हाईकोर्ट ने धारा 164 के तहत दूसरी बार बयान दर्ज करवाए जाने आरोपी पक्ष की गई मांग को गलत ठहराया

जबलपुर
सामूहिक दुष्कर्म के मामले में नाबालिग पीड़िता के दोबारा बयान दर्ज कराने की मांग पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने धारा 164 के तहत न्यायालय में दूसरी बार बयान दर्ज करवाए जाने आरोपी पक्ष द्वारा की गई मांग को गलत ठहराया है. जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि पहले बयान को नकारने और विफल करने के लिए धारा 164 के तहत दोबारा बयान दर्ज नहीं होना चाहिए. चाहे पहला बयान आरोपी के पक्ष में हो या खिलाफ.

क्या है दुष्कर्म का मामला और धारा 164?

दरअसल, जबलपुर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसे व मुख्य आरोपी को जबलपुर के पनागर थाने में पॉक्सो एक्ट, अपहरण व सामूहिक दुष्कर्म की धाराओं में आरोपी बनाया गया. मुख्य आरोपी के खिलाफ पुलिस जांच पूरी कर न्यायालय के समक्ष आरोप पक्ष प्रस्तुत कर चुकी है. पीड़िता के पिता ने याचिकाकर्ता को निर्दोष बताते हुए पुलिस अधीक्षक व न्यायालय के समक्ष धारा 164 के तहत दोबारा बयान दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

पीड़िता की ओर से दोबारा बयान के लिए आवेदन

एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता की उम्र महज 13 साल है. पुलिस ने उसे 11 दिसम्बर 2023 को बरामद किया था. इसके बाद पुलिस ने धारा 161 के तहत 13 दिसम्बर 2023 व न्यायालय ने धारा 164 के तहत 14 दिसंबर 2023 को बयान दर्ज किए थे. इसके तीन महीने बाद पीड़िता के पिता ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय और फिर कोर्ट में दोबारा धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने आवेदन पेश किया था. इसपर कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफतारी, जांच व अन्य कार्यवाही जारी होने के कारण आवेदन को खारिज कर दिया.

CRPC 164 की पवित्रता अपना मूल्य खो देगी : हाईकोर्ट

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा, '' कानून में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दो या अधिक बार बयान दर्ज करने पर रोक नहीं है. दूसरा बयान पीड़िता के पहले के बयान को नकारने या विफल करने के लिए दर्ज नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वह आरोपी के पक्ष में हो या खिलाफ. इससे सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान की पवित्रता अपना मूल्य खो देगी. धारा 164 के तहत दूसरा बयान दर्ज करने का आवेदन जांच एजेंसी की ओर से भी प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है.''

Ramesh Kumar Shaky

रमेश कुमार शाक्य एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास 22 वर्षों से अधिक का अनुभव है। अपने करियर के दौरान, उन्होंने कई प्रतिष्ठित समाचार संगठनों के साथ काम किया और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। वे समाचार का प्रबंधन करने, सामग्री तैयार करने और समय पर सटीक समाचार प्रसारण सुनिश्चित करने में माहिर हैं। वर्तमान घटनाओं की गहरी समझ और संपादकीय कौशल के साथ, उन्होंने समाचार उद्योग में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। उन्होंने राजनीति, व्यापार, संस्कृति और अंतर्राष्ट्रीय मामलों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में समाचार कवरेज एवं संपादन किया है।

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