Astrology Tips: इस बर्तन में भोजन पकाना और खाना होता है शुभ

Astrology Tips: अगर फूल (कांसे ) के बर्तन में खाना बनाया और खाया जाए तो यह दोनों बातें बहुत शुभ है। ऐसा करने से कई बीमारियां खत्म होती हैं और वास्तु की मानें तो इस तरह से घर में सुख और समृद्धि आती है।

Astrology Tips: उज्जवल प्रदेश डेस्क. अगर फूल के बर्तन में खाना बनाया और खाया जाए तो यह दोनों बातें बहुत शुभ है। ऐसा करने से कई बीमारियां खत्म होती हैं और वास्तु की मानें तो इस तरह से घर में सुख और समृद्धि आती है। बता दें की आज के भागमभग जिंदगी में हमारे घरों में स्टील, चीनी के बर्तन ही ज्यादातर हैं।

पुराने जमाने में पीतल, तांबा और मिश्रधातु फूल के बर्तनों की काफी मांग रहती थी, इनका इस्तेमाल शरीर के लिए भी बहुत फायदेमंद होता था। समय के बदलाव के साथ साथ घर में उपयोग होने वाले पुराने बर्तनों की जगह भी नई धातु के बर्तनों ने ले ली।

नतीजा अब पूरा घर बीमार रहने लगा है। तो वहीं अब बाजार में सिलिकॉन के बर्तनों (Silicon Utensils) तक की मांग तेजी से बढ़ने लगी है. इस बीच अब पुराना दौर भी एक बार फिर लौटता नजर आ रहा है. दरअसल, पिछले कुछ वक्त में मार्केट में एक बार फिर फूल के बर्तनों की मांग सुनाई देने लगी है।

मिश्रधातु को कहते हैं फूल

अगर हम फूल की चर्चा करें तो बता दें कि फूल एक मिश्र धातु होती है जो कि टिन और लेड दोनों से मिलकर बनती है. कभी-कभी इसमें पीतल या तांबे की मिलावट भी की जाती है. इस तरह यह धातू दिखने में चांदी की तरह और उजली होती है. वहीं फूल के बर्तन डेयरी की दुकानों पर भी देखने को मिल जाएंगे. इसमें रखने से दही या खट्टी चीजें रखने पर नहीं बिगड़ती हैं.

फूल के बर्तनों में भोजन से शरीर में नई ऊर्जा पैदा होती है

अगर देखा जाए या महसूस किया जाए तो फूल के बर्तनों के अलावा हथियार बनाने में भी यह काम में आता है। पीतल और तांबे के बर्तनों की तरह ही फूल धातु के बर्तनों के भी स्वास्थ्य के हिसाब से कई लाभदायक है। फूल के बर्तन में खाना खाने से तनाव में राहत मिलती है।

कई राज्यों में होता है इसका उत्पादन

भारत में फूल का अस्तित्व पीतल से पुराना बताया गया है। यहाँ इसका उत्पादन बहुत ज्यादा होता था, पर आज स्टेनलेस स्टील के बनने के कारण इसका उत्पादन न के बराबर हो गया है और दिनोंदिन कमता जा रहा है। इस तरह बहुत कम हो गया है और दिन प्रतिदिन कम हो रहा है। गाँवों में भी फूल के बरतनों का विशेष प्रचलन है और भारत के अनेक राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और बंगाल में इसका उत्पादन होता है।

फूल में 80% सीसा और 20% टिन रहता है

फूल में 80% सीसा और 20% टिन रहता है। इनकी मात्रा में विभिन्नता के कारण फूल के रंग में विभिन्नता होती है। इन धातुओं को मिलाकर, ग्रैफाइट की मूषा में गलाकर मिश्रधातु बनाते हैं, जिसे पिंडक (ingot) के रूप में ढाला जाता है। पिंडक को बेलन मिल (रोलिंग मिल) में रखकर वृत्ताकार बनाते हैं, जिसकी परिधि 8 इंच से 48 इंच तक की होती है।

सल्फ्यूरिक अम्ल के विलयन के साथ उपचारित कर उसकी सफाई करते हैं। पिंडों को काट-काटकर कारीगर सामानों का निर्माण करता है। इसके लिए हाथ का प्रेस या स्वचालित प्रेस प्रयुक्त होता है। हाथ के औजारों से इसपर कार्य होता है। इस प्रकार बने अपरिष्कृत पात्र को हाथ से, या चरख (हाथ से खींची जानेवाली खराद) से, खुरचकर सुंदर बनाते हैं।

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन… More »

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