NavIC GPS जल्द होगा लांच, देगा गूगल को टक्कर, जानें इसकी खूबियां

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NavIC GPS : ISRO जल्दी ही 29 मई को अपना NVS-01 नेविगेशन (NavIC) सैटेलाइट लॉन्च करेगा। यह लोकेशन ट्रेस करने के लिए भारत द्वारा भेजे गए NavIC सीरीज के नेविगेशन का एक पार्ट है।

29 मई को 2,232 किलोग्राम का GSLV उपग्रह श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा। यहां जानें भारत के क्यों अहम है NavIC और इसके क्या प्रमुख सुविधाएं उपलब्ध होगी और यह कैसे अभी तक फ्री मिल रही गूगल लोकेशन सर्विस से अलग है।

जानें क्या है NavIC GPS

एक स्थान से दूसरी जगह जाने के लिए Google मैप या Apple मैप का उपयोग करते हैं, लेकिन ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) कही जाने वाली ये सेवा फिलहाल अमेरिका द्वारा धरती के ऑर्बिट में छोड़े गए उपग्रहों के कारण फ्री में उपलब्ध होती है, लेकिन NavIC सीरिज के सैटेलाइट लॉन्च होने के बाद भारत की खुद की जीपीएस सेवा होगी और हमें अमेरिकी उपग्रहों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।

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NavIC से पड़ोसी देशों को भी मदद करेगा भारत

इसरो द्वारा विकसित NavIC एक क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है, जो धरती की कक्षा में 7 उपग्रहों का एक ग्रुप है। NavIC का नेविगेशन सिस्टम इतना मजबूत है कि यह पूरे भारत के अलावा आसपास के 1500 किमी क्षेत्र में सटीक लोकेशन बताएगा। इतने विशाल क्षेत्र में कवरेज के कारण भारत अपने पड़ोसी देशों को भी इस सेटेलाइट के जरिए सटीक लोकेशन उपलब्ध कराने में मदद करेगा।

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इन देशों के पास है खुद के GPS सिस्टम

भारत के अलावा फिलहाल अमेरिका, रूस, यूरोप और चीन के पास ही अपने खुद के लोकेशन ट्रेस करने वाले सेटेलाइट है। अभी तक भारत अमेरिकी GPS की सहायता ले रहा है। वहीं रूस के पास अपना GLONASS नेविगेशन सिस्टम है और चीन के पास BeiDou है, जो भारत की तरह ही एक क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली है। यूरोप में Galileo नेविगेशन सिस्टम काम करता है।

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NavIC GPS की कुछ रोचक बातें

  • भारत ने अपने नेविगेशन सिस्टम को विकसित करने के लिए कुल 7 उपग्रह धरती की कक्षा में स्थापित किए हैं।
  • पृथ्वी की सतह से ये सभी सैटेलाइट भारत के साथ एक सीधी रेखा में स्थित है, क्योंकि ये रीजनल नेविगेशन सिस्टम है और सिर्फ भारत और आसपास के देशों की लोकेशन ट्रेस करेगा।
  • ये उपग्रह 23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकंड में एक पूरा चक्कर पूरा करते हैं, जो पृथ्वी की सटीक कक्षीय अवधि है इसलिए यह पूरी तरह से मेल खाता है।
  • NavIC नेविगेशन सैटेलाइट में तीन रूबीडियम परमाणु घड़ियाँ भी लगी है, जो दूरी, समय और पृथ्वी पर आपकी सटीक स्थिति की गणना करती है।
  • अमेरिकी नेविगेशन सिस्टम (GPS) 31 सैटेलाइट से गणना करके काम करता है और पूरी दुनिया की लोकेशन ट्रेस करता है, जबकि NavIC सिर्फ 7 सैटेलाइट से भारत व आसपास के देशों के लोकेशन ट्रेस करेगा।
  • आने वाले कुछ सालों में इसरो भारत के नेविगेशन सिस्टम के विस्तार करने की योजना बना रहा है। सभी क्षेत्रों के लोकेशन प्राप्त करने के लिए 24 सैटेलाइट की आवश्यकता होती है।

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