2022 मे कब है होली पर्व, Holi 2022 की तारीख व मुहूर्त, जाने याओसांग का मतलब

आइए जानते हैं कि 2022 में होली कब है व Holi 2022 की तारीख व मुहूर्त। हिन्दू पंचांग के अनुसार होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। यदि प्रतिपदा दो दिन पड़ रही हो तो पहले दिन को ही धुलण्डी (वसन्तोत्सव) के तौर पर मनाया जाता है।

Holi 2022: सभी लोग जाना चाहते हैं की 2022 में आखिर होली (Holi Festival 2022) कितनी तारीख को है, हिंदू पंचाग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा (Fagun Month Purnima 2022) तिथि को मनाया जाता है। नए साल की शुरुआत होते ही लोग सालभर में आने वाले त्योहारों के बारे में जानना चाहते हैं। साल का सबसे बड़ा पहला त्योहार होली पड़ता है। बता दें कि साल 2022 में होली (Holi 2022) का त्योहार 18 मार्च के दिन पड़ रही है। वहीं, होलिका दहन 17 मार्च (Holika Dahan 17th March) को किया जाएगा, जिसे लोग छोटी होली के नाम से भी जानते हैं।

कब मनाते हैं होली? (Holi 2022)

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है और पंचमी को रंग पंचमी मनाई जाती है।

क्यों मनाते हैं होली? (Why celebrate Holi?)

होली (Holi Festival 2022 ) के दिन पांच घटनाएं हुई थी। पहला असुर हरिण्याकश्यप की बहन होलिका दहन हुआ था। दूसरा शिव ने कामदेव को भस्म करने के बाद जीवित किया था। तीसरा इस दिन कृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। चौथा त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था। और, पांचवां इसी दिन राजा पृथु ने राज्य के बच्चो को बजाने के लिए राक्षसी ढुंढी को लकड़ी जलाकर आग से मार दिया था। परंपरागत रूप से, यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

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क्या करते हैं होली पर? (What do you do on Holi?)

होली होलिका के दूसरे दिन धुलैंडी जिनके यहां कोई मर गया है उन्हें रंग डालने जाते हैं। पांचवें दिन रंग पंचमी पर रंगों से होली खेलते हैं। हालांकि होलिका दहन से ही रंग चढ़ने लगता है। होली मिलन समारोह आयोजित कर लोग रंग और गुलाल अबीर एक-दूसरे पर लगाते हैं, भांग पीते हैं, मिठाई खाते और गुझिया खाते हैं।

2022 होली पर्व तिथि व शुभ मुहूर्त (Holi 2022 festival date and auspicious time)

  • होली 2022 तिथि – 19 मार्च 2022
  • होलिका दहन मुहूर्त- 18:22 से 20:49
  • भद्रा पूंछ- 09:37 से 10:38
  • भद्रा मुख- 10:38 से 12:19
  • रंगवाली होली- 20 मार्च 2022
  • पूर्णिमा तिथि आरंभ- 03:03 (19 मार्च 2022)
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त- 23:16 (20 मार्च 2022)

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होली का इतिहास (वसन्तोत्सव)

प्राचीनकाल में होली को होलाका के नाम से जाना जाता था और इस दिन आर्य नवात्रैष्टि यज्ञ करते थे। होलिका दहन के बाद ‘रंग उत्सव’ (वसन्तोत्सव) मनाने की परंपरा भगवान श्रीकृष्ण के काल से प्रारंभ हुई। तभी से इसका नाम फगवाह हो गया, क्योंकि यह फागुन माह में आती है। वक्त के साथ सभी राज्यों में होली को मनाने और उसको स्थाननीय भाषा में अन्य नाम से पुकारने लगे। प्राचीन भारतीय मंदिरों की दीवारों पर होली उत्सव से संबंधित विभिन्न मूर्ति या चित्र अंकित पाए जाते हैं। अहमदनगर चित्रों और मेवाड़ के चित्रों में भी होली उत्सव का चित्रण मिलता है। ज्ञात रूप से यह त्योहार 600 ईसा पूर्व से मनाया जाता रहा है। सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेषों में भी होली और दिवाली मनाए जाने के सबूत मिलते हैं।

होली से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

होली से जुड़ी अनेक कथाएँ इतिहास-पुराण में पायी जाती हैं; जैसे हिरण्यकश्यप-प्रह्लाद की जनश्रुति, राधा-कृष्ण की लीलाएँ और राक्षसी धुण्डी की कथा आदि।

  • रंगवाली होली (spring festival) से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है। कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती। भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप ख़ुद होलिका ही आग में जल गयी। अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुक़सान नहीं हुआ।
  • रंगवाली होली (Vasantōtsava)को राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में भी मनाया जाता है। कथानक के अनुसार एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि वे स्वयं राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं। यशोदा ने मज़ाक़ में उनसे कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा। इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह पर्व रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव के श्राप के कारण धुण्डी नामक राक्षसी को पृथु के लोगों ने इस दिन भगा दिया था, जिसकी याद में होली मनाते हैं।

क्या है होली के अनुष्ठान? (What are the rituals of Holi)

  1. इस दिन, लोग रंगों और पानी से खेलते हैं, एक-दूसरे के चेहरे पर गुलाल लगाते हैं। ये रंग प्राकृतिक अवयवों से बने होते हैं जिनमें नीम, कुमकुम, हल्दी और फूलों का अर्क शामिल होता है।
  2. शाम को विशाल अलाव जलाया जाता है और पूजा के लिए गाय के गोबर के केक, लकड़ी, घी, दूध और नारियल को आग में जलाया जाता है। इसे होलिका दहन के नाम से जाना जाता है।
  3. लोग परिवारों और दोस्तों के साथ नाचते, गाते और दावत देते हैं, होली एक नए फसल के मौसम का प्रतीक भी है।
  4. होली मेला’ नामक बड़े मेले उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में आयोजित किए जाते हैं।
  5. बंगाल में, होली को डोलजात्रा के रूप में मनाया जाता है, जिसके दौरान युवा लड़कियों को सफेद और केसरिया कपड़े पहनाए जाते हैं, जो मालाओं और फूलों से सजी, पारंपरिक धुनों पर नाचती और गाती हैं। इस अवसर पर विशेष मीठे व्यंजन जैसे मालपुआ, खीर और बसंती चंदन तैयार किए जाते हैं।
  6. कर्नाटक में, होली में स्थानीय नृत्य शैली बेदरा वेश का प्रदर्शन किया जाता है।
  7. तमिलनाडु में, इस दिन को पंगुनी उथ्रम के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन राम-सीता, शिव-पार्वती और मुरुगा-देवसेना का विवाह हुआ था। साथ ही महालक्ष्मी जयंती भी मनाई जाती है।

किस राज्य में होली को क्या कहते हैं? (What is Holi called in which state?)

हिंदुओं का यह त्योहार भारत, श्रीलंका, नेपाल व मॉरिशस समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। हर देश और राज्य में होली को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। प्रत्येक राज्य में होली को मनाने के तरीके भी अलग-अलग हैं। आओ जानते हैं होली के संबंध में कुछ रोचक।

बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश

बिहार और उत्तर प्रदेश में होली को फगुआ, फाग और लठमार होली कहते हैं। खासकर मथुरा, नंदगांव, गोकुल, वृंदावन और बरसाना में इसकी धूम होती है।

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में होली वाले दिन होलिका दहन होता है, दूसरे दिन धुलैंडी मनाते हैं और पांचवें दिन रंग पंचमी मनाते हैं। यहां के आदिवासियों में होली की खासी धूम होती है।

महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा

महाराष्ट्र में होली को ‘फाल्गुन पूर्णिमा’ और ‘रंग पंचमी’ के नाम से जानते हैं। गोवा के मछुआरा समाज इसे शिमगो या शिमगा कहता है। गोवा की स्थानीय कोंकणी भाषा में शिमगो कहा जाता है। गुजरात में गोविंदा होली की खासी धूम होती है।

हरियाणा और पंजाब

हरियाणा में होली को दुलंडी या धुलैंडी के नाम से जानते हैं। पंजाब में होली को ‘होला मोहल्ला’ कहते हैं।

पश्चिम बंगाल और ओडिशा

पश्चिम बंगाल और ओडिशा में होली को ‘बसंत उत्सव’ और ‘डोल पूर्णिमा’ के नाम से जाना जाता है।

तमिलनाडु और कर्नाटक

तमिलनाडु में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हैं। इसीलिए यहां पर होली को कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहते हैं। कर्नाटक में होली के पर्व को कामना हब्बा के रूप में मनाते हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगना में भी ऐसी ही होली होती है।

मणिपुर और असम

मणिपुर में इसे योशांग या याओसांग कहते हैं। यहां धुलेंडी वाले दिन को पिचकारी कहा जाता है। असम इसे ‘फगवाह’ या ‘देओल’ कहते हैं। त्रिपुरा, नगालैंड, सिक्किम और मेघालय में भी होली की धूम रहती है।

उत्तराखंड और हिमाचल

यहां होली को भिन्न प्रकार के संगीत समारोह के रूप में मनाया जाता है, जिसे बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली कहते हैं। यहां कुमाउनी होली होली प्रसिद्ध है। 

याओसांग क्या है ? (डोल जात्रा) what is yaosang?

मणिपुर में फाल्गुन मास के दिन याओसांग (डोल जात्रा) नामक पर्व मनाया जाता है जो होली से बहुत मिलता जुलता है। यहाँ धुलेंडी वाले दिन को ‘पिचकारी’ कहा जाता है। याओसांग से अभिप्राय उस नन्हीं-सी झोंपड़ी से है जो पूर्णिमा के अपरा काल में प्रत्येक नगर-ग्राम में नदी अथवा सरोवर के तट पर बनाई जाती है। इसमें चैतन्य महाप्रभु की प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूजन के बाद इस झोंपड़ी को होली के अलाव की भाँति जला दिया जाता है।

इस झोंपड़ी में लगने वाली सामग्री ८ से १३ वर्ष तक के बच्चों द्वारा पास पड़ोस से चुरा कर लाने की परंपरा है। याओसांग की राख को लोग अपने मस्तक पर लगाते हैं और घर ले जा कर तावीज़ बनवाते हैं। ‘पिचकारी’ के दिन रंग-गुलाल-अबीर से वातावरण रंगीन हो उठता है। बच्चे घर-घर जा कर चावल सब्ज़ियाँ इत्यादि एकत्र करते हैं। इस सामग्री से एक बड़े सामूहिक भोज का आयोजन होता है।

कैसे मनाया जाता है याओसांग फेस्टिवल (Yaoshang Festival)  (डोल जात्रा)

Yaoshang त्योहार भारत के मुख्य भाग में रहने वाले हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले होली के समान ही है। जिस प्रकार लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर होली त्योहार मनाते हैं उसी प्रकार याओसांग त्योहार में भी लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। यह त्योहार मणिपुरी कैलेंडर के लामदा महीने के पूर्णिमा के रात्रि से शुरू होता है और 5 दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन लोग लकड़ियों से बने अस्थाई झोपड़ी को जलाकर इस त्योहार को मनाना शुरू करते हैं।

डोल जात्रा त्योहार (Yaoshang Festival) के दूसरे दिन मिताई लोगों द्वारा भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इसके उपरांत छोटी-छोटी लड़कियां अपने रिश्तेदारों के घर जाती हैं और उनसे त्योहारी के रूप में कुछ रूपये-पैसे मांगती हैं जिसे कि नकाथेंग (Nakatheng) कहा जाता है। कुछ लड़कियां रस्सियों से रास्ते घेरकर लोगों से त्योहारी के रूप में नकाथेंग (Nakatheng) वसूलतीं हैं।

इस त्योहार के चौथे दिन लोग एक-दूसरे को पानी और रंगों से सराबोर करते हैं। इस दिन कई तरह के खेलों का आयोजन किया जाता हैं। सभी लोग इन खेलों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लोग एक-दूसरे को बधाइयाँ देते हैं। इस दिन एक परम्परागत कुश्ती का भी आयोजन किया जाता है जिसे कि स्थानीय भाषा में ‘मुकना’ के नाम से जाना जाता है।

मणिपुर राज्य में यह एक अत्यंत ही लोकप्रिय त्योहार है जो कि सभी मणिपुरी समाज के लोगों को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करता हैं। पुरे मणिपुरी समाज को अपने इस त्योहार पर अत्यंत ही नाज है। ये लोग इस त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं तथा अपने पड़ोसियों के साथ खाने-पीने की वस्तुओं का वितरण करते हैं।

होली पर करें ये टोटके होगी धन की वर्षा और मिटेंगे दुःख (Holi Totke)

आज हम बात करने वाले है कुछ टोटकों के बारे में जो होली पर करने से धन और स्वास्थ्य दोनों के लिए काफी चमत्कारी रहते है। तो चलिए देखते है कुछ ख़ास टोटके जो आपको भी इस होली पर करने चाहिए। ये है कुछ चमत्कारी टोटके, जिससे होगी धन की वर्षा...

गरीबों को करें दान

माना जाता है कि होली पर अगर गरीबों को कुछ भी दान किया जाता है तो यह काफी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से धन की वर्षा होती है और साथ ही स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। इस कारण इस होली पर आपको भी गरीबों को कुछ दान करना चाहिए।

नौकरी को लेकर है परेशान तो कीजिये यह टोटका

अक्सर हर व्यक्ति किसी तरह से दुखी रहता है। अर्थात कहने का मतलब यह है कि हर किसी को दुःख होते है। जैसे अगर आप अपनी नौकरी, व्यवसाय या करोबार या किसी अन्य परेशानी से जूझ रहे हैं तो ऐसे में आप होलिक दहन की पूजा में नारियल अवश्य चढ़ाएं। इससे आपके दुःख दूर होने के चांस बढ़ जाएंगे।

ऐसे होगी धन की वर्षा

होलिका दहन से होली का आरंभ होता है। यदि आप भी अपने परिवार में सुख शांति चाहते है और धन की वर्षा चाहते है तो होलिका दहन पर नारियाल के साथ सुपारी और मिठाई जरूर चढ़ाई जानी चाहिए। ऐसा करने से आपको काफी लाभ होगा और घर में किसी भी चीज में बरकत होने लगेगी।

कठिन परिश्रम के बाद भी अच्छा फल न मिलना

वहीं यदि आप कठिन परिश्रम करते है सफलता के लिए लेकिन इसके बाद भी अगर आपके नंबर या उसका परिणाम अच्छा नहीं आता है तो आपको होलिका दहन पर नारियल के साथ पान-सुपारी अर्पित करनी चाहिए। इससे चमत्कार हो सकते है और आपको अच्छा फल मिल सकता है जैसी आप मेहनत करते है।

घर में सुख शांति के लिए टोटका

  • अक्सर हर किसी के घर में खटपट होती रहती है लेकिन कई घरों में खटपट कुछ ज्यादा ही रहती है और साथ ही किसी भी चीज की बरकत नहीं होती इस कारण घर की सुख-शांति भी चली जाती है। इसके लिए होलिका दहन की पूजा सामग्री में जौ का आटा शामिल करें।
  • तो आपने आज जाना कि होली पर कौन-कौनसे टोटके करने चाहिए ताकि आपका स्वास्थ्य अच्छा बना रहे और धन की वर्षा हो। तो ये टोटके आप भी कर सकते है अगर आप इन सब बातों में विश्वास रखते है।

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