेरी कोशिश होगी कि जो पीड़ा जो कठिनाई आज आपके माध्यम से मुझे मिलिए उसे मैं ऊपर तक पहुंचाने का प्रयास करूंगी।र्य
कार्यक्रम में भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने कहा कि इस कार्यक्रम में जो संस्मरण सुनाए गए है वह युवाओं के लिए काफी उत्साहपूर्ण उदबोधन है। उन्होंने कहा कि हमारा देश दुनिया का सबसे युवा देश है हमारे यहां दुनिया में अगर हम 25 साल से कम के सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या देखें तो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हमारे देश में है और किसी राष्ट्र की एकता और अखंडता या फिर कानून व्यवस्था में इन युवाओं की भूमिका होती है। पुलिस जब साल के अंत में किसी भी शहर में बड़े अपराधों का जब ब्यौरा निकालती है और उसकी समीक्षा करती है तो साल के अंत में जब हम देखते हैं कि किसी भी शहर में सबसे बड़ी जो घटनाएं होती है ऐसी घटनाएं कि जब हम समीक्षा करते हैं तो उसमें लगभग 95 प्रतिषत जो मामले होते हैं वह भी 20 से 25 वर्ष के कम के युवाओं के द्वारा किया जाए दूसरी तरफ हम जो सबसे ज्यादा सृजनात्मक कार्यों की जब श्रृंखला देखते हैं वह भी हमारे युवाओं के द्वारा शक्ति है। उनकी जो ऊर्जा है उसको हम किस रूप में ले पाते हैंA हमारे बीच में एनसीसी के बहुत सारे कैडेट से बैठे हुए हैं और निश्चित तौर पर यह क्रेडिट के लिए इस तरह के हम उनको बहुत सारी मूवीस दिखाएं बहुत सारे कहानी सुनाएं इससे बेहतर कि हमारे जो कारगिल के और हमारे विभिन्न तरह के जो हमारे नायक है जिन्होंने अपना प्राणों की परवाह नहीं कि अपने जीवन के परवाह नहीं की और जो उन्हें कर्तव्य दिया गया था उसे कर्तव्य के पथ पर जिस तरीके से आक्रामकता से इन्होंने अपनी जिम्मेदारी को निभाय। हमारे युवाओं के लिए उससे बेहतर प्रेरणा नहीं हो सकती।