क्यों नहीं थम रहा डिजिटल अरेस्ट का मामला? Cyber Fraud हो तो करें 1930 डायल
Cyber Fraud Report 1930: बढ़ते साइबर अपराध आज के समय की सबसे बड़ी समस्या बन गया है। ठगी नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। ऐसे में हमें जागरूक रहना होगा। आपके या आपके किसी परिचित के साथ किसी भी तरह की साइबर ठगी हो तो तुरंत 1930 डायल (Helpline 1930 Dial) कर तुरंत शिकायत दर्ज करवाएं।

Cyber Fraud Toll Free Number 1930 Dial : उज्जवल प्रदेश, भोपाल. साइबर ठगी के मामलों में कानून की कमजोरियों के कारण अपराधियों को मिल रहा बढ़ावा। आज के समय में साइबर ठग नए-नए तरीकों से लोगो को लुटते है और पकड़े जाने पर भी जमानत मिलने के कारण आसानी से बच निकलते हैं। क्या आप को पता है साइबर ठगी के मामले आइटी एक्ट की धारा 66 व 67 में दर्ज होते हैं जोकि स्पेशल एक्ट यानी विशेष कानून है।
फर्जी दस्तावेजों से मोबाइल नंबरों और बैंक अधिकारियों-कर्मचारियों की साठगांठ से बैंक खातों के साइबर ठगी में इस्तेमाल के होने के कारण साइबर अपराधियों को पकड़ना पुलिस के लिए पहले ही मुश्किल बना हुआ है। इसे लेकर हमारे कमजोर कानून बेवस्था के कारण साइबर अपराध पर अभी तक लगाम नहीं लग पा रहा है। यदि साइबर लुटेरे पकड़े भी जाते हैं तो भी उन्हें तुरंत जमानत मिल जाती है उनको न तो जेल होती है न ही उनसे ज्यादा पूछ ताछ की जाती है या ठगी जमानत के बाद नया ठिकाना बनाकर फिर से Cyber Fraud शुरू कर देते हैं।
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हमारे इंडिया के कानून में इतने पेंच हैं कि साइबर अपराधियों पर लगाम लगा पाना पुलिस के लिए बहुत मुश्किल हो रहा है और पीड़ितों की परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। स्वयं को और अपने रिश्तेदारों-दोस्तों को साइबर ठगी से बचाने का एकमात्र जरिया हमारी जागरूकता और सतर्कता है।
Cyber Fraud में ठगो को होती है बहुत कम सजा
साइबर ठगी के मामले आईटी एक्ट की धारा 66 व 67 में दर्ज की जाती हैं, जो स्पेशल एक्ट यानी विशेष कानून व्यवस्था है। कानूनन अगर इन धाराओं के साथ कोई अन्य धारा नहीं लगाई गयी है तो आईटी एक्ट की ये धारा जमानती और हल्की धारा है, जिसमें थाने से जमानत मिलने का प्रविधान बहुत आसान है।
इसे गैर-जमानती बनाने के लिए पुलिस धोखाधड़ी व अन्य धाराएं मजबूरन जोड़नी पड़ती हैं। पुलिस को कोर्ट को बताना होता है कि आरोपित भाग रहा था या साक्ष्य मिटा रहा है और पीड़ित को धमकी भी दे रहा है, जिस कारण उसे जमानत न मिल पाए। डिजिटल लेन-देन में पुलिस को जांच करने का पूरा समय मिलना चाहिए, लेकिन पुलिस को कम समय पर आरोप पत्र भी दायर करना होता है।
जैसे-तैसे जांच होती है, लेकिन मजबूत साक्ष्यों के अभाव में आरोपित को सजा नहीं मिल पाती है। सुप्रीम कोर्ट का दिशानिर्देश है कि सात साल से कम सजा के प्रविधान वाले मामलों में आरोपित को गिरफ्तार नहीं किया जाय। साइबर ठगी के मामलों में तीन साल तक की सजा का ही प्रविधान है। उसमें भी साक्ष्य नहीं मिल पाने के कारण ही देश में साइबर अपराधियों के मामले में सजा की दर महज 2% ही है।
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Helpline 1930 Dial करने से पहले होनी चाहिए ये तैयारी
अगर आप Cyber Fraud के शिकार हो गए हैं तो आपको तुरंत 1930 Helpline Number पर डायल करना चाहिए। हेल्पलाइन नंबर पर Dial करने से पहले आपको कुछ जानकारी रखना होगा ताकि हेल्पलाइन नंबर पर उस जानकारी को शेयर कर अपना पैसा वापस ले सकते हैं। अगर आप Cyber Helpline Number 1930 पर फोन करते हैं तो सबसे पहले आपसे आपका नाम पूछा जाएगा। इसके बाद आपके Mobile Number की जानकारी ली जाएगी फिर आपके नजदीकी Police Station के बारे में पूछा जाएगा। इसके बाद आपके Bank का नाम और कितनी राशि का Fraud हुआ है उसकी जानकारी ली जाएगी। इतनी जानकारी लेने के बाद आपके Account Number, UPI Id, Wallet आदि के बारे में पूछा जाएगा। इसके बाद जिस Transaction ID से फ्रॉड हुआ है उसकी जानकारी ली जाएगी और सबसे अंत में जो Cyber Fraud आपके साथ हुआ है उसकी Brief Information पूछी जाएगी।
Cyber Fraud होने पर ये जरूर करें
- आपको तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करनी चाहिए। यह नंबर गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल का सेंट्रलाइज नंबर है। जो देश के हर नागरिक को सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in पर भी कंप्लेंट करें।
- आप अपने बैंक को पूरी घटना के बारे में जानकारी दें। खाते की ट्रांजैक्शन को ब्लॉक करा दें। अगर आपके मोबाइल से सेंध लगाई है तो सिम प्रोवाइडर कंपनी को कॉल करके अपने सिम को ब्लॉक कराएं।
- आपको अपने साथ हुए फ्रॉड की शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर दर्ज करानी होगी। शिकायत दर्ज कराते समय आपको बैंक पासबुक रिकॉर्ड की कॉपी, आईडी और एड्रेस प्रूफ की कॉपी पुलिस स्टेशन में जमा करनी होगी।
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डिजटल ठगी होने पर इन बातों का रखें ख्याल
- डिजिटल वॉलेट का एग्जिक्यूटिव बनकर फोन करने वाले को अनसुना करें।
- कोई भी ऐप डाउनलोड करने के लिए कहे तो न करें।
- अगर ऐप डाउनलोड हो गया तो वह 9 अंकों का कोड मांगता है तो शेयर न करें।
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