भाजपा सांसद केपी यादव क्यों बांट रहे हैं अफसरों को संविधान की प्रतियां?

गुना
गुना से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद डॉक्टर केपी यादव इस समय अपने संसदीय क्षेत्र में अफसरों के खिलाफ एक अनूठा और गांधीवादी आंदोलन छेड़े हुए हैं। वह हर बड़े अफसर से मिल कर उन्हें भारत के संविधान की एक प्रति दे रहे हैं। इसके जरिये वे बताने की कोशिश करते हैं कि जन प्रतिनिधियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है यह जानने के लिए अफसर संविधान की इस प्रति को पढ़ें। असल में उनका आरोप है कि अफसर उन्हें बैठकों और सरकारी आयोजनों में बुलाते तक नहीं। हालांकि, वे कहते कुछ नहीं लेकिन उनका इशारा केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ रहता है कि यह सब उनके इशारे पर हो रहा है। सांसद केपी यादव लगातार अपने ही संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक व प्रशासनिक उपेक्षा के चलते बेचैन हैं। यह उपेक्षा आगे भी न हो, इसलिए उन्होंने गुना और अशोकनगर के जिलाधीशों को संविधान की प्रतियां भी भेंट कीं।

जिससे वे यदि निर्वाचित सांसद के महत्व और प्रोटोकॉल से अनभिज्ञ हों तो इस संबंध में ज्ञान प्राप्त कर लें। संविधान की इस प्रति में उन्होंने उन बिंदुओं को रेखांकित भी कर दिया है, जो सांसद की गरिमा बनाए रखने की याद जिला कलेक्टरों को दिलाता।  केपी यादव का आरोप है कि उन्हें अपने ही संसदीय क्षेत्र के जिला कलेक्टरों द्वारा न तो सरकारी कार्यक्रमों की सूचना दी जाती है और न ही शिलान्यास और लोकार्पण के शिलापट्ट में उनका नाम लिखा जाता है। इसलिए लोकसभा सदस्य की भूमिका और प्रशासन के दायित्वों की याद दिलाने के लिए संविधान की प्रति कलेक्टरों को दे रहे है। याद दिला दें कि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में डॉक्टर केपी यादव ने सियासत में एक अविश्वसनीय इतिहास लिख दिया था। उन्होंने सिंधिया राज परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा दिया था। यादव, सिंधिया परिवार के पुराने समर्थक कांग्रेस कार्यकर्ता थे।

असल मे भाजपा के लिए कभी गुना जीत पाना तो दूर इसके लिए सिंधिया के खिलाफ प्रत्याशी की जुगाड़ कर पाना मुश्किल होता था। इस बीच केपी यादव भाजपा के संपर्क में आये। भाजपा ने सिंधिया के खिलाफ उनके ही एक अदने समर्थक को मैदान में उतार दिया। यह सीट स्वतंत्रता के बाद से ही ना सिर्फ सिंधिया परिवार के प्रभाव वाली थी बल्कि उनके परिवार का अभेद्य गढ़ भी थी। उस चुनाव में सभी परिणामों सिंधिया की जीत को लेकर आश्स्त थे लेकिन आखिरकार परिणामों ने सबको चौंका दिया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया को पराजय मिली। केपी यादव अचानक हीरो बन गए थे और भाजपा की आंखों के तारे भी। पीएम मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक सबने उन्हें मिलने बुलाया था।

 

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