राहुल को दो साल की सजा शंकास्पद एवं प्रायोजित : रिजवी

रायपुर

मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने कहा है कि विगत 55 वर्षों से वकालत करते आ रहे हैं परन्तु राहुल गांधी को गत् दिवस दी गई एक सड़े से मानहानि केस में न्यायालय द्वारा दी गई सजा केवल राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त करने के उद्देश्य से दी गई प्रतीत होती है। उन्होंने अपने न्यायिक अनुभव का हवाला देते हुए बताया है कि उनकी न्यायिक जानकारी के अनुसार मानहानि सिद्ध होने पर भी किसी भी आरोपी को अधिकतम सजा के प्रावधान में मानहानि के लिए किसी को भी भा.द.वि. की धारा 500 के अन्तर्गत मैक्जीमम सजा न देखी, न सुनी, न किसी को दो साल की सजा देने का प्रकरण उन्हें किसी अखबार में, देश के किसी भी अदालत द्वारा दी गई हो, उनकी नजरों से नहीं गुजरा है।

रिजवी ने कहा है कि राहुल गांधी के आगामी चुनाव न लड़ पाए इसलिए दो वर्ष की सजा दी गई है। इस फैसले के बाद ताबड़तोड़ तरीके से उनकी संसद सदस्यता समाप्त करना तथा आवास खाली कराना देशवासियों तथा न्यायिक जगत के गले नहीं उतर रही है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से भाजपा परेशान हो गई है तथा कर्नाटक चुनाव में पराजय के भय से भाजपा के नेता परेशान हाल नजर आ रहे हैं। लोअर कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट तक राहुल गांधी की सजा को सस्पेन्ड करने से घबरा रहे है जो किसी प्रकार के दबाव को इंगित करता है, वरन् प्रकरण में राहुल गांधी की सजा को सस्पेन्ड करने के रूटीन आदेश जारी करने में देर नहीं होना चाहिए।
रिजवी ने कहा कि राहुल गांधी को दी गई सजा को सस्पेन्ड करने में देर करना किसी की सोची समझी साजिश को इंगित करता है। राहुल को स्थायी आदेश देने में अकारण विलम्ब को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को स्वयं संज्ञान लेते हुए अपीलीय अदालतों के विरूद्ध स्ट्रक्चर पास करना चाहिए ताकि भविष्य में अदालतें अपना फर्ज निभाने में, तत्काल आदेश देने में न विलम्ब करे और न ही कोताही बरते।

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