MP के ग्वालियर-चंबल में सवर्ण आंदोलन ने बिगाड़ा कांग्रेस-बीजेपी का खेल

ग्वालियर
शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, कमलनाथ, प्रभात झा, थावरचंद गहलोत के साथ रविवार को लाल सिंह आर्य भी उस लिस्ट में शामिल हो गए जिन्हें सवर्ण संगठनों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एससी/एसटी एक्ट के विरोध में शुरू हुआ सवर्ण आंदोलन काफी आक्रामक रूप अख्तियार करता जा रहा है.

सवर्ण संगठन सपाक्स, ब्राह्मण सभा और करणी सेना के बाद अब दलितों के संगठन अजाक्स ने भी रैली निकालकर सवर्ण उम्मीदवारों को वोट न करने की अपील की है. भले ही कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इसके पीछे एक दूसरे का हाथ बताएं लेकिन करीब से देखने पर पता चलता है कि इस आंदोलन ने ग्राउंड पर दोनों का ही खेल बिगाड़ दिया है.

सामान्य, पिछड़ा एवं कर्मचारी संघ (सपाक्स) ने भी मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. इसके बाद से ही बीजेपी और कांग्रेस ने टिकट बांटने के लिए जो भी राजनीतिक समीकरण सोच कर रखे थे वो अब बेकार हो गए हैं. सपाक्स ग्वालियर के प्रमुख ब्रिजेश भदौरिया खुलकर कहते हैं कि बीजेपी ने सवर्ण समाज को अपनी जागीर समझा हुआ था लेकिन इस बार उन्हें अक्ल आ जाएगी. सपाक्स ने बीते दिनों अपनी मांगों में भी परिवर्तन कर दिया. पहले वे एससी/एसटी एक्ट को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक लागू करने की मांग कर रहे थे, अब वे इसे पूरी तरह ख़त्म करने की मांग कर रहे हैं.

भदौरिया कहते हैं कि सपाक्स कांग्रेस और बीजेपी दोनों का ही विरोध करेगी और किसी का भी साथ नहीं देगी. सीएम शिवराज के ट्वीट पर भदौरिया ने कहा कि सीएम लोगों से मुंह छुपाकर घूम रहे हैं और ट्विटर पर कह रहे हैं कि अन्याय नहीं होने दूंगा. बातचीत में भदौरिया अपने संगठन को देश की 78% जनता (सामान्य+ओबीसी+अल्पसंख्यक) का प्रतिनिधि बताते हैं हालांकि सवाल पूछने पर एक भी ओबीसी या मुस्लिम संगठन का नाम नहीं बता पाते, जो उनका समर्थन कर रहा है.

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