चीन की पाबंदियों से भारतीय EV मैन्युफैक्चरिंग पर संकट, Rare Earth Magnets की किल्लत से टू-व्हीलर के प्रोडक्शन में आई भारी गिरावट

चीन से Rare Earth Magnets की आपूर्ति में बाधा के चलते बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और टीवीएस मोटर जैसी भारतीय कंपनियां प्रोडक्शन घटा रही हैं। चीन द्वारा एक्सपोर्ट पर लगाए गए नए नियमों का असर भारतीय ऑटो उद्योग पर साफ दिखने लगा है, जिससे EV सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है।

Rare Earth Magnets: उज्जवल प्रदेश डेस्क. भारत में EV निर्माण को लेकर जो तेजी दिख रही थी, उस पर अब ब्रेक लग सकता है। बजाज, एथर और टीवीएस जैसी दिग्गज कंपनियां अब उत्पादन में कटौती करने जा रही हैं। वजह है चीन की नई एक्सपोर्ट नीति, जिसने रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति को बेहद जटिल बना दिया है।

बजाज, एथर और टीवीएस ने घटाया प्रोडक्शन

बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और टीवीएस मोटर जैसी भारत की प्रमुख टू-व्हीलर निर्माता कंपनियां अपने प्रोडक्शन में कटौती करने जा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति में लगातार आ रही बाधा। इन चुम्बकों का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर्स में किया जाता है, जो EV के मुख्य घटक होते हैं।

सुजुकी पर भी पड़ा असर

रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी का असर केवल टू-व्हीलर उद्योग तक सीमित नहीं है। इससे पहले सुजुकी जैसी बड़ी कार कंपनी भी अपने प्रोडक्शन में कटौती कर चुकी है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह आपूर्ति संकट अब चौथे महीने में पहुंच चुका है और इसका प्रभाव पूरे EV सेक्टर पर पड़ सकता है।

चीन की पकड़ है मजबूत

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर स्थिति जल्दी नहीं सुधरी, तो भारतीय वाहन उद्योग की रफ्तार धीमी हो सकती है। वैश्विक स्तर पर रेयर मेटल्स के खनन में चीन की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है और प्रोडक्शन में लगभग 90 फीसदी। यानी पूरी दुनिया चीन पर निर्भर है।

चीन ने क्यों लगाई पाबंदी

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की यह नीति केवल आपूर्ति नियंत्रित करने की नहीं, बल्कि माइनिंग इंडस्ट्री में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखने की रणनीति भी है। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध के दौरान यह कदम चीन के लिए एक लाभकारी सौदा बन सकता है।

अब क्या हैं चीन के नए नियम

अब यदि कोई देश चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट खरीदना चाहता है, तो उसे यह साबित करना होगा कि इनका उपयोग सैन्य उद्देश्यों में नहीं किया जाएगा। भारतीय कंपनियों को चीन सरकार को ‘एंड-यूज सर्टिफिकेट’ देना होगा, जिसमें पूरी जानकारी देनी होगी कि ये चुम्बक किस काम में उपयोग किए जाएंगे।

क्या है रेयर अर्थ मैग्नेट

रेयर अर्थ मैग्नेट विशेष प्रकार के चुम्बक होते हैं, जिनका निर्माण नियोडियम, डाइस्प्रोसियम और प्रासियोडियम जैसे दुर्लभ तत्वों से होता है। ये अत्यंत शक्तिशाली और छोटे साइज में होते हैं, और इलेक्ट्रिक मोटर्स, विंड टर्बाइंस, मोबाइल, लेपटॉप, मेडिकल डिवाइसेस जैसे आधुनिक उपकरणों में अनिवार्य हैं। EV सेक्टर में ये मोटर्स को हल्का, तेज और कुशल बनाने में मदद करते हैं।

भारत की EV नीति को पड़ सकता है असर

भारत सरकार ने हाल ही में EV सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, लेकिन यदि कच्चे माल की सप्लाई बाधित होती रही, तो न सिर्फ वाहन कंपनियों के प्लान धीमे होंगे बल्कि ग्राहकों तक डिलीवरी और कीमत दोनों पर असर पड़ेगा।

समाधान क्या हो सकता है

  • डायवर्सिफिकेशन: कंपनियों को चीन पर निर्भरता घटाकर अन्य देशों से सप्लाई तलाशनी चाहिए जैसे ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, अमेरिका।
  • स्थानीय उत्पादन: भारत को खुद की रेयर मेटल माइनिंग और प्रोसेसिंग यूनिट विकसित करनी चाहिए।
  • रीसायक्लिंग: पुराने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और बैटरियों से रेयर मेटल निकालने की प्रक्रिया को बढ़ावा देना चाहिए।

कंपनियों की रणनीति में बदलाव

एथर एनर्जी और बजाज ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने कुछ नए मॉडल्स की लॉन्चिंग को टाल दिया है और प्रोडक्शन शेड्यूल को एडजस्ट किया है। वहीं टीवीएस मोटर भी सप्लाई चेन को फिर से व्यवस्थित करने में जुट गई है ताकि ग्राहकों पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़े।

उपभोक्ताओं पर असर…

  • चुनिंदा मॉडल्स की डिलीवरी में देरी
  • कुछ वेरिएंट्स की अस्थायी अनुपलब्धता
  • EV की कीमतों में संभावित वृद्धि

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन… More »

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