MP हाई कोर्ट ने टीआई को सुनाई अनोखी सजा, लगाने होंगे 1,000 पौधे, तस्वीर के साथ GPS लोकेशन रिपोर्ट
MP: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सतना जिले के कोतवाली टीआई को एक हजार फलदार पौधे लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने प्रत्येक व्यक्ति की तस्वीर और GPS स्थान की रिपोर्ट भी मांगी है, जो 62 दिन में पौधे लगाने के लिए आवश्यक हैं।

MP: उज्जवल प्रदेश डेस्क, जबलपुर: मध्यप्रदेश के सतना जिले से जुड़े एक मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने एक अनोखा फैसला सुनाते हुए कोतवाली थाना प्रभारी (टीआई) रावेंद्र द्विवेदी को 1,000 फलदार पौधे लगाने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह कार्य 1 जुलाई 2025 से 31 अगस्त 2026 के बीच किया जाना चाहिए। साथ ही, लगाए गए पौधों की फोटो और जीपीएस लोकेशन की जानकारी भी अदालत में पेश करनी होगी।
पौधरोपण की निगरानी और रिपोर्टिंग अनिवार्य
इस पर्यावरणीय सजा के पालन की निगरानी सतना जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) करेंगे। MP हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि 16 सितंबर 2025 को होने वाली अगली सुनवाई से पहले SP द्वारा लगाए गए पौधों का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश की जाए।
क्यों सुनाई गई ये सजा?
यह अनोखी सजा एक रेप मामले में कोर्ट (MP) के आदेश की अनदेखी को लेकर सुनाई गई है। दरअसल, सतना के कोतवाली थाना प्रभारी रावेंद्र द्विवेदी ने एक बलात्कार पीड़िता को हाईकोर्ट के नोटिस की तामीली (डिलीवरी) नहीं कराई थी।
यह मामला 2021 का है, जब सतना की जिला अदालत ने राम अवतार चौधरी नामक आरोपी को एक नाबालिग से दुराचार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2024 को पीड़िता को नोटिस भेजा, जिसकी तामीली की जिम्मेदारी कोतवाली पुलिस की थी। लेकिन, यह आदेश समय पर पूरा नहीं किया गया।
MP हाईकोर्ट ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने की। सुनवाई के दौरान कोर्ट (MP) ने पाया कि पुलिस द्वारा कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं किया गया, जो न्याय प्रक्रिया में गंभीर चूक है। इसी के चलते कोर्ट ने टीआई को दंडित करते हुए पर्यावरण हित में योगदान करने वाली यह सजा सुनाई।
टीआई रावेंद्र द्विवेदी ने सजा को स्वीकार किया
अदालत से सजा मिलने के बाद टीआई रावेंद्र द्विवेदी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं इस सजा को पूरी तरह से स्वीकार करता हूं। पेड़ लगाना पुण्य का काम है और मैं इसे खुशी-खुशी करूंगा।” उनकी प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि वे कोर्ट के निर्देश को सकारात्मक रूप में ले रहे हैं और इसे एक सामाजिक जिम्मेदारी मान रहे हैं।