Vijay Shah FIR: सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई फटकार, MP High Court के FIR के आदेश पर रोक लगाने से इनकार
Vijay Shah FIR: मंत्री विजय शाह द्वारा एफआईआर रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई गई थी, जिस पर उन्हें वहां से भी फटकार मिली। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

Vijay Shah FIR: उज्जवल प्रदेश, भोपाल / जबलपुर. प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए विवादित बयान पर उनके खिलाफ महू के मानपुर थाने में बुधवार देर रात FIR दर्ज की गई थी। मंत्री विजय शाह द्वारा एफआईआर रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई गई थी, जिस पर उन्हें वहां से भी फटकार मिली। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मंत्री विजय शाह (Minister Vijay Shah) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। इस मामले में आज मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई होना है। आज हाईकोर्ट के पटल पर उस वीडियो का लिंक भी रखे जाएंगे, जिसमें मंत्री ने कर्नल सोफिया को लेकर टिप्पणी की थी।
मंत्री को पद से हटाने की कांग्रेस कर रही मांग
इधर कांग्रेस मंत्री विजय शाह को पद से हटाने की मांग कर रही है। प्रदेश के इंदौर, भोपाल और जबलपुर सहित कई शहरों में मंत्री शाह के खिलाफ प्रदर्शन भी किया गया था।
इन धाराओं में दर्ज हुआ केस
- BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 152 : अलगाव, सशस्त्र विद्रोह और विध्वंसक गतिविधियों को भड़काने वाले कृत्यों को अपराध मानती है। यह देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों को भी अपराध मानती है। इसमें उम्रकैद या सात साल तक के कारावास के दंड का प्रविधान है।
- BNS 196(1)(ख) : धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य करने से संबंधित है। इसमें पांच वर्ष के कारावास का प्रविधान है।
- BNS 197(1)(ग) : राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों से संबंधित है। इसमें किसी भी समूह की भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा को संदेह में लाने वाले आरोप, दावे या कथन शामिल हैं। इसमें तीन वर्ष के कारावास का प्रविधान है।
हाईकोर्ट ने कहा- “गटर जैसी भाषा”, दर्ज हुआ मामला
14 मई 2025 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। अदालत ने उनकी टिप्पणी को “गटर की भाषा” कहा और इसे महिलाओं के सम्मान और सेना की गरिमा के विरुद्ध करार दिया।
कोर्ट के मुताबिक, एक कैबिनेट मंत्री की ओर से इस तरह की टिप्पणी न केवल कर्नल सोफिया के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाती है, बल्कि इससे भारतीय सेना की प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़े होते हैं। आदेश के तहत आईपीसी की गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें सात साल तक की सजा का प्रावधान है।
SC की फटकार, 16 मई को अगली सुनवाई
विजय शाह ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए Supreme Court का रुख किया, लेकिन यहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। 15 मई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मंत्री की भाषा अस्वीकार्य है और उन्होंने अपने पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख तय की है और कहा है कि मामले में कानून के तहत उचित निर्णय लिया जाएगा।
सोशल मीडिया पर समर्थन, विपक्ष का हमला
सोशल मीडिया पर मंत्री विजय शाह की FIR का मामला वायरल हो गया है। हजारों लोग कर्नल सोफिया के समर्थन में सामने आए हैं और विजय शाह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं, विपक्षी दलों ने इसे महिलाओं और सेना के प्रति भाजपा सरकार के “दृष्टिकोण” का प्रतिबिंब बताया है। यह विवाद अब राष्ट्रीय स्तर पर गरमाया हुआ है और आने वाले दिनों में इसका असर मध्य प्रदेश की राजनीति पर भी दिख सकता है।