स्वामी रामभद्राचार्य ने मनुस्मृति पर दिए बड़े बयान, संघ प्रमुख मोहन भागवत को भी दी नसीहत, जानिए क्या कहा?

Swami Rambhadracharya Statement Manusmriti: स्वामी रामभद्राचार्य ने मनुवाद, आरक्षण और मंदिर-मस्जिद विवाद पर अपने विचार रखे। उन्होंने मनुस्मृति को बदनाम करने के लिए झूठी बातें जोड़े जाने का दावा किया और सरकार से जाति आधारित आरक्षण खत्म करने की अपील की। संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर भी उन्होंने नसीहत दी।

Swami Rambhadracharya Statement Manusmriti: उज्जवल प्रदेश, भोपाल. स्वामी रामभद्राचार्य ने हाल ही में मनुवाद, आरक्षण और मंदिर-मस्जिद विवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने न केवल मनुस्मृति को लेकर फैलाए गए भ्रमों को दूर करने की कोशिश की, बल्कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। आइए जानते हैं उनके प्रमुख बयान और उनके पीछे का तर्क।

स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने बयान में कही ये बातें…

मनुस्मृति और स्त्रियों का सम्मान

स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि मनुस्मृति में स्त्रियों का अपमान नहीं किया गया। उन्होंने श्लोक का हवाला देते हुए बताया कि जहाँ स्त्रियों का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं।

अंबेडकर और मनुस्मृति जलाना

स्वामी जी ने कहा कि यदि अंबेडकर संस्कृत जानते तो मनुस्मृति कभी नहीं जलाते। उन्होंने दावा किया कि मनुस्मृति के अंग्रेजी अनुवाद में हिंदू धर्म का विरोधी दृष्टिकोण जोड़ा गया था।

आरक्षण पर बड़ी बात

उन्होंने जाति आधारित आरक्षण को खत्म करने और इसे आर्थिक आधार पर देने की वकालत की। उनका मानना है कि ऐसा करने से जातिवाद समाप्त होगा।

मंदिर-मस्जिद विवाद पर राय

संघ प्रमुख मोहन भागवत के “हर मस्जिद में मंदिर ढूंढने की जरूरत नहीं” वाले बयान पर उन्होंने कहा कि हिंदू केवल उन्हीं जगहों पर दावा कर रहे हैं, जहाँ ऐतिहासिक प्रमाण हैं।

महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व

स्वामी रामभद्राचार्य ने महाकुंभ पर्व का जिक्र करते हुए बताया कि समुद्र मंथन के दौरान चार स्थानों पर अमृत गिरा था, \जिससे ये स्थान पवित्र माने गए।

संघ प्रमुख को नसीहत

स्वामी जी ने कहा कि संघ प्रमुख को हिंदू धर्म को अनुशासन देने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू समाज अपने धर्म और परंपराओं का स्वयं संरक्षक है।

स्वामी रामभद्राचार्य के इन विचारों ने कई संवेदनशील मुद्दों पर एक नई बहस छेड़ दी है। उनके बयान ऐतिहासिक और धार्मिक संदर्भों को समझने का अवसर भी प्रदान करते हैं।

Deepak Vishwakarma

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