8 Hours of Work पर दीपिका पादुकोण के दिए बयान बोले पंकज त्रिपाठी – कहा ‘सीमाएं तय करना जरूरी’

8 Hours of Work: पंकज त्रिपाठी कार्यस्थल पर सीमाएं निर्धारित करने के महत्व के बारे में बतया और कहा कि वह 'नहीं' कहने का अभ्यास कर रहे हैं।

8 Hours of Work: उज्जवल प्रदेश डेस्क, मुंबई. हाल ही में दीपिका पादुकोण के संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म ‘स्पिरिट’ से बाहर होने की खबरों ने सुर्खियां बटोरी थीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, मां बनने के बाद दीपिका ने अपने काम के घंटों को दिन में 8 घंटे (8 hours of work) तक सीमित करने की शर्त रखी थी, जिसे निर्देशक ने स्वीकार नहीं किया। अब अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने भी इसी मुद्दे पर खुलकर बात की है और वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने और सीमाएं तय करने की जरूरत को रेखांकित किया है।

8 hours of work पर पंकज त्रिपाठी बोले- ‘ना कहना सीख रहा हूं’

एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में पंकज त्रिपाठी ने कहा, “फिलहाल मैं ‘ना’ कहना सीख रहा हूं। क्योंकि हर किसी को यह जानना जरूरी है कि सीमा कहां है — और उस सीमा के पार, विनम्रता से ‘ना’ कहना चाहिए।” उन्होंने आगे बताया कि कई बार उन्हें 16 से 18 घंटे तक लगातार काम (8 hours of work) करना पड़ा। उन्होंने कहा, “काम में खिंचते जा रहे हैं, 16-18 घंटे हो गए, मैं बोल भी रहा हूं कि एक्टर जा चुका है, लेबर रुका हुआ है।”

पंकज ने यह भी कहा कि समय पर काम रोक देना कोई गलत बात नहीं है, “आप विनम्रता से कह सकते हैं, ‘नहीं, इतना ही होगा। हमने जितना कमिट किया था, वो पूरा हो गया। जो बाकी है, वो कल करेंगे।’” उनके अनुसार, यह केवल अभिनय क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि हर पेशे में सीमाएं तय करना जरूरी है।

8 hours of work पर मणिरत्नम ने दीपिका पादुकोण का किया समर्थन

दूसरी ओर, दिग्गज फिल्म निर्माता मणिरत्नम ने दीपिका के समर्थन में बयान दिया है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक उचित मांग है। मैं खुश हूं कि दीपिका (8 hours of work) इस स्थिति में हैं कि वो यह कह सकें। एक फिल्ममेकर के तौर पर आपको ऐसी मांगों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए। यह कोई असामान्य बात नहीं, बल्कि आज के समय की जरूरत है।”

काम की संस्कृति में बदलाव की जरूरत

यह चर्चा केवल फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक वर्कप्लेस कल्चर (8 hours of work) की समस्या को उजागर करती है। चाहे बॉलीवुड हो या कोई अन्य क्षेत्र, कर्मचारियों और पेशेवरों के पास स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन का अधिकार है। पंकज त्रिपाठी और मणिरत्नम जैसे अनुभवी कलाकारों और निर्देशकों का यह समर्थन संकेत देता है कि अब समय आ गया है कि इंडस्ट्री में काम करने के तौर-तरीकों पर फिर से विचार किया जाए।

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