Mahashivaratri 2023: महाशिवरात्रि पर भोजपुर में लगा श्रद्धालुओं का मेला , फूलों से सजा देश का सबसे बड़ा शिवलिंग

Mahashivaratri 2023:भोजपुर शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर एक अलग ही रौनक नजर आ रही है। मंदिर में महाशिवरात्रि की भव्य तैयारियां की गई हैं।

Mahashivaratri 2023:उज्जवल प्रदेश, भोपाल. मध्य प्रदेश के सोमनाथ के रूप में प्रसिद्ध रायसेन जिले के भोजपुर शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर एक अलग ही रौनक नजर आ रही है। मंदिर में महाशिवरात्रि की भव्य तैयारियां की गई हैं। तड़के 4 बजे से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा है। महाशिवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं।

फूलों से की गई आकर्षक साज सज्जा

महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष साज-सज्जा की गई है। शिवलिंग को फूलों से सजाया गया। है। 10 वीं सदी के इस प्राचीन शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन किया गया है। बड़ी संख्या में भक्त भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने के लिए भोजपुर पहुंच रहे हैं।

दूर-दूर से भोजपुर पहुंचते हैं श्रद्धालु

रायसेन जिले में बना ये शिव मंदिर देश के सबसे बड़े शिव मंदिर के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर को देखने के लिए सिर्फ मध्य प्रदेश के ही नहीं बल्कि देशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

मंदिर आने वाले पर्यटक मंदिर के भव्य स्वरूप और वास्तुकला को देखकर हतप्रभ रह जाते हैं। मंदिर का हर कोना खूबसूरत नक्काशियों से सजा है। गुम्बद और खंभों पर की गई जटिल संरचनाएं, नक्काशीदार झरोखे इसकी सुंदरता को बढ़ा देते हैं। करीने और उत्कृष्टता से गढ़ी गई आकृतियां देखने वालों का मन मोह लेती हैं।

श्रद्धालुओं के लिए भंडारा फलाहारी खिचड़ी, कड़ी और फल

विशाल भंडारे में सवा लाख शिव भक्तों के प्रसादी की व्यवस्था की । जिसमें साबूदाने की खीर, साबूदाने की खिचड़ी, आलू चाट, फल एवं गरमा गरम चाय वितरित हो रही और जिन भक्तों का व्रत नहीं होगा उनके लिए दाल चावल की साही खिचड़ी वितरित की जारही । इसके साथ साथ अभिमंत्रित किए हुए एक लाख ग्यारह हजार रुद्राक्ष भी वितरित हो रहे ।

एक पहेली है मंदिर का निर्माण

भोजपुर मंदिर की भव्यता को देखकर यहां पहुंचने वाले लोगों के मन में एक ही सवाल आता है। वह सवाल है कि हजारों सालों पहले बिना मशीनों के इस मंदिर का निर्माण कैसे किया गया होगा। मंदिर की वास्तुकला बेहद अद्भुत है। बालकनियों को विशाल कोष्ठक और खंभों का सहारा दिया गया है। मंदिर की बाहरी दीवारों और ढांचे को बनाया नहीं गया। मंदिर को गुंबद के स्तर तक बढ़ाने के लिए उस दौर में मिट्टी के रैम्प का इस्तेमाल किया गया था, जो कि अभी तक दिखाई पड़ता है। इस मंदिर के निर्माण में पुरातन बुद्धिमत्ता दिखाई देती है।

बलुआ पत्थर से बना है मंदिर

भोजपुर शिव मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थरों की रिज से किया गया है, जो कि मध्य भारत की विशेषता है। 11 वीं सदी का यह मंदिर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। बेतवा नदी के किनारे बने इस मंदिर में पुरातन आकर्षण के कई अवशेष देखने को मिलते हैं।

प्रशासन और पुरातत्व विभाग करता है देखभाल

राजा भोज द्वारा निर्मित 10 वीं सदी के इस मंदिर की देखभाल प्रशासन और पुरातत्व विभाग के द्वारा की जाती है। मंदिर के निर्माण को लेकर ये किंवदंती भी प्रचलित है कि इसका निर्माण पांडवों ने एक रात में किया था। मंदिर में 11वीं से 13 वीं सदी के बीच की नक्काशी और वास्तुकला देखने को मिलती है। हालांकि इस मंदिर का निर्माण अधूरा है।

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