Astrology Tips: जनेऊ धारण करने वाले हार्ट अटैक और बीपी से रहते हैं दूर

Astrology Tips: जनेऊ धारण करना हर व्यक्ति का अधिकार है तो वहीं हिन्दू धर्म में कुछ नियम बनाये गए हैं कि जनेऊ इसे कब और कैसे धारण करना है। वहीं विज्ञान कहता है कि जनेऊ धारण करने वाले को हार्ट अटैक और बीपी की समस्या नाम मात्र की होती है।

Astrology Tips: उज्जवल प्रदेश डेस्क. जनेऊ धारण करना हर व्यक्ति का अधिकार है तो वहीं हिन्दू धर्म में कुछ नियम बनाये गए हैं कि जनेऊ इसे कब और कैसे धारण करना है। वहीं विज्ञान कहता है कि जनेऊ धारण करने वाले को हार्ट अटैक और बीपी की समस्या नाम मात्र की होती है।

हिन्दू धर्म के अनुसार जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र है, जिसे संस्कृत में यज्ञोपवीत के नाम से जाना जाता है। इसे पहनने के कुछ खास नियम हैं जिसका पालन करना बहुत ही जरूरी है। ज्योतिष के अनुसार जनेऊ के तीन धागे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक माने गए हैं। ज्योतिष के अनुसार इन्हें देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक भी माना जाता है।

पिंडदान, श्राद्ध कर्म के समय जरूरी है जनेऊ धारण करना

ज्योतिष के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है। पितृ अपने परिवार वालों से मिलने धरती पर आते हैं। इस दौरान पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि करने से उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस दौरान पितरों की तिथि के हिसाब से पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध को लेकर कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं।

दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जनेऊ

सभी पूजा सामग्री के साथ जनेऊ भी रखा जाता है। श्राद्ध की पूजा में हाथ में अक्षत लेकर देवताओं और संसार में विद्यमान सप्त ऋषियों का स्मरण करके वंदन करने के बाद जनेऊ अपने सामने रख लें। उसके बाद सीधे हाथ की अंगुलियों के अगले भाग से तर्पण दें। उसके बाद उत्तर दिशा में मुख करें। फिर जनेऊ की माला बनाकर पहन लें। उसके बाद पालथी लगाकर बैठें। इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जनेऊ को दाहिने कंधे से बाएं कमर की तरफ़ पहना जाता है।

जनेऊ पहनने के सामान्य नियम

हिन्दू धर्म के अनुसार जनेऊ को हमेशा बाएं कंधे से दाएं कमर की तरफ मंत्र के साथ पहनना चाहिए। मल मूत्र के समय में इसको दाहिने कान पर दो बार लपेटा जाता है। अगर हम ऐसा नहीं करते तो यह अशुद्ध माना जाता है।

ऐसे में मल मूत्र के बाद जनेऊ को तत्काल बदल लेना चाहिए। इसके साथ ही कर्म करने के बाद, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के बाद अशुद्ध हो जाता है। इसलिए पुराने जनेऊ को उतारकर नया जनेऊ धारण कर लेना चाहिए, अगर जनेऊ के तीन धागों में से एक धागा टूट जाता है तो भी वह अशुद्ध माना जाता है ऐसे में भी जनेऊ बदल लें।

हृदय रोग और ब्लडप्रेशर से बचाता है जनऊ

एक सर्वे के अनुसार जनेऊ धारण करने से लोगों को हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की दिक्कत नहीं होती है। जनेऊ से शरीर में खून का प्रवाह सही तरीके से होता रहता है। आध्यात्मिक ही नहीं इसका वैज्ञानिक आधार भी है, जैसे सर्वे के अनुसार बताया गया है कि जनेऊ धारण करने से हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की परेशानियां नहीं होती है।

जनेऊ धारण करना विज्ञान भी मानता है

इस बात की विज्ञान भी पुष्टि करता है कि जनेऊ को नित्य कान पर जनेऊ रखने से स्मरण शक्ति बेहतर होती है। कान पर दबाव पड़ने से दिमाग की वे नसें खुल जाती हैं, जिनका संबंध स्मरण शक्ति से है।

बीपी नियंत्रित रहता है

जब भी हम शौच करने जाएं तो जनेऊ धारण जरूर करें इसका वैज्ञानिक कारण भी है। जनेऊ कान के पास रखने से जो नसें दबती हैं, उनसे रक्तचाप नियंत्रण में रहता है और ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है। रिसर्ज में ये बात सामने आई है कि शौच के समय जनेऊ कान के पास रखने का भी वैज्ञानिक आधार है, जैसा बताया गया है कि ऐसा करने से रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।

नोट: हम इन सभी बातों की पुष्टि नहीं करते। अमल करने से पहले संबंधित विषय विशेषज्ञ से संपर्क करें।

Deepak Vishwakarma

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