MahaKumbh 2025: प्रयागराज में 144 साल बाद दुर्लभ संयोग

MahaKumbh 2025: इस बार कई मायनों में खास है। यह पूर्ण महाकुम्भ है जो 144 वर्ष बाद हो रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, देवगुरु बृहस्पति और सूर्य के गोचर का यह संयोग पुण्यदायक है।

MahaKumbh 2025: उज्जवल प्रदेश डेस्क, प्रयागराज. MahaKumbh इस बार कई मायनों में खास है। मेले का विस्तार और आधुनिक सुविधाओं से तो क्षेत्र लैस है ही साथ ही इस बार का महाकुम्भ भी अक्षय पुण्य लाभ देने वाला होगा। यह पूर्ण महाकुम्भ होगा। धर्माचार्यों और ज्योतिषाचार्यों की मानें तो ऐसा दुलर्भ संयोग 144 साल बाद बन रहा है। साधु-संतों और ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि महाकुम्भ प्रत्येक 12 वर्ष के बाद लगता है, जबकि 12-12 के 12 चरण पूरे होने पर जो कुम्भ होता है, उसे पूर्ण महाकुम्भ कहा जाता है।

निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि का कहना है कि योग लगन, गृह और तिथि जब सब अनुकूल होते हैं तो यह दुलर्भ संयोग बनता है। प्रत्येक 12 वर्ष के बाद महाकुम्भ, प्रयागराज में छठवें वर्ष पर अर्धकुम्भ और 144 वर्ष के अंतराल पर पूर्ण महाकुम्भ का योग बनता है। निरंजनी अखाड़े के सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी भी इस बार पूर्ण महाकुम्भ होने की बात कहते हैं।

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144 साल बाद पूर्ण MahaKumbh 2025

पूर्ण महाकुम्भ के ज्योतिषीय विश्लेषण भी हैं। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक डॉक्टर दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली का कहना है कि प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल पर प्रयागराज की पावन भूमि पर महाकुम्भ का आयोजन होता है। जब देवगुरु बृहस्पति शुक्र की राशि वृष में गोचर करते हैं तथा जब सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं तब देवगुरु बृहस्पति की नवम दृष्टि सूर्य देव पर पड़ती है। यह अवधि परम पुण्यकारक होती है। जब देवगुरु बृहस्पति अपनी 12 राशियों की यात्रा करने के बाद पुनः वृष राशि में आते हैं, तब प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल पर महाकुम्भ लगता है। इसी प्रकार जब बृहस्पति का वृष राशि में गोचर 12 बार पूर्ण हो जाता है। अर्थात वृष राशि में बृहस्पति के गोचर का 12 चक्र पूर्ण हो जाता है तब उस कुम्भ को पूर्ण महाकुम्भ कहा जाता है। बकौल डॉ. त्रिपाठी इस वर्ष भी देवगुरु बृहस्पति का गोचर वृष राशि में हो रहा है। जो 14 मई 2025 तक रहेगा।

14 जनवरी 2025 को दिन में 2:58 बजे के बाद सूर्य देव का गोचर मकर राशि में आरंभ होगा। तब देवगुरु बृहस्पति की नवम दृष्टि सूर्य देव पर होगी। इसी पुण्यदायक संयोग में ही महाकुम्भ का आयोजन होता है। इस वर्ष हमारे कर्म फल के प्रदाता ग्रह शनि अपनी राशि कुम्भ में गोचर कर रहे हैं। यह भी एक श्रेष्ठ संयोग है। महाकुम्भ पर्व के दौरान ऐश्वर्य, सौभाग्य, आकर्षक, प्रेम, सुख आदि के कारक ग्रह शुक्र अपनी उच्चाभिलाषी स्थिति शनि देव की राशि कुम्भ में एक जनवरी से 29 जनवरी के बीच में गोचर करते रहेंगे। उसके बाद 29 जनवरी 2025 दिन बुधवार की रात में 12:12 बजे से अपनी उच्च राशि मीन में 31 मई 2025 दिन शनिवार तक गोचर करेंगे। मीन राशि के स्वामी ग्रह देव गुरु बृहस्पति होते हैं। इस प्रकार देवगुरु बृहस्पति के साथ राशि परिवर्तन राजयोग का निर्माण होगा। जो परम पुण्य दायक परिणाम प्रदान करने वाला होगा। बुधादित्य योग, गजकेसरी योग, गुरुआदित्य योग, सहित शश व मालव्य नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण होगा जो इस महाकुम्भ को श्रेष्ठ फल प्रदायक बनाने वाला होगा।

अंकगणित का भी संयोग

इस बारे में ज्योतिष का गणितीय विश्लेषण भी है। जैसे 144 का कुल योग नौ होता है। यानी एक और इसमें चार और फिर चार जोड़ने पर नौ होता है। ऐसे ही वर्ष 2025 में दो में दो और फिर पांच जोड़ने पर नौ का पूर्ण अंक प्राप्त हो रहा है। यह भी विशेष संयोग इस महाकुम्भ में दिखाई देगा।

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नेपाल, उत्तराखण्ड, बनारस, मथुरा-वृंदावन से आ रही रुद्राक्ष और तुलसी की मालाएं

महाकुम्भ, सनातन आस्था का महापर्व है। इस अवसर पर सनातन धर्म में आस्था रखने वाले देश के कोने-कोने से प्रयागराज आते हैं और त्रिवेणी संगम में स्नान कर पुण्य के भागी बनते हैं। इस वर्ष महाकुम्भ के अवसर पर 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज में आने का अनुमान है। श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने, उनके स्नान और रहने की व्यवस्थाओं का प्रबंध सीएम योगी के दिशानिर्देश पर मेला प्राधिकरण पूरे जोश और उत्साह के साथ कर रहा है। साथ ही प्रयागराजवासी और यहां के दुकानदार,व्यापारी भी महाकुम्भ को लेकर उत्साहित हैं।

महाकुम्भ उनके लिए पुण्य और सौभाग्य के साथ व्यापार और रोजगार के अवसर भी लेकर आया है। पूरे शहर में होटल, रेस्टोरेंट, खाने-पीने की दुकानों के साथ पूजा सामग्री, धार्मिक पुस्तकों, माला-फूल की दुकानें भी सजने लगी हैं। थोक व्यापारियों का कहना है कि महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के अनुमान के मुताबिक दूसरे शहरों से समान मंगाया जा रहा है। रुद्राक्ष की मालाएं उत्तराखण्ड और नेपाल से तो तुलसी की मालाएं मथुरा-वृंदावन से, रोली, चंदन और अन्य पूजन सामग्री बनारस और दिल्ली के पहाड़गंज से मंगाई जा रही हैं।

गीता प्रेस में छपी धार्मिक पुस्तकों की सबसे ज्यादा मांग

प्रयागराज के दारागंज में धार्मिक पुस्तकों के विक्रेता संजीव तिवारी का कहना है कि सबसे ज्यादा गीता प्रेस, गोरखपुर से छपी धार्मिक पुस्तकों की मांग होती है। अधिकांश श्रद्धालु राम चरित मानस, भागवत् गीता, शिव पुराण और भजन व आरती संग्रह की मांग करते हैं। इसके अलावा पूजा-पाठ का काम करने वाले पुजारी वाराणसी से छपे हुए पत्रा और पंचाग भी खरीद कर ले जाते हैं। इसके अलावा मुरादाबाद और बनारस में बनी पीतल और तांबें की घंटियां, दीपक, मूर्तियां भी मंगाई जा रही है। मेले में कल्पवास करने वाले श्रद्धालु और साधु-संन्यासी पूजा-पाठ के लिए हवन सामग्री, आसन, गंगाजली, दोनें-पत्तल, कलश आदि की मांग करते हैं। जिसे भी बड़ी मात्रा में दुकानदार अपनी दुकानों में मंगा कर स्टोर कर रहे हैं।

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Sourabh Mathur

सौरभ माथुर एक अनुभवी न्यूज़ एडिटर हैं, जिनके पास 13 वर्षों का एडिटिंग अनुभव है। उन्होंने कई मीडिया हॉउस के संपादकीय टीमों के साथ काम किया है। सौरभ ने समाचार… More »

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