Jagjivan Ram Jayanti 2022: देश के सबसे बड़े दलित नेता
Jagjivan Ram Jayanti 2022: जगजीवन राम (Jagjivan Ram) (5 अप्रैल 1908- 6 जुलाई 1986) एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा भारत के प्रथम दलित उप-प्रधानमंत्री एवं राजनेता थे।

Jagjivan Ram Jayanti 2022: आजादी के बाद भारतीय राजनीति में ऐसे कम ही नेता रहे हैं जिन्होंने न केवल मंत्री के रूप में अकेले कई मंत्रालयों की चुनौतियों को स्वीकारा बल्कि उन चुनौतियों को अंतिम अंजाम तक पहुंचाया। जगजीवन राम आधुनिक भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष रहे। जगजीवन राम जी (Babu Jagjivan Ram Jayanti) को मंत्री के रूप में जो भी विभाग मिला उन्होंने अपनी प्रशासनिक दक्षता से उसका सफल संचालन किया था। जगजीवन राम (बाबूजी) का एक ऐसा व्यक्तित्व था कि जो वह एक बार ठान लेते थे वह उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। उनमें संघर्ष का जबरदस्त माद्दा था। उन्हें चुनौतियों का सामना करना भाता था। उनके व्यक्तित्व ने अन्याय से कभी समझौता नहीं किया। वह हमेशा दलितों के सम्मान के लिए संघर्षरत रहे।
जगजीवन राम (Jagjivan Ram) का जन्म
एक दलित परिवार में जन्म लेकर राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर छा जाने वाले बाबू जगजीवन राम (Jagjivan Ram) का जन्म बिहार की उस धरती पर हुआ था जिसकी भारतीय इतिहास और राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार में भोजपुर के चंदवा गांव में हुआ था। उन्हें जन्म से ही बाबूजी के नाम से संबोधित किया जाता था। उनके पिता शोभा राम एक किसान थे जिन्होंने ब्रिटिश सेना में नौकरी भी की थी। जगजीवन राम अध्ययन के लिए कोलकाता गए वहीं से उन्होंने 1931 में स्नातक की डिग्री हासिल की।
जीवन और शिक्षा (Life & Education)
- जगजीवन राम (Jagjivan Ram) बाबूजी ने अपनी स्कूली शिक्षा आरा शहर से प्राप्त की जहां उन्होंने पहली बार भेदभाव का सामना किया। उन्हें अछूत (Untouchable) माना जाता था जिसके चलते उन्हें एक अलग बर्तन से पानी पीना पड़ता था। जगजीवन राम ने इसका विरोध किया। इसके बाद प्रधानाचार्य को स्कूल में अछूतों के लिये अलग से रखे गए पानी पीने के बर्तन को हटाना पड़ा।
- जगजीवन राम (Jagjivan Ram) वर्ष 1925 में पंडित मदन मोहन मालवीय से मिले तथा उनसे बहुत अधिक प्रभावित हुए। बाद में मालवीय जी के आमंत्रण पर वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) गए।
- जगजीवन राम (Jagjivan Ram) को विश्वविद्यालय में भेदभाव का सामना करना पड़ा। इस घटना ने उन्हें समाज के एक वर्ग के साथ इस प्रकार के सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रेरित किया। इस तरह के अन्याय के विरोध में उन्होंने अनुसूचित जातियों को संगठित किया।
- BHU में कार्यकाल पूर्ण होने के बाद उन्होंने वर्ष 1931 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.एस.सी. की डिग्री हासिल की। जगजीवन राम ने कई बार रविदास सम्मेलन को आयोजित कर कलकत्ता (कोलकाता) के विभिन्न क्षेत्रों में गुरु रविदास जयंती मनाई थी।
स्वतंत्रता पूर्व योगदान (Freedom pre-contribution)
- जगजीवन राम (Jagjivan Ram) बाबूजी वर्ष 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी) के सदस्य बन गए। उन्होंने वर्ष 1934-35 में अखिल भारतीय शोषित वर्ग लीग (All India Depressed Classes League) की नींव रखने में अहम योगदान दिया था। यह संगठन अछूतों को समानता का अधिकार दिलाने हेतु समर्पित था। जगजीवन राम (Jagjivan Ram) जी सामाजिक समानता और शोषित वर्गों के लिए समान अधिकारों के प्रणेता थे।
- वर्ष 1935 में उन्होंने हिंदू महासभा के एक सत्र में प्रस्ताव रखा कि पीने के पानी के कुएं और मंदिर अछूतों के लिए खुले रखे जाएं।
- वर्ष 1935 में बाबूजी रांची में हैमोंड आयोग के समक्ष भी उपस्थित हुए और पहली बार दलितों के लिये मतदान के अधिकार की मांग की। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और इससे जुड़ी राजनीतिक गतिविधियों के लिए 1940 के दशक में उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा।
List of Monthly Holidays 2022 | Month Wise Government Holidays in 2022
आजादी के बाद जगजीवन राम का योगदान (Freedom After-contribution)
वर्ष 1946 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित प्रथम लोकसभा में बाबूजी ने श्रम मंत्री के रूप में देश की सेवा की व अगले तीन दशकों तक कांग्रेस मंत्रिमंडल की शोभा बढ़ाई। इस महान राजनीतिज्ञ ने भारतीय राजनीति को अपने जीवन के 50 वसंत से भी अधिक दान में दिए हैं। संविधान के निर्माणकतार्ओं में से एक बाबूजी ने सदैव सामाजिक न्याय को सर्वोपरि माना है। पंडित नेहरू का बाबूजी के लिए एक विख्यात कथन कुछ इस प्रकार है -‘समाजवादी विचारधारा वाले व्यक्ति को, देश की साधारण जनता का जीवन स्तर ऊँचा उठाने में बड़े से बड़ा खतरा उठाने में कभी कोई हिचक नहीं होती। जगजीवन राम उन में से एक ऐसे महान व्यक्ति हैं’ श्रम, रेलवे, कृषि, संचार व रक्षा, जिस भी मंत्रालय का दायित्व बाबूजी को दिया गया हो उसका सदैव कल्याण ही हुआ है।
Bank Holidays 2022: साल 2022 में कितने दिन रहेंगे बैंक अवकाश, देखें पूरी लिस्ट
श्रम मंत्री के रूप में (Labour Minister Jagjivan Ram)
प्रथम सरकार में निर्वाचित सांसद बाबू जगजीवन राम को श्रम मंत्रालय का दायित्व दिया गया। श्रम मंत्री के रूप में बाबूजी ने समय द्वारा जांचे-परखे कुछ महत्त्वपूर्ण कानूनों को लागू करने का अहम फैसला लिया। ये कानून मजदूर वर्ग की सबसे बड़ी उम्मीद व आज के युग में सबसे बड़े हथियार के रूप में देखे जाते हैं। ये कानून कुछ इस प्रकार थे
- इंडस्ट्रियल डिसप्यूट्स एक्ट, 1947
- मिनिमम वेजेज एक्ट, 1948
- इंडियन ट्रेड यूनियन (संशोधन) एक्ट, 1960
- पेयमेंट आॅफ बोनस एक्ट, 1965
दो अति आवश्यक कानून जिनके बिना आज का व्यापारिक जीवन अस्त व्यस्त हो जाता
- एम्प्लाइज स्टेट इंश्योरेंस एक्ट, 1948
- प्रोविडेंट फण्ड एक्ट, 1952
दूसरा घर व संचार मंत्री (Telecom Minister)
वर्ष 1952 में पंडित जवाहरलाल नेहरु ने सासाराम से निर्वाचित बाबू जगजीवन राम (Jagjivan Ram) को संचार मंत्री की उपाधि दी। उस समय संचार मंत्रालय में ही विमानन विभाग भी शामिल था। बाबूजी ने निजी विमान कंपनियों के राष्ट्रीयकरण की ओर कदम बढ़ाए। परिणामस्वरूप वायु सेना निगम, एयर इंडिया व इंडियन एयरलाइन्स की स्थापना हुई। इस राष्ट्रीयकरण योजना के प्रबल विरोध होने के कारण लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल भी इसे स्थगित करने के पक्ष में खड़े हो गए थे। परन्तु बाबूजी के समझाने पर वे मान गए व विरोध भी लगभग खत्म हो गया। गाँवों में डाकखानों का जाल बिछाने की बात भी उन्होंने कही व नेटवर्क के विस्तार का चुनौतीपूर्ण कार्य आरंभ किया।
Gudi Padwa 2022: गुड़ी पड़वा क्या है, गुड़ी पड़वा का क्या महत्व है?
रेल मंत्री के रूप में (Railway Minister)
बाबूजी (Jagjivan Ram) को वर्ष 1956-62 तक रेल मंत्रालय की जिÞम्मेदारी मिली। उन्होंने रेल मंत्री के रूप में भारतीय रेलवेज का काया पलट ही कर दिया। बाबूजी ने भारतीय रेलवेज को आधुनिक दुनिया के सन्दर्भ में आधुनिक रेलवेज के निर्माण की बात कही। उन्होंने ने 5 सालों तक रेलवे किराया एक रुपया भी नहीं बढाया जो कि एक ऐतिहासिक घटना थी। उन्होंने रेलवे अधिकारियों, अफसरों व कर्मचारियों के विकास पर अधिक बल दिया।
विविध मंत्रालयों में बाबूजी (Other Ministry)
1962 में उन्हें परिवहन एवं संचार मंत्रालय मिला। परन्तु बाबूजी ने कामराज योजना के तहत इस्तीफा दे दिया व कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने में लग गए। 1966-67 के आम चुनावों में विजयी बाबू जगजीवन राम को उस सरकार में एक बार फिर श्रम मंत्रालय दिया गया। किन्तु एक वर्ष उपरांत ही उन्हें कृषि एवं खाद्य मंत्रालय का दायित्व दिया गया। चीन व पाकिस्तान से जंग के पश्चात भारत में गरीबी व भुखमरी के हालात पैदा हो गए थे तथा अमेरिका से पी.एल. – 480 के तहत मिलने वाला गेहूं व ज्वार खाद्य आपूर्ति का मुख्य स्रोत था। ऐसी कठिन परिस्थिति में बाबूजी ने डॉ॰ नॉर्मन बोरलाग की सहायता से हरित क्रान्ति की बुनियाद रखी व मात्र दो वर्षों के उपरान्त ही भारत फूड सरप्लस देश बन गया। कृषि एवं खाद्य मंत्रालय में रहते हुए बाबूजी ने देश को भीषण बाढ़ से भी राहत पहुंचाई व भारत को खाद्य संसाधनों में आत्मनिर्भर बनाया। 1970 के आम चुनावों में एक बार फिर बाबूजी की जीत हुई व उन्हें इन्दिरा गांधी की सरकार में इस बार रक्षा मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय को अपनी सेवाएँ प्रदान करने का मौका मिला।
Navratri 2022 April: हिंदू नववर्ष का शुभारंंभ 2 अप्रैल से, शनिदेव इस वर्ष के राजा होंगे
बाबूजी ने सर्वप्रथम भारत के राजनैतिक मानचित्र को पूर्णतया परिवर्तित कर दिया। भारत-पाकिस्तान की उस अभूतपूर्व जंग में बाबूजी ने देश की जनता से वायदा किया कि ये जंग भारतभूमि के एक सूई की नोक के बराबर तक भाग पर भी नहीं लड़ी जायेगी, और वे इस वायदे पर कायम रहे। उनकी इस महान सेवा के लिए श्री राजीव गाँधी ने कुछ इस प्रकार से अपने विचार व्यक्त किए हैं झ्र ‘राष्ट्र को आजाद करने में बाबूजी का योगदान बड़ा ही सराहनीय रहा है े देश को अनाज की दृष्टी से आत्म-निर्भर बनाने तथा बांग्लादेश की मुक्ति के युद्ध में उनका योगदान हमेशा याद रखा जायेगा’ वर्ष 1974 में बाबूजी ने कृषि एवं सिंचाई विभाग की जिÞम्मेदारी ली व एक नयी प्रणाली ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ की नीव रखी जिसके द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि देश की आम जनता को पर्याप्त मात्रा व कम दाम में खाद्य पदार्थ उपलब्ध हों े
कांग्रेस के आधारस्तंभ (Congress base )
बाबूजी (Jagjivan Ram) ने दिसंबर 1885 में बनी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अपनी माँ के समान बताया है व इसकी सेवा में सदैव आगे रहे। बाबूजी वर्ष 1937-77 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य रहे। स्वतंत्रता प्राप्ति उपरान्त वे कांग्रेस के लिए अपरिहार्य हो गए थे। बाबू जगजीवन राम महात्मा गांधीजी के प्रिय तो थे ही साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू एवं इन्दिरा गाँधी जी के सबसे अहम सलाहकारों में से भी एक थे। वर्ष 1966 में माननीय डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद जी के निधनोपरांत कांग्रेस पार्टी का आपसी मतभेदों व सत्ता की लड़ाई के कारण बंटवारा हो गया। जहां एक तरफ नीलम संजीवा रेड्डी, मोरारजी देसाई व कुमारसामी कामराज जैसे दिग्गजों ने अपनी अलग पार्टी की रचना की वहीं इन्दिरा गाँधी, बाबू जगजीवन राम व फकरुद्दीन अली अहमद जैसे आधुनिक सोच के व्यक्ति कांग्रेस पार्टी के साथ खड़े रहे। वर्ष 1969 में बाबूजी निर्विरोध कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में स्वीकारे गए व बाबूजी ने पूरे देश में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने व उसकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए पूर्ण प्रयास किया जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस पार्टी 1971 के आम चुनावों में ऐतिहासिक व प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौट आई। इन्दिरा गांधी ने इस ऐतिहासिक घटना का श्रेय बाबूजी को देते हुए कहा – बाबू जगजीवन राम भारत के प्रमुख निमार्ताओं में से एक है। देश के करोड़ों हरिजन, आदिवासी, पिछड़े व अल्पसंख्यक लोग उन्हें अपना मुक्तिदाता मानते हैं।
Sarhul Festival 2022: सरहुल का अर्थ, कब मनाते है, कहां मनाया जाता है, पूजा, नृत्य, सरहुल में केकड़ा का महत्व
आपातकाल व नयी शुरूआत
इन्दिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 को देश भर में आपातकाल की घोषणा कर दी गई। इस आपातकाल ने संविधान के मौलिक अधिकारों को सवालों के घेरे में ला दिया। इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी 1977 को आम चुनाव की घोषणा तो कर दी थी किन्तु देश को आपातकाल का डर था। इस परिस्थिति से निपटने के लिए बाबूजी ने अपने पद का त्याग कर दिया व कांग्रेस पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने उसी दिवस ‘कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी’ (सी.एफ.डी.) नामक एक नई पार्टी की रचना की। वर्ष 1977 के आम चुनावों में बाबूजी की विजय हुई व उन्हें रक्षा मंत्रालय का दायित्व दिया गया। 25 मार्च 1977 को कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी, जनता पार्टी में सम्मिलित कर ली गई। जनवरी 1979 में बाबूजी भारत वर्ष के उपप्रधानमंत्री के रूप में घोषित किए गए। वर्ष 1980 में जनता पार्टी का आपसी मनमुटावों के कारण बंटवारा हो गया एवं बाबूजी ने मार्च 1980 में अंतत: कांग्रेस (जे) का निर्माण किया। वर्ष 1984 के आम चुनावों में सासाराम की जनता ने अपने विश्वनीय प्रतिनिधि बाबू जगजीवन राम के लिए एक बार पुन: लोकसभा के द्वार खोल दिए ।
अंतिम यात्रा (last journey)
बाबूजी (Jagjivan Ram) ने 6 जुलाई 1986 को अपनी अंतिम श्वास ली। बाबूजी ने सदैव निडरतापूर्वक अन्याय का सामना किया एवं साहस, ईमानदारी, ज्ञान व अपने अमूल्य अनुभव से सदैव देश की भलाई की। वे स्वतंत्र भारत के उन महान नेताओं में से एक थे जिन्होनें दलित समाज की दशा बदल दी व एक नयी दिशा प्रदान की। इन्होनें सदा एक ही चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया व सदा अपराजित ही रहे। बाबू जगजीवन रामजी ने वर्ष 1936 से वर्ष 1986 तक अर्थात आधी शताब्दी तक राजनीति में सक्रिय रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।