E- Sampada App: अब सिर्फ एक क्लिक पर पता चल जाएगी प्रॉपर्टी की कीमत, धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम

E- Sampada App: पंजीयन विभाग की ओर से संपदा टू एप शुरू (Sampada 2 Mobile App) करने की तैयारी चल रही है। इस पर तेजी से काम किया जा रहा है।

भोपाल
E- Sampada App: पंजीयन विभाग की ओर से संपदा टू एप शुरू (Sampada 2 Mobile App) करने की तैयारी चल रही है। इस पर तेजी से काम किया जा रहा है। इस एप की खासियत यह होगी कि इसके जरिए आम आदमी अपने मोबाइल फोन पर आसानी से पता लगा सकेगा कि शहर में संपत्ति कहां महंगी है और कहां सबसे सस्ती। साथ ही जमीन से जुड़े फर्जीवाड़े पर भी रोक लगेगी। दरअसल यह सॉफ्टवेयर तभी काम करेगा जब खसरे में जमीन और मकान के पंजीकरण के लिए संपत्ति का हस्तांतरण और वितरण होगा। यह खसरे में गलत जानकारी का भी पता लगाएगा।

इसके लिए एप में 900 से अधिक संपत्तियों की मैपिंग की गई है, जिसमें से जिले में चार हजार से अधिक स्थान हैं। बताया जा रहा है कि इस ऐप की सुविधा नए साल के पहले महीने में शुरू हो जाएगी। हालांकि, जारी काम के चलते अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। इस एप की मदद से लोग जमीन का खसरा नंबर दर्ज कर संबंधित कलेक्टर के दिशा-निर्देशों की निर्धारित दरें भी जान सकेंगे। इसमें खसरा में प्लॉट, फ्लैट, डुप्लेक्स, कृषि भूमि या अन्य भूमि की स्थिति स्पष्ट की गई है। अभी इसका पता लगाना आसान नहीं है।

वहीं, करीब साढ़े छह लाख संपत्तियों की आईडी तैयार कर ली गई है। बाकी पर काम चल रहा है। इस एप को पंजीकरण विभाग की वेबसाइट या गूगल एप से डाउनलोड किया जा सकता है। बता दें कि संपदा वन में रजिस्ट्री आनलाइन की गई थी और संपदा टू में संपत्ति से जुड़ी कई तरह की जानकारियां देने की तैयारी है।

खरीद-बिक्री होने पर मैसेज आएगा

इस एप में खसरा नंबर और संपत्ति की जानकारी होने से नगर निगम को भी फायदा होगा। इसके जरिए अगर नगर निगम की सीमा के भीतर संपत्ति खरीदी और बेची जाती है तो उसका संदेश निगम तक पहुंच जाएगा। इससे निगम को संपत्ति कर जमा करने में आसानी होगी।

…तो साफ्टवेयर काम नहीं करेगा

ग्रामीण क्षेत्र में कृषि या मकान के पंजीकरण के लिए खसरे में संपत्ति का परिवर्तन एवं वितरण करना आवश्यक है। अन्यथा, सॉफ़्टवेयर आगे की प्रक्रिया नहीं करेगा। इस तरह बटाईदार या कोई और किसी की जमीन का सौदा नहीं कर पाएगा, इस तरह जमीन का फर्जीवाड़ा बंद हो जाएगा।

ये है ऐप की खासियत

  • कोई और किसी के नाम से जमीन नहीं बेच पाएगा, धोखाधड़ी करने पर मैसेज आएगा।
  • नाम बदलने और वितरण नहीं होने पर सॉफ्टवेयर काम नहीं करेगा।
  • भारी-भरकम पेज आधारित कलेक्टर दिशा-निर्देशों की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
  • संपत्ति कर और जमीन की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता आएगी।
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