UP: स्मारक घोटाले पर सख्त हाई कोर्ट, कहा कोई आरोपी बचना नहीं चाहिए

0
1

इलाहाबाद 
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में हुए स्मारक घोटाले में अब तक हुई जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि घोटाले में शामिल एक भी आरोपित बचना नहीं चाहिए। घोटाले की जांच विजिलेंस कर रही है। इस मामले में 1 जनवरी, 2014 को लखनऊ के गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी। 
 

वर्ष 2007 से लेकर 2012 के बीच लखनऊ और नोएडा में कई पार्क और स्मारक बनवाए गए थे। इनका निर्माण लोक निर्माण विभाग, नोएडा प्राधिकरण और पीडब्ल्यूडी आदि ने करवाया था। निर्माण कार्य में भारी धांधली का आरोप लगा तो सपा सरकार के शासनकाल में जांच बैठा दी गई। लोकायुक्त जांच में करीब 1,410 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई है। इसे लेकर शशिकांत उर्फ भावेश पांडेय ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डी.बी. भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की पीठ ने एक हफ्ते में प्रदेश सरकार से जांच की प्रगति रिपोर्ट तलब की है। 

आरोप है कि स्मारकों के निर्माण कार्य में लगाए गए गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मीरजापुर से की गई, जबकि इनकी आपूर्ति राजस्थान से दिखाकर ढुलाई के नाम पर भी पैसा लिया गया था। लोकायुक्त ने जांच में जिक्र किया कि पत्थरों को तराशने के लिए लखनऊ में मशीनें मंगाई गईं थी, इसके बावजूद इन पत्थरों के तराशने में हुए खर्च में कोई कमी नहीं आई। आरोप यह भी है कि भुगतान तय रकम से दस गुना ज्यादा दाम पर ही किया जाता रहा। 

मायावती समेत कई पूर्व मंत्री-विधायक हैं आरोपित
स्मारक घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन व बाबूराम कुशवाहा और कई तत्कालीन विधायक आरोपित हैं। यूपी की स्मारकों के निर्माण में लगे कई अभियंता और अधिकारियों के खिलाफ भी जांच चल रही है। 

14 अरब के घोटाले का आरोप
हाई कोर्ट में दायर याचिका में आंबेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, मान्यवर कांसीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, इको पार्क, नोएडा आंबेडकर पार्क, रामबाई आंबेडकर मैदान स्मृति उपवन आदि के निर्माण में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपये के घोटाले का आरोप है। 

चार साल से चल रही है जांच
याची का यह भी कहना है कि एफआईआर दर्ज हुए 4 साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन विजिलेंस ने चार्जशीट फाइल नहीं की है। इससे पहले, लोकायुक्त ने इस मामले में एसआईटी या सीबीआई जांच की संस्तुति की थी। लेकिन उस पर भी कोई ऐक्शन नहीं लिया गया। 
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here