Astrology Tips: भगवान महादेव का स्वरूप है यह वृक्ष, करता है मोक्ष और मनोकामना पूरी
Astrology Tips: वट का वृक्ष भगवान महादेव का स्वरूप है। जातक अगर वट के वृक्ष को श्रद्धा पूर्वक वटेश्वर महादेव का नाम लेकर जल अर्पित कर तो उसे वही फल मिलता है जो महादेव को स्नान कराने पर मिलता है।

Astrology Tips: उज्जवल प्रदेश डेस्क. वट का वृक्ष भगवान महादेव (Lord Shiva) का स्वरूप है। जातक अगर वट के वृक्ष को श्रद्धा पूर्वक वटेश्वर महादेव का नाम लेकर जल अर्पित कर तो उसे वही फल मिलता है जो महादेव को स्नान कराने पर मिलता है।वट का वृक्ष की उम्र हजार साल होती है।
अगर इसे काटा न जाए तो इस पेड़ की कई टहनियां पेड़ बन जाते हैं। जिस प्रकार भगवान भोले नाथ (Lord Shiva) के जटा होते हैं ठीक उसी स्वरूप में यह अपना आकार फैला लेता है। यहां तक भी कहा गया है कि जो भी शिव भक्त को अगर भगवान महादेव स्नान करना हो और उसे वहां शिवलिंग न मिले व आसपास बरगद का पेड़ दिख जाए तो उसे श्रद्धा पूवर्क महादेव का नाम लेकर स्नान करा दे, उसे वही फल मिलेगा जो महादेव को स्नान कराने पर मिलता है।
सौभाग्यवती स्त्रियां वट वृक्ष का पूजन करें
हिंदू धर्म हो अथवा बौद्ध, दोनों ही धर्मों में बरगद वृक्ष को पूज्य माना गया है। यह एक ऐसा पेड़ है जो जीवन की निरंतराता का प्रतीक है। विशेषज्ञों की मानें तो यह कई पेड़ों की तुलना में पांच गुना से ज्यादा प्राणवायु आक्सीजन देता है। गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने इसके स्वरूप का वर्णन करते हुए इसके आध्यात्मिक स्वरूप का वर्णन किया है। भारतीय सनातन परंपरा में सौभाग्यवती स्त्रियां वट वृक्ष का पूजन कर अखंड सौभाग्य की कामना कर पूजा करती हैं।
हर मनोकामना पूरी करता हैं वटेश्वर महादेव
वट वृक्ष को हम वटेश्वर महादेव के नाम से जानते हैं। अगर रोजाना एक लोटा जल इनको अर्पित किया जाए तो आपकी हर समस्या और परेशानी भगवान महादेव हर लेंगे।
इनकी पत्तियां मोटी होती हैं
पेड़ के पत्ते अन्य पत्तों की तरह कुछ ज्यादा ही मोटे होते हैं। यूपी काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर बताते हैं कि बरगद की पत्तियों में सफेद रंग का द्रव्य लेटेक्स पाया जाता है, जिसके कारण इनकी पत्तियां काफी मोटी होती हैं। इन्हीं की वजह से इन पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण काफी बेहतर होता है, जिससे आक्सीजन उत्पादन करने की क्षमता इनमें बहुत अधिक होती है।
हानिकारक गैसों को नष्ट करता है
वटवृक्ष देव वृक्ष है। वटवृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में जनार्दन विष्णु तथा अग्रभाग में देवाधिदेव शिव स्थित रहते हैं। देवी सावित्री भी वटवृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं। इसी अक्षय वट के पत्रपुटक पर प्रलय के अंतिम चरण में भगवान श्रीकृष्ण ने बालरूप में मार्कंडेय ऋषि को प्रथम दर्शन दिया था।
प्रयागराज में भी गंगा तट पर वेणीमाधव के निकट अक्षयवट स्थित है। हानिकारक गैसों को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करने में वटवृक्ष का विशेष महत्व है। इसकी औषधीय उपयोगिता से भी हम सभी परिचित हैं। जिस प्रकार वटवृक्ष दीर्घकाल तक अक्षय बना रहता है, उसी तरह दीर्घायु, अक्षय सौभाग्य तथा निरंतर अभ्युदय की प्राप्ति के लिए वटवृक्ष की आराधना की जाती है।
पौधों को वरीयता दी जानी चाहिए
अगर जीवन को जीना है तो आप बिना आक्सीजन के नहीं चल सकते । 2020 में कोरोना काल में आक्सीजन की अहमियत लोगों की समझ में आ गई है। इसलिए जरूरी है कि शहरों को कंक्रीट का जंगल होने से बचाया जाय और अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए जायं। इनमें भी अधिक आक्सीजन देने वाले पौधों को वरीयता दी जानी चाहिए। तभी पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और बीमारियां भी कम होंगी।